यूपी में होने वाले पंचायत चुुनाव में थोड़ी देरी हो सकती है। पहले माना जा रहा था कि फरवरी के दूसरे सप्ताह तक अधिसूचना जारी हो जाएगी और मार्च से वोटिंग शुरू होकर अप्रैल में चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाए लेकिन अब सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि यह चुनाव अप्रैल में शुरू हो सकते हैं। इस बार ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत के चुनाव एक साथ होंगे।
यह भी जानकारी में आया है कि आरक्षण का यह नया फॉर्मूला आगामी 20 फरवरी के बाद ही सार्वजनिक किया जाएगा क्योंकि प्रदेश सरकार ने अब पंचायत चुनाव अप्रैल व मई के महीनों में करवाने का मन बना लिया है।अब यह तय किया गया है कि होली के ठीक पहले यानि 26 मार्च के बाद किसी भी दिन पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी और अप्रैल व मई के महीनों में त्रि-स्तरीय चुनाव की पूरी प्रक्रिया सम्पन्न करवायी जाएगी।
चार चरणों में ही होगा चुनाव :
राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि पूरे प्रदेश में चार चरणों में ही चुनाव होगा। एक जिले के सभी विकास खंडों को चार हिस्सों में विभाजित करके एक-एक हिस्से के नामांकन दाखिले और मतदान की तारीखें तय की जाएगी। एक हिस्से के मतदान से दूसरे हिस्से के मतदान में तीन दिन का अंतर होना चाहिए।
चुनाव में देरी के पीछे की वजह :
बताया जा रहा है कि चुनाव में देरी के पीछे की दो वजहें हैं। 19 मार्च को राज्य सरकार के कार्यकाल के 4 साल पूरे हो रहे हैं। सरकार चाह रही है कि इन चार साल की उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाया जाएगा। इससे सरकार और संगठन दोनों को ही फायदा होगा। सराकर से जुुड़े लोगों का मानना है कि इसका फायदा पंचायत चुुनाव में मिल सकता है। फरवरी के अंतिम सप्ताह में चुनाव कार्यक्रम जारी हुआ तो आचार संहिता लगने से सरकार जश्न नहीं मना पाएगी। वहीं कुुछ लोगों का मानना है कि किसान आंदोलन के कारण भी इसमें देरी हो सकती है, क्योंकि पश्चिमी यूपी के कुछ गांव से जुड़े कई किसान आंदोलन में हैं। इसका असर चुनाव में पड़ सकता है।