पीलीभीत : पूरनपुर तहसील क्षेत्र में यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमराई है।

उत्तर प्रदेश पीलीभीत, पूरनपुर तहसील क्षेत्र में यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमराई है। अधिकांश मार्गो पर लोग निजी वाहन या फिर प्राइवेट वाहनों से यात्रा करने को मजबूर हैं। तीन साल पहले ट्रेनों का संचालन बंद होने के बाद सेहरामऊ उत्तरी क्षेत्र के लोगों को सरकारी रोडवेज बस सेवा की भी सौगात नहीं मिल सकी। आज भी यहां रहने वाली लाखों की आबादी जान जोखिम में डालकर तहसील मुख्यालय पहुंचने को मजबूर हैं। निजी वाहन चालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूलते हैं।
पूरनपुर बंडा हाईवे पर मात्र एक सरकारी बस सेवा है जो, शाहजहांपुर से रात के समय आकर दिन निकलते ही वापस हो जाती है। रोडवेज बस का इस क्षेत्र की आबादी को कोई खास लाभ नहीं मिल रहा है।यात्री प्राइवेट बसों के अलावा टेंपो, मैजिक से आवागमन कर रहे हैं। पीलीभीत रोड पर मैजिक चालकों का कब्जा है। यहां पांच से दस मिनट में मैजिक पूरनपुर और पीलीभीत के लिए आती जाती रहती है। पूरनपुर से कलीनगर रोड पर कोई भी सरकारी बस सेवा नहीं है। यहां भी टेंपो चालक और निजी वाहन हावी हैं। पूरनपुर से माधोटांडा रोड पर एक सरकारी बस है जो, एक ही बार आती और जाती है। राहगीरों को टेंपो और निजी वाहनों से आवागमन करना पड़ता है। क्षेत्र में चौतरफा टेंपो, मैजिक व निजी वाहनों के हवाले यातायात व्यवस्था हो गई है। जनप्रतिनिधि इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसके चलते राहगीरों का आर्थिक दोहन होने के साथ ही जान का भी खतरा बना रहता है।
चार साल से अधूरा है रोडवेज बस स्टैंड
पूरनपुर क्षेत्र के लोगों को यातायात व्यवस्था की बेहतर सुविधा देने के लिए पीलीभीत रोड पर बस स्टैंड का निर्माण कराया जा रहा है। चार साल में निर्माण नहीं हो पाया है। हाल ही में जिले के नोडल अधिकारी ने निर्माणाधीन रोडवेज बस स्टैंड का निरीक्षण किया था। शीघ्र निर्माण पूरा कर भवन विभाग को हस्तांतरित करने के आदेश भी दिए थे। निरीक्षण के बाद काम ने तेजी पकड़ी है। दीपावली तक भवन विभाग के सुपुर्द होने की संभावना है। टेंपो और मैजिकों का फैला है मकड़जाल
तहसील क्षेत्र के अधिकांश मार्गों पर टेंपो और मैजिक चालकों का मकड़जाल फैला हुआ है। सभी रूटों पर यह सरपट दौड़ते दिखाई दे रहे हैं। जर्जर और डग्गामार वाहनों की भी भरमार है। तराई से जुगाड़ वाहन भी नगर में आते जाते हैं। इन वाहनों पर भी राहगीर यात्रा तय करने को मजबूर हैं। यातायात नियम की तमाम सख्ती भी इन डग्गामार वाहन चालकों के हौसले पस्त नहीं कर पा रही है।
ट्रेनों का संचालन बंद हो जाने से डग्गामार वाहन और निजी वाहन ही आवागमन का सहारा रह गए हैं। रोडवेज बस न चलने से लोगों को यात्रा करने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है