मैंनपुरी । रविवार को जनपद भर में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े सादगी के साथ अपने अपने घरों और आश्रम मंदिरों में मनाया गया इस अवसर पर शिष्यों ने अपने अपने गुरुजनों को माल्यार्पण पुष्प ,दक्षिणा वस्त्र उपहार देकर शुभ आशीर्वाद लिया गुरुजनों ने भी उन्हें लंबी उम्र सदा खुश रहने का आशीर्वाद दिया तथा सत्कर्म करने की प्रेरणा दी।
रविवार को कचहरी रोड स्थित रज्जो देवी कबीर आश्रम पर मौजूद भक्तों को महन्त अमर साहेब ने बताया कि रामकृष्ण जी तीन लोक के स्वामी माने गये उनको भी गुरु की शरण में जाना पड़ा । गुरु हमारे आध्यात्मिक जन्म दाता हैं एवं ब्रह्मा है तथा आध्यात्मिक जीवन के पालक विष्णु भी हैं तथा सांसारिक वासनाओं का विनाश करके तीसरा विवेक नेत्र खोलने वाले कल्याण स्वरूप शिव हैं तथा गुरु परम ब्रह्म स्वरूप देव हैं ऐसे परम देवता को मानने के लिए जानने के लिए एवं उनकी पूजा में सद्गुरु के बताए हुए रास्ते पर चलना ही जीवन को प्रज्ज्वलित दीपक बनाने के लिए आज भारत के सभी मत मजहब के लोग प्रतिवर्ष अषाढ़ पूर्णिमा के दिन श्री वेदव्यास जी की जयंती के रूप में अपने गुरु का विशाल प्रकाश स्वरूप का दर्शन करते हैं गुरु रास्ता भी हैं पथ प्रदर्शक भी हैं वह मंजिल भी हैं गुरू खुरदरा शान का पत्थर होते हैं जिस शान के पत्थर पर काई जंग वाला लोहा चढ़ा देने से लोहा चमकने लगता मुर्चा लगी हुई जंग छूट जाती है तलवार चमकाने लगती इसी प्रकार गुरू का आत्मज्ञान का शब्द हमारे अंतः करण की काई जो विचार और संस्कार की जंग लगी है उसे अपने खुरदरे चुटीले आत्मज्ञान के शब्दों से कुसंस्कारों को साफ कर दर्पण की भाँति चमकने लगता जिसमें हमारे अंतः करण के विकार छूटकर साफ हो जाते हैं इसीलिए सद्गुरु ने कहा है गुरु कुम्हार शिष्य कुंभ है गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट अंदर हाथ सहार दे बाहर मारे चोट। तथा गुरु दूर नही है गुरु तो हमारे हृदय में विद्दमान हैं। सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार लोचन अनन्त उघाड़िया अनन्त दिखावन हार।महंत ने कोरोना की संकट की घड़ी में लोगों से 2 गज की दूरी बनाए रखने तथा मास्क पहनकर ही घर से निकलने का आवाहन किया।
रिपोर्ट अमित शाक्य