पीलीभीत में परेवा किशनी समिति के 80 लाख रुपये 352 बकायेदारों पर फंसे

बीसलपुर में परेवा किशनी साधन सहकारी समिति के लगभग 80 लाख रुपये 352 बकायदारों पर कई सालों से फंसे हुए हैं। इससे समिति की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है। बकायेदारों में 149 मृतक भी शामिल हैं। अधिकारियों द्वारा बकाया वसूली करने में अरुचि दिखाए जाने से समिति के घाटे से उबरने के आसार नजर नहीं आ रहे।

समिति सचिव अरविंद कुमार मिश्रा ने बताया कि समिति क्षेत्र के विभिन्न गांवों के 352 बकायेदारों पर समिति का 80 लाख रुपया कर्जा है। यह सारा कर्जा वर्ष 2016 से पहले का है। वर्ष 2016 से पहले समिति में दूसरे सचिव थे, जो सेवानिवृत हो गए। अरविंद कुमार मिश्रा ने वर्ष 2016 में ही इस समिति में कार्यभार ग्रहण किया था। कार्यभार ग्रहण करते ही सचिव ने इन बकायेदारों से संपर्क साधने का प्रयास किया। पता चला कि 350 में 149 बकायेदारों की अलग-अलग समय में मृत्यु हो चुकी है।

सचिव ने जब मृत बकायेदारों के घरवालों से कर्जा अदा करने को कहा तो उन लोगों ने कर्जा होने की बात ही नहीं स्वीकार की। साफ कह दिया कि उनके परिवार के किसी भी व्यक्ति ने समिति से कभी भी कर्जा नहीं लिया। सचिव ने जब उन लोगों को समिति के ऋण संबंधी अभिलेख दिखाए तो अभिलेखों को फर्जी बता दिया। 48 बकायेदारों ने सचिव से कह दिया कि उन लोगों ने समिति के तत्कालीन सचिव को पूरा कर्जा अदा कर दिया था, लेकिन सचिव ने अभिलेखों में कर्जा जमा नहीं किया। इसमें उन लोगों की कोई गलती नहीं है।

बाकी बकायेदार कर्जा अदा करने के मामले में लगातार टालमटोल कर रहे हैं। इन बकायेदारों का मानना है कि वर्ष 2024 में होनेे वाले संसदीय चुनाव से पहले कर्जा माफ हो सकता है। इसलिए ये बकायेदार कर्जा अदा नहीं कर रहे हैं। समिति की आर्थिक व्यवस्था की बदहाली का यह हाल है कि समिति स्टाफ को पिछले कई वर्षों से वेतन नहीं दे पा रही है। इस वजह से स्टाफ के लोग भी आर्थिक रूप से काफी परेशान हैं।

समिति में स्थायी सचिव न होने के कारण ऋण वसूल होने में और भी संदेह पैदा हो गया है। चुर्रासकतपुर साधन सहकारी समिति के सचिव अरविंद मिश्रा के पास इस समिति के सचिव का अतिरिक्त कार्यभार है। वह इस समिति में सप्ताह में केवल तीन दिन आते हैं। ऐसे विपरीत हालातों में समिति के घाटे से उबरने के कोई आसार नही लग रहे।

बहुत जल्द परेवा किशनी समिति परिसर में ऋण वसूली शिविर लगवाया जाएगा। मृतकों के वारिसों को समिति का सदस्य बनाया जाएगा। निष्क्रिय सदस्यों को भी सक्रिय किया जाएगा। समिति को घाटे से उबारने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे। – लालसिंह,. सहायक विकास अधिकारी