ट्रॉफी शतक से बढ़कर’, रोहित शर्मा ने टीम इंडिया के लिए किया बड़ा त्‍याग

भारतीय कप्तान रोहित शर्मा की अप्रोच में बदलाव आया है। वह पावरप्‍ले में निडर होकर बल्‍लेबाजी करते हैं। उनके निडर दृष्टिकोण ने विपक्षी गेंदबाजी आक्रमण को दबाव में डाल दिया है, जिससे भारतीय बल्लेबाजी क्रम के बाकी खिलाड़ी अधिक स्वतंत्रता के साथ खेल सकें। हाई प्रेशर मैच में भी रोहित बेखौफ बल्‍लेबाजी कर रहे हैं। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के फाइनल में न्‍यूजीलैंड के खिलाफ उन्‍होंने भारतीय टीम को तेज शुरुआत दिलाई। उन्होंने सिर्फ 41 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया। ऐसे में भारतीय टीम ने पावरप्ले में 65 रन बना दिए।

कुछ अलग करने की जरूरत

रोहित ने चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद स्टार स्पोर्ट्स से कहा, “यह कभी आसान नहीं होने वाला था। हर किसी का खेलने का अपना अंदाज होता है। शायद ट्रॉफी जीतने के अलावा, हमने पिछले एक दशक में इंटरनेशनल क्रिकेट में बहुत सफलता हासिल की है। इन सबको नजरअंदाज करना मुश्किल है। आप रन बना रहे हैं और जीत रहे हैं। क्या कमी है? कुछ अलग करने की क्या जरूरत है? मुझे लगा कि कुछ अलग करने की जरूरत है क्योंकि ट्रॉफी नहीं आ रही थी।”

ट्रॉफी जीतने पर फोकस

रोहित ने कहा, “एक कप्तान के तौर पर, मैं इस बात पर ज्‍यादा ध्यान देना चाहता था कि हम कैसे मैच जीत सकते हैं और कैसे ट्रॉफी जीत सकते हैं। इसके लिए मुझे व्यक्तिगत उपलब्धियों को किनारे रखना था। ऐसा नहीं है कि मैं शतक और 150 रन नहीं बनाना चाहता, मैं उन्हें बनाना चाहता हूँ। लेकिन, हमारे मिडिल ऑर्डर और लोअर ऑर्डर ने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया। अगर मेरे नीचे खेलने वाले बल्लेबाज मुझे वह आत्मविश्वास नहीं देते, तो मैं इस तरह नहीं खेल पाऊंगा।”

बल्‍लेबाजी में गहराई

भारतीय कप्‍तान ने कहा, “हमारे बल्लेबाजी क्रम के अनुभव को देखें। नंबर 3 से नंबर 8 तक हमारे पास बहुत अनुभव है। बल्लेबाजी क्रम बहुत अनुभवी है, बहुत लचीला है। 2023 विश्व कप में अच्छी पिचों पर हमें 350 रन बनाने की जरूरत थी। हमें वे रन बनाने की जरूरत थी क्योंकि शाम को ओस आती थी। इसलिए हमें शीर्ष पर मौके लेने थे, पावरप्ले का इस्तेमाल करना था। यही मेरी सोच थी।”

पावरप्‍ले का यूज करने की जरूरत

रोहित ने बताया, “ऐसा नहीं था कि मैं एक दिन अचानक उठा और मैंने अपना बल्ला घुमाना शुरू कर दिया। इसके पीछे एक प्‍लानिंग थी- हमें पावरप्ले का यूज करने की जरूरत थी। गिल, जो मेरे साथ बल्लेबाजी करते हैं, उनका अपना अलग अंदाज है। हमने एक-दूसरे का अच्छा साथ दिया। वह शानदार तरीके से खेलते हैं और गैप को ढूंढते हैं। इससे गेंदबाजों को निराशा होती है। एक बल्लेबाज ग्राउंडिड शॉट लगा रहा तो दूसरा हवाई फायर कर रहा। एक कप्तान के तौर पर, मुझे लगता है कि इससे विपक्षी गेंदबाजों को दो बार सोचना पड़ता है।”

भारतीय कप्तान ने कहा, “मैं इसी तरह खेलना चाहता हूं, लेकिन 2019 विश्व कप ने मुझे सिखाया कि बड़े रन बनाना अच्छा है। हालांकि, अगर आप मैच और ट्रॉफी नहीं जीतते हैं, तो रन बनाने का क्या मतलब है? यह मेरे लिए एक सबक था। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हर किसी को इसका पालन करना चाहिए, लेकिन यह कुछ ऐसा है जो मैंने सीखा है। बेशक, आपको टीम के समर्थन की भी आवश्यकता होती है।”

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