लगातार तीसरी बार शून्य, आप की हार में कांग्रेस को संजीवनी की तलाश

दिल्ली में पिछले तीन चुनावों से खाता खोलने तक के लिए तरस रही कांग्रेस को हार का गम कम और आम आदमी पार्टी के खात्मे की खुशी ज्यादा है। उसे उम्मीद है कि आप का खराब प्रदर्शन ही उसके लिए राष्ट्रीय राजधानी में भविष्य में पुनरुद्धार का एकमात्र रास्ता है। इसी आस के सहारे कांग्रेस भविष्य में अपना दिल्ली का गढ़ वापस पाने का सपना देख रही है। कांग्रेस का अनुमान है कि अन्ना आंदोलन से उपजी आप सत्ता से बाहर होने पर खत्म हो जाएगी। नतीजों से पहले एक कांग्रेस नेता ने कहा था, हम जानते हैं कि मुसलमानों ने हमें वोट नहीं दिया, हमारे पुराने जनाधार का बड़ा हिस्सा अब भी आप को वोट देता है। संभव है कि इस बार सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा हमारे पास वापस आ जाए, लेकिन आप सत्ता से बाहर होने के बाद टिके रहने के लिए संघर्ष करेगी। हालांकि नतीजों ने इस उम्मीद को झटका दिया है, पर आप की हार से पार्टी की आस बरकरार है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी इससे पूरी तरह सहमत है कि आप के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने का फैसला सही था। इसके पीछे उसका मकसद अपना वोट प्रतिशत सुधारना था। 1993 के बाद से दिल्ली में भाजपा का वोट प्रतिशत 32 से 38% रहा है।

कांग्रेस 1998 से 2013 तक दिल्ली में सत्ता में थी। 2008 में उसका वोट शेयर 40.31% था, जो 2013 में 24.55% व 2015 में 10% से कम हो गया। 2020 में, सिर्फ 4.26% वोट पा सकी। वहीं, 2013 में आप को 29.49%, 2015 में 54.34% व 2020 में 53.57% वोट मिले। 2013 में भाजपा के वोट 33.07% थे, जो 2015 में 32.19% और 2020 में बढ़कर 38.51% हो गए। नतीजों से पहले एक कांग्रेसी ने कहा था कि आप के खात्मे से ही कांग्रेस की वापसी संभव है।

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