मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को आयुष विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। उन्होंने बैठक में निर्देश दिया कि प्रत्येक मंडल में एक इंटीग्रेटेड आयुष महाविद्यालय की स्थापना सुनिश्चित की जाए। जिसमें आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी समेत आयुष की सभी पद्धतियों की शिक्षा को एक ही परिसर में उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल आयुष चिकित्सा पद्धति को सुदृढ़ करेगा, बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य-आधारित शिक्षा प्रणाली को भी सशक्त बनाएगा।
मुख्यमंत्री ने सरकारी आवास पर आयोजित समीक्षा बैठक में कहा कि सरकार आयुष चिकित्सा पद्धति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रही है। सभी आयुष संस्थानों में नेचुरोपैथी और योग सेंटर की स्थापना अनिवार्य रूप से की जाए और सभी स्वीकृत शैक्षणिक व चिकित्सकीय पदों को शत-प्रतिशत भरने की कार्यवाही समयबद्ध ढंग से पूरी की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष न केवल भारत की चिकित्सकीय परंपरा का प्रतीक है, बल्कि यह समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण को भी परिभाषित करता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को आयुष के क्षेत्र में राष्ट्रीय और वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में लाने के लिए सभी प्रयासों को एकजुट, योजनाबद्ध और समयबद्ध रूप से आगे बढ़ाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के हर जनपद में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर प्रारंभ किए जाएं, जो सरकारी या पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड में संचालित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आयुष विश्वविद्यालय का निर्माण गुणवत्तापूर्ण एवं समयबद्ध ढंग से हो और प्रदेश भर में आयुष विभाग की निर्माणाधीन परियोजनाओं को भी प्राथमिकता से पूरा किया जाए।
मुख्यमंत्री ने निजी क्षेत्र को भी आयुष शिक्षा के क्षेत्र में आगे आने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि निजी निवेशकों को आयुष सेक्टर में निवेश के लिए आकर्षित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि निजी क्षेत्र में संचालित आयुष महाविद्यालयों एवं चिकित्सालयों के बुनियादी ढांचे, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों, फैकल्टी एवं स्टाफ की गुणवत्ता का गहन परीक्षण कराया जाए ताकि कोई कमी न रह जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद में पंचकर्म जैसी विशिष्ट पद्धतियां गंभीर बीमारियों के उपचार में अत्यंत प्रभावी हैं। इन पद्धतियों को प्रदेश के सभी आयुष संस्थानों में बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि आयुष चिकित्सा की लोकप्रियता को देखते हुए यह समय है जब भारत की परंपरागत चिकित्सा को वैज्ञानिक रूप से प्रस्तुत कर वैश्विक मंच पर स्थापित किया जाए।