27 फिल्में कर चुकीं यामी ने हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी काम किया

बॉलीवुड एक्ट्रेस यामी गौतम का आज बर्थडे है। 27 फिल्में कर चुकीं यामी ने हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी काम किया है। उनके एक्टिंग करियर की शुरुआत टेलीविजन शो से हुई थी।
उनकी डेब्यू फिल्म विक्की डोनर थी, जिसका ऑडिशन उन्हें दो बार देना पड़ा और उसके बाद रोल मिला। फिल्म सफल रही और यामी ने कुछ और बेहतरीन फिल्मों जैसे बदलापुर, ए थर्सडे और काबिल में काम किया।
यामी उन एक्ट्रेसेस में से हैं जो बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के फिल्म इंडस्ट्री में आईं और अपनी जगह बनाने में कामयाब हुईं, लेकिन उन्हें रिजेक्शन भी काफी झेलना पड़ा। शुरुआती दिनों में एक टीवी शो से सिर्फ इसलिए उन्हें हटा दिया गया क्योंकि उन्होंने मेकर्स से सवाल पूछ लिया था।
2018 में यामी ने बॉलीवुड छोड़कर किसी और फील्ड में काम करने का भी मन बना लिया था, लेकिन उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक और बाला जैसी फिल्मों ने उन्हें हौसला दिया और अब वो इंडस्ट्री की कामयाब एक्ट्रेसेस में से एक हैं। इस साल वो फिल्म OMG 2 में नजर आई थीं।
यामी गौतम का जन्म हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में हुआ था। हालांकि वो पली-बढ़ी चंडीगढ़ में हैं। बचपन के दिनों के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया- मेरी कुछ टीचर्स ने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बनूंगी। मैं स्कूल के दिनों में ठीक से एक कविता भी नहीं सुना पाती थी।
मुझे स्टेज फोबिया था। सामने बहुत ज्यादा लोगों को देख कर घबरा जाती थी। पब्लिक स्पीकिंग और को-करिकुलर एक्टिविटीज से भी दूर रहती थी। वजह ये थी कि मुझमें आत्मविश्वास की कमी थी। हालांकि मैं पढ़ाई में बहुत अच्छी थी।
वक्त के साथ मेरा रुझान फिल्मों की तरफ होता गया। कोई फिल्म देखने के बाद मैं उसके सीन की प्रैक्टिस कमरे में छुप कर करती थी। स्कूल के प्लेज में पार्टिसिपेट भी करने लगी थी, मगर बस इतना ही। इसके बाद फिर पूरा ध्यान पढ़ाई पर लग जाता था।
शुरुआत से ही मुझे स्पॉटलाइट में रहना पसंद नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि मैं एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखती हूं। मेरी परवरिश बेहद साधारण ढंग से हुई है। पेरेंट्स ने मुझे बहुत ही अच्छी शिक्षा दिलाई है।
यामी ने अब तक के बेस्ट बर्थडे के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया- बचपन में सेलिब्रेट हुए बर्थडे आज भी स्पेशल हैं। सुबह नींद जल्दी खुल जाती थी। मां-पापा के विश करने का इंतजार रहता था। शाम को सेलिब्रेशन में सारे दोस्त इकट्ठा होते थे। सबसे मजेदार बात ये है कि बर्थडे का डेकोरेशन खुद ही करती थी। उस दिन सबसे खूबसूरत ड्रेस मेरी होती थी और सबकी निगाहें मुझ पर रहती थीं।
हर बर्थडे पर केक एक फिक्स शाॅप से आता था, वैसा केक आज दुनिया के किसी कोने में नहीं मिलता है। उसका स्वाद अभी भी सबसे बेस्ट लगता है। आज हम लोग बहुत ही फैंसी तरीके से बर्थडे मनाते हैं। मगर असली मजा तो बचपन में ही आता था, जहां पूरा परिवार एक साथ खुशी से बर्थडे सेलिब्रेट करता था।
एक और बर्थडे है, जो मेरे दिल के बहुत करीब है। दो साल पहले शादी के बाद मैं दिल्ली में शूटिंग कर रही थी। शूटिंग खत्म कर मैं सुबह 4 बजे होटल पहुंची। लगा कि मां दरवाजा खोलेंगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। जैसे ही दरवाजा खुला, सामने आदित्य खड़े थे। उन्हें सामने देखकर मैं बहुत खुश हो गई। ये बर्थडे भी मेरे लिए बहुत स्पेशल था।
सर्दी और गर्मियों की छुट्टियों में नानी के घर जाना आज भी याद है
बचपन की सबसे खूबसूरत चीज जो यामी को आज भी याद हैं, वो है गर्मियों की छुट्टियों में नानी के घर जाना। इस बारे में उनका कहना है- इस समय हर जगह से सारे कजिन नानी के घर इकट्ठा होते थे। हम सोना भी भूल जाते थे। नानी हर दिन हमारे लिए कुछ ना कुछ स्पेशल जरूर बनवाती थीं।
सर्दी की छुट्टियों में भी हम नानी के घर जाते थे। उस समय सब अपना काम खत्म करके धूप सेंकने के लिए छत पर चले जाते थे।
ये सारी बातें करते हुए यामी इमोशनल हो गईं। फिर मैंने सवाल किया कि कैसे IAS का सपना देखने वाली यामी का रुझान एक्टिंग की तरफ हुआ। इस पर वे कहती हैं- किस्मत में जो लिखा होता है, वो आगे चलकर मिल ही जाता है। अंदर से कहीं ना कहीं मैं इसी फील्ड में आना चाहती थी। दोस्तों को सिर्फ ये पता था कि मैं बहुत अच्छी मिमिक्री कर लेती हूं।
फिर किस्मत के सहारे मैं ऑडिशन के जरिए चंडीगढ़ से मुंबई पहुंची। पहला ब्रेक मुझे टीवी शो में मिला था। हालांकि वो शो ज्यादा नहीं चला, लेकिन मैं शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे ये मौका दिया। जब इस शो का ऑफर आया था, तब मैं पढ़ाई ही कर रही थी। फिर पेरेंट्स के सपोर्ट से इस फील्ड में आगे बढ़ी।
यामी ने एक्टिंग करियर की शुरुआत टीवी शोज से की थी। उनके शुरुआती तीनों शोज जल्दी ऑफ एयर कर दिए गए थे। इस पर वो कहती हैं, हर दिन मेरा किरदार एक जैसा ही था। हर दिन मैं उसी किरदार में रो रही थी। मैं इन सब चीजों से कुछ अलग करना चाहती थी। फिल्मों की तरफ रुख करना चाहती थी।
मेरे शो का सेट फिल्म सिटी के पास ही था। लंच टाइम में शो के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर से बात कर मैं कुछ जगह ऑडिशन देने चली जाती थी। कुछ समय बाद लंच ब्रेक में मैंने कथक क्लास भी जॉइन कर ली थी। मैं खुद को एक सीमा में बांधे नहीं रखना चाहती थी। कुछ ना कुछ नया करने की चाहत थी।
फिर मैंने 6 महीने का वक्त लिया। मैंने पेरेंट्स को बताया कि बस ये 6 महीने में मैं एक्टिंग करियर को दूंगी। फिर भी अगर बात नहीं बन पाती है, तो मैं वो जाॅब कर लूंगी जहां स्टैबिलिटी होगी। इस दौरान दिन भर ऑडिशन में ही चला जाता था। बहुत सारे रिजेक्शन भी मिले, पर हार नहीं मानी।
ऑडिशन के दौरान यामी का सिलेक्शन किसी शो में हुआ था, पर उन्होंने एक सीन लेकर सवाल कर दिया था, जिस कारण सिलेक्शन हो जाने के बाद भी उन्हें शो से निकाल दिया गया था। इस पर वो हंसते हुए कहती हैं- हां, ये बिल्कुल सही बात है। शो के पहले दिन मैंने एक सीन को लेकर सवाल कर दिया था, तभी सबकी निगाहें मुझ पर आ गईं कि भला मैं सवाल कैसे कर सकती हूं। फिर मैं अगले दिन सेट पर गई, स्क्रिप्ट लेकर पढ़ रही थी, पर कोई मुझे शाॅट के लिए बुला ही नहीं रहा था। तभी एक शख्स आया और कहा- आप घर जा सकती हैं।
ये सुनकर बहुत बुरा लगा, पर मैं कुछ नहीं कर पाई। हालांकि ये सारी चीजें भी जरूरी हैं, इसी के आधार पर आगे बढ़ने का जज्बा मिलता है।
लाइफ में मन में एक बार ये ख्याल जरूर आता है कि अब नहीं हो पा रहा। तो उसी वक्त हमें किसी दूसरी फील्ड में स्विच करना लेना चाहिए, जहां आपका मन लग रहा हो। ऐसा करने में शर्म महसूस करने की जरूरत नहीं है।
2018 में मेरे मन में भी ख्याल आया था। मैं इस फील्ड को छोड़ना चाहती थी। यहां से निकलकर फार्मिंग फील्ड में कुछ करने को सोच रही थी, तभी फिल्म उरी और बाला रिलीज हो गई, जिसे लोगों का बहुत प्यार मिला। इस वक्त मुझे लगा कि खुद की सुननी चाहिए। लोग क्या बोलेंगे, इससे फर्क नहीं पड़ता है, आपकी बस फैमिली मैटर करती है।
मुंबई में बुरे एक्सपीरियंस पर वे कहती हैं- खुशकिस्मती से मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ है। कभी ऐसे इंसान से नहीं मिलना हुआ जिसके व्यवहार से इंडस्ट्री छोड़ने का भी ख्याल आया हो। कभी कोई खराब घटना भी नहीं हुई है। तेलुगु, तमिल फिल्मों में भी काम किया है, जब हमारे पास मैनेजर भी नहीं होते थे। सुबह 4 बजे भी कैटलॉग शूट के लिए गई हूं, पर कोई वाकया फेस नहीं करना पड़ा।
हालांकि ऐसा हुआ है कि जब मैं किसी फिल्म के सिलसिले में मीटिंग में जाती थी, तो फिल्म के बारे में कम बात होती थी और मेरे पहनावे को लेकर ध्यान दिया जाता था। उनका कहना होता था कि मुझे ऐसे दिखना चाहिए, इस तरह की फिल्में करनी चाहिए और थोड़ा ग्लैमरस दिखना चाहिए।
ऑडिशन के दौरान लास्ट मोमेंट पर मेरे पास ड्रेस ट्रायल के लिए काॅल आया। उन्होंने तुरंत आने को कहा। बालों में तेल लगा हुआ था, मैं जल्दबाजी में बिना बाल धोए ही चली गई। वहां जब पहुंची तो शो जुड़े एक शख्स ने मुझसे कहा- आप बाल में तेल लगाकर कैसे आ सकती हैं। मैंने जवाब में कहा- आपने ही तुरंत आने को कहा था। बाकी सब तो ठीक है, तेल ही तो लगा है बालों में। फिर उन्होंने लंबा-चौड़ा लेक्चर दिया, पर मैं ऐसे ही रही हूं।
दिन भर की इन घटनाओं के बारे में घर पर आकर मैं पेरेंट्स से सब शेयर करती थी क्योंकि उस वक्त मॉरल सपोर्ट की बहुत जरूरत पड़ती थी। उनके सामने आंसू बहाकर खुद का मन हल्का कर लेती थी।
आगे यामी ने साउथ इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपीरियंस के बारे में बात की। उन्होंने बताया- वहां भी काम करके बहुत मजा आया। हां, लैंग्वेज में परेशानी आई। रात-रात भर मैं डायलॉग की प्रैक्टिस करती थी। मलयाली भाषा में भी मैंने काम किया, जिसे बोलना सबसे टफ होता है। फिर भी काफी मजा आया। वहां के कल्चर से भी बहुत कुछ सीखने को मिला।
यामी ने फिल्म विक्की डोनर से बॉलीवुड डेब्यू किया था। इस फिल्म के ऑफर के बारे में वे कहती हैं- 3-4 फिल्मों का ऑडिशन एक साथ हो रहा था, इसमें से विक्की डोनर भी एक फिल्म थी। कास्टिंग डायरेक्टर जोगी जी ऑडिशन ले रहे थे। किसी कारणवश मैं सिर्फ विक्की डोनर का ही ऑडिशन दे पाई। जोगी जी को मेरा काम बहुत पसंद आया। उन्होंने कॉल कर बताया कि फिल्म के डायरेक्टर शुजित सरकार एक-दूसरे सीन का ऑडिशन देखना चाहते हैं। मैंने वो भी ऑडिशन दिया और सिलेक्ट हो गई।
सिलेक्शन के बाद मैंने जोगी जी से फिल्म की कहानी के बारे में जानना चाहा। उन्होंने बताने से मना कर दिया और कहा- स्क्रिप्ट पढ़ लो। मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, कहानी बहुत पसंद आई और सोचा कि ऐसे मुद्दे पर कोई इतनी सुंदर कहानी कैसे बुन सकता है। परिवार को फिल्म की कहानी बहुत पसंद आई थी।
विक्की डोनर के एक सीन में अन्नू कपूर और आयुष्मान खुराना के साथ यामी। 15 करोड़ में बनी फिल्म ने 68.32 करोड़ का कलेक्शन किया था।
फिल्म उरी और बाला को करियर का टर्निंग पॉइंट मानती हैं
करियर के टर्निंग पॉइंट के बारे में बात करूं तो वो फिल्म उरी:द सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आया है। मैं और फिल्म के डायरेक्टर आदित्य धर जो मेरे पति भी हैं, हम दोनों मानते हैं कि उरी के बाद वैसी कोई दूसरी फिल्म का बनना थोड़ा मुश्किल है।
दूसरा उसी साल 2019 में फिल्म बाला रिलीज हुई थी। किसी को भरोसा ही नहीं हुआ था कि मैं काॅमेडी भी कर सकती हूं। फिर मैं फिल्म थर्सडे में दिखी, जिससे भी लाइफ में कई बड़े बदलाव आए।
यामी बहुत ही रिजर्व नेचर की हैं। पैपराजी को भी उन्हें कवर करने का मौका कम ही मिलता है। बाॅलीवुड पार्टीज या किसी इवेंट में भी उनका आना कम ही होता है। इस पर वे कहती हैं- मैं काम और अपनी पर्सनल लाइफ को बहुत अलग रखती हूं।
मैं जिस तरह का काम कर रही हूं या करूंगी, उसमें ईमानदारी का होना बहुत जरूरी होता है। मैं काम में भी मिलावट नहीं करती हूं। हर एक रोल को मैं खुल कर जीती हूं।
मैं किसी को गलत नहीं ठहरा रही हूं, सबका अपना नजरिया है, मगर आज मार्केट वैल्यू को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। सोशल मीडिया पर आपको ट्रेंड करना चाहिए, वहां पर ग्लैमरस फोटोज होनी चाहिेए। आपके बारे में खूब सारी अच्छी चीजें लिखी जानी चाहिए। हर अवाॅर्ड फंक्शन में जाना जरूरी है।
मैं ये नहीं कह रही हूं कि इन चीजों से अलग हूं। मुझे भी सबकी जानकारी है, पर ये सारी चीजें मुझे खुशी नहीं देती हैं। बार-बार एक ही काम के लिए तारीफ सुनना भी अच्छा नहीं लगता है।
मुझे पैपराजी के सामने जाना पसंद नहीं है। लोग कहते हैं कि अवाॅर्ड फंक्शन और पार्टीज में जाना जरूरी होता है, उसी के आधार पर नए-नए प्रोजेक्ट्स मिलते हैं, पर मैं इन चीजों को नहीं मानती। मुझे लगता है कि पिछले काम के आधार पर मुझे काम मिल सकता है। लाइमलाइट में फंसने से बढ़िया मैं अपने काम पर फोकस करना चाहती हूं।