भारत समेत पूरी दूनिया इस समय कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus in India) से जूझ रही है. कई देशों ने वैक्सीनेशन (Corona vaccine) के चलते इस महामारी पर नियंत्रण कर लिया है. लेकिन भारत समेत कुछ देश अभी भी इसकी दूसरी लहर का सामना कर रहे हैं. इस बीच विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने वैक्सीन के पेटेंट को लेकर प्रतिक्रिया दी है. डब्ल्यूटीओ का कहना है कि ऐसी संभावना है कि वो दिसंबर तक वैक्सीन के पेटेंट को लेकर कोई हल निकाल लेगा.
डब्ल्यूटीओ की प्रमुख जोजी कोंजो इजिएला ने सोमवार को कहा कि उन्होंने उन ‘दोनों पक्षों का आंदोलन’ देखा है जिसमें एक छूट के प्रस्तावक हैं और दूसरों के पास आपत्तियां हैं. इसमें वह भी हैं तो छूट के मुद्दे पर एक रूपरेखा समझौते के लिए आशान्वित थे. तकनीकी हस्तांतरण और विकासशील देशों के लिए टीकों की बेहतर पहुंच के लिए भी ये आशांवित थे.
डब्ल्यूटीओ की प्रमुख ने कहा कि इस तरह के सौदे के लिए दिसंबर एक अंतरिम सीमा थी. डब्ल्यूटीओ इस साल 20 विकासशील देशों के समूह की अध्यक्षता करेगा.
इसमें व्यावहारिकता पर जोर दिेते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि कैसे विकासशील देशों को टीके मिलें, कैसे ये टीके अधिक मात्रा में मिलें और कैसे इसी उत्पादन क्षमता बढ़े, इसके लिए जिम्मेदार लोगों की बैठक होगी.’अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले हफ्ते कोरोना वैक्सीन के लिए पेटेंट संरक्षण, फार्मास्यूटिकल कंपनियों को नाराज करने और कई यूरोपीय देशों के विरोध को गति देने के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका से एक कॉल का समर्थन किया.
विशेषज्ञों का कहना है कि छूट लेने वालों को बातचीत करने में कई साल लग सकते हैं और वे तेजी से अधिक वैक्सीन की खुराक के निर्माण की तत्काल आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकते.
जोजी कोंजो इजिएला ने कहा कि वह समझती हैं कि छूट देने वाले प्रस्तावक एक संशोधित प्रस्ताव तैयार कर रहे थे, जिसके बारे में उन्हें उम्मीद थी कि डब्ल्यूटीओ को जल्द से जल्द पेश किया जाएगा, ताकि मई के अंत तक सभी पक्ष बातचीत करने के लिए बैठ जाएं