आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी में तैयारी को नया आयाम देने का काम किया जा रहा है जहां एक तरफ मुख्यालय में लगातार बैठकों का दौर जारी है और आगामी लोकसभा चुनाव की लिए रणनीतियां तैयार की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी अब बूथ कमेटी के बुनियादी ढांचे में भी बदलाव करने की तैयारी में है। अब बूथों में भी सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से बीजेपी अपनी रणनीति तैयार करने वाली है।
अब लोकसभा चुनाव में लगभग 5 महीने से भी काम का समय बाकी है ऐसे में भाजपा अब निचले स्तर से बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है उत्तर प्रदेश की करीब 164000 बूथों पर अब कमेटी का अध्यक्ष उसी जाति का बनाया जाएगा जिस जाति के लोग उस बूथ पर प्रभावी होंगे। जिससे कि बीजेपी उसे बूथ पर अपनी पकड़ को मजबूत कर सके।
बूथ लेवल पर लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए अब तक बीजेपी ने दो चरणों में इस अभियान को संचालित किया है जिसमें अब तक सभी नए वोटरों को जोड़ने पर फोकस किया गया था। लेकिन अब तीसरे चरण में बीजेपी इस सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से अपने बूथ को मजबूत करने की तैयारी में है। अब तक बीजेपी के सामने बूथ कमेटी के सदस्यों की कमी सबसे बड़ी चुनौती थी। जिसको पूरी तरह से दूर करने की तैयारी में बीजेपी जुट चुकी है जिससे बूथ पर सीधा फ़ोकस हो ।
भारतीय जनता पार्टी के तीसरे चरण के अभियान में सभी मोर्चों को भी जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन बूथ कमेटी का ख़ास फ़ोकस युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, किसान मोर्चा के साथ अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्यों को शामिल करना होगा।