महिलाएं बच्चे पैदा करने के लिए हैं, मंत्री पद संभालने के लिए नहीं- तालिबान

तालिबान प्रवक्ता ने कहा- महिलाओं को बच्चे पैदा करना चाहिए तालिबान की ओर से कहा गया कि महिलाएं मंत्रालय संभालने के लिए नहीं होती तालिबान ने यह घोषणा की थी कि पुरुष शिक्षक महिलाओं को नहीं पढ़ा सकते हैं

काबुल : अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद स्थिति दिन-प्रतिदिन बदलती जा रही है । पूरे विश्व की नजर अफगानिस्तान की स्थिति पर है । ऐसे में कई वैश्विक और बड़े देशों ने अफगानिस्तान की मदद और वित्तीय सहायत पर रोक लगा दी है ।

प्रसारण उद्योग में सह-शिक्षा और महिला प्रतिनिधित्व पर प्रतिबंध जैसे सख्त फरमानों के बाद, तालिबान के एक प्रवक्ता को हाल ही में यह कहते हुए सुना गया कि महिलाएं केवल बच्चों को जन्म देने के लिए होती हैं न कि मंत्रालय संभालने के लिए ।

तालिबान के प्रवक्ता सैयद जकरुल्ला हाशिमी को एक टेलीविजन साक्षात्कार में टोलो न्यूज से बात करते हुए कहा कि ‘एक महिला मंत्री नहीं हो सकती। यह ऐसा है जैसे आपने उसके गले में कुछ डाल दिया जिसे वह नहीं उठा सकती । एक महिला के लिए कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है, उन्हें बच्चों को जन्म देना चाहिए और महिला प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान में सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती हैं । ‘ इस सप्ताह की शुरुआत में, तालिबान सुरक्षा बलों ने पत्रकारों तकी दरयाबी और नीस को हिरासत में लिया था ।

इस सप्ताह की शुरुआत में, तालिबान सुरक्षा बलों ने एतिलात-ए-रोज़ के लिए काम करने वाले पत्रकारों तकी दरियाबी और नेमत नकदी को हिरासत में लिया और काबुल में महिलाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन को कवर करने के लिए कथित तौर पर उन्हें कोड़े मारे गए । इस बर्बरता की तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई थी ।

पिछले महीने, तालिबानी शिक्षा मंत्रालय ने एक फरमान जारी किया था , जिसके तहत पुरुष शिक्षकों को लड़कियों को पढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी ।

अफगान पत्रकार बशीर अहमद ग्वाख ने ट्विटर पर घोषणा की थी कि ‘तालिबान ने आधिकारिक तौर पर सहशिक्षा पर प्रतिबंध की घोषणा की । ‘पुरुषों को लड़कियों को पढ़ाने की अनुमति नहीं होगी । तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्री कहते हैं – यह प्रभावी रूप से लड़कियों को उच्च शिक्षा से वंचित करेगा क्योंकि विश्वविद्यालय इसका वहन नहीं कर सकते हैं और न ही पर्याप्त मानव संसाधन है । “

तालिबान ने शुरू में आश्वासन दिया था कि वह शरिया कानून के तहत अफगान महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उनके वायदे और आश्वासन झूठे थे । सच्चाई कुछ और ही निकलकर सामने आ रही है ।