डेनमार्क की कंपनी की मदद से आईआईटी दिल्ली के छात्र खोजेंगे कचरा प्रबंधन की नई तकनीक

जल प्रदूषण और नदियों की सफाई के रास्ते में बड़ी बाधा शहरों की बड़ी नालियां और नाले हैं, क्योंकि यह सीधा उसमें गिरते हैं। इस समस्या से निजात दिलाने के लिएभारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी),दिल्लीमें भारत सरकार और डेनमार्क की एक कंपनी की मदद से जल्द ही एक विशेष केंद्र शुरू होगा।

‘डीईएसएमआई सेंटर ऑफ एक्सिलेंस ऑन वेस्ट टु वेल्थ वेल्थ’नामक इस केंद्र की स्थापना के लिए शुक्रवार कोडीसएमआई,डेनमार्क के ग्रुप सीईओ हेनरिक सोरेनसेन और आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रामगोपाल राव और भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजय राघवन नेएक एमओयू परहस्ताक्षर किए।समझौते के तहतआईआईटी दिल्ली और डीईएसएमआईनालोंको साफ करने के लिए नए यांत्रिक उपकरणों को अनुकूलित करने,संशोधित करने और बनाने के लिए एक साथ कामकरने पर सहमत हुए हैं।

डीईएसएमआई सेंटर फॉर एक्सीलेंस (सीऑफई)की मदद सेदिल्ली में बाबरपुर, बारापुल्ला और अन्य जल निकायों की नालियों से तैरते हुए मलबे को हटाने और एकत्र किए गए मिश्रितकचरेसे संसाधन उत्पन्न करना है।यहांकूड़े के ट्रीटमेंट के लिए कई तकनीकों को खोजा जाएगाताकि उनका इस्तेमालदेशकेअन्यशहरों में किया जा सके।

विजयराघवनने कहा हमें अपने जलमार्गों को साफ करने की आवश्यकता हैक्योंकि यह सीधाहमारी नदियों और महासागरों मेंगिरतेहैं। इसके साथ ही,हमें अपने नजरिये को बदलने की जरूरत है ताकि हम अपनेकचरे को खुले में न फेंके।

प्रो. रामगोपाल राव ने कहा यह आईआईटी दिल्ली की एक प्रमुख पहल है जिसमें भारत सरकार,एक शैक्षणिक संस्थान और उद्योग साझेदार हैं। यह साझेदारी कचरा प्रबंधन की समस्याओं को हल करने के लिए है।