अपने हुनर से सत्यन ने मलयाली सिनेमा को भारतीय सिनेमा के नक्शे पर जगह दिलाई

आज की कहानी है मलयाली सिनेमा के होनहार और दमदार एक्टर मास्टर सत्यन की। वैसे नाम तो इनका सत्यनेशन था, हालांकि रियलिस्टिक एक्टिंग में इन्हें वो महारत हासिल थी कि हर कोई इन्हें मास्टर सत्यन ही कहता था। इंडियन सिनेमा के इतिहास में जब मैलोड्रामेटिक रोल पसंद किए जाते थे, तब मास्टर सत्यन ने मेथड और रियलिस्टिंग एक्टिंग से स्टारडम हासिल किया। पर्दे पर ही नहीं, ये असल जिंदगी के भी हीरो थे। फिल्मों में आने से पहले ये क्लर्क की नौकरी छोड़कर ब्रिटिश राज में आर्मी कमिशंड ऑफिसर रहे। वर्ल्ड वॉर-2 के बाद पुलिस इंस्पेक्टर बनने वाले मास्टर सत्यन को एक संयोग फिल्मों तक ले आया।
अपने हुनर से सत्यन ने मलयाली सिनेमा को भारतीय सिनेमा के नक्शे पर जगह दिलाई। उनकी फिल्में ऐसी हुआ करती थीं, जो आज भी कमल हासन और मोहनलाल जैसे सुपरस्टार्स की पसंदीदा फिल्में हैं। ल्यूकेमिया से महज 58 साल की उम्र में दुनिया छोड़ गए मास्टर सत्यन के नाम मलयाली सिनेमा में आज भी 3 बड़े अवॉर्ड दिए जाते हैं।
तिरुवनंतपुरम के थ्रिक्कन्नपुरम में जन्मे मास्टर सत्यन का पूरा नाम चेरुविलाकाठू वीटिल मैन्यूल स्तयानेसन नादार था। क्रिश्चियन परिवार के सबसे बड़े रहे मास्टर सत्यन के 4 छोटे भाई छेलैया, नेशन, देवदास और जैकब थे। मास्टर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई करते हुए सत्यन ने विद्वान एग्जाम पास किया था। पढ़ाई पूरी होते ही उन्हें केरल सेक्रेट्रिएट में क्लर्क की नौकरी मिल गई।
1 साल में ही मास्टर सत्यन क्लर्ल की आम नौकरी से उकता गए और कुछ बड़ा करने के लिए नौकरी छोड़ दी। महीनों तक कड़ी मेहनत की और आखिरकार 1941 में उनकी मेहनत रंग लाई। मास्टर सत्यन को ब्रिटिश आर्मी में वायसराय के कमिशंड ऑफिसर की नौकरी मिल गई।
ब्रिटिश राज में मास्टर सत्यन वर्ल्ड वॉर-2 के समय मणिपुर, बर्मा (अब म्यांमार), मलेशिया में पोस्टेड रहे। वर्ल्ड वॉर-2 खत्म होने के बाद मास्टर सत्यन ने आर्मी की नौकरी भी छोड़ दी और त्रावणकोर आकर स्टेट पुलिस में पुलिस इंस्पेक्टर बन गए।
मास्टर सत्यन का फिल्मों में जगह बनाना एक बड़ा संयोग रहा। त्रावणकोर के मिलिटेंट कम्युनिस्ट मूवमेंट के दौरान सत्यन आलप्पुझा के नॉर्थ पुलिस स्टेशन में इंस्पेक्टर थे। इस दौरान उनकी मुलाकात फिल्म म्यूजिशियन सिबेस्चियन कुंजुकुंजू भगवतार से हुई। दोनों की दोस्ती गहरी होती चली गई और सिबेस्चियन उन्हें अपने साथ फिल्मी पार्टीज में ले जाने लगे। एक पार्टी के दौरान सिबेस्चियन ने मास्टर सत्यन की मुलाकात कुछ फिल्मी हस्तियों और प्रोड्यूसर से करवाई।पार्टी में ही एक प्रोड्यूसर मास्टर सत्यन की दमदार पर्सनालिटी देखकर इतना इंप्रेस हो गया कि उसने उन्हें एक फिल्म में काम देने का वादा कर दिया। हालांकि, पार्टी के बाद सत्यन के पास न उस प्रोड्यूसर का कॉल आया, न ही उन्हें किसी फिल्म का ऑफर मिला। वो फिल्म तो नहीं बनी, लेकिन सत्यन ने अब फिल्मों में आने की ठान ली थी।
जब उन्हें पता चला कि डेली न्यूज पेपर के चीफ एडिटर और उनके पड़ोस में रहने वाले के. बालाकृष्णन एक फिल्म बना रहे हैं, तो उन्होंने तुरंत उसकी जानकारी जुटानी शुरू कर दी। उन्होंने फिल्म में काम करने की मंशा से पड़ोसी के. बालाकृष्णन से संपर्क किया। के. बालाकृष्णन, सत्यन के लुक से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने फिल्म त्यागसीमा में उन्हें कास्ट कर लिया।
फिल्मों में आने के लिए सत्यनेशन ने अपना नाम छोटा कर सत्यन कर लिया। जैसे ही उन्होंने फिल्म की शूटिंग शुरू की तो पुलिस महकमे में हंगामा मच गया। इस बात की खबर जब डिप्टी सुप्रिटेंडेंट ऑफ पुलिस मैरी अरपुथम को लगी, तो उन्होंने साफ कह दिया कि पुलिस की नौकरी करते हुए सत्यन को फिल्मों में काम करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
नौकरी पर खतरा आ गया, लेकिन ये भी उनके हीरो बनने के जुनून के आगे छोटी थी। उन्होंने पुलिस विभाग के नियमों का पालन करते हुए इस्तीफा दे दिया। आत्मसम्मान के लिए सत्यन ने फिल्म त्यागसीमा भी छोड़ दी, जबकि उस फिल्म का कुछ हिस्सा शूट किया जा चुका था। उनकी जगह फिल्म में प्रेम नजीर को हीरो बनाया गया
फिल्म त्यागसीमा की शूटिंग के दौरान प्रोड्यूसर और डायरेक्टर पी.सुब्रमण्यम, सत्यन की एक्टिंग देखकर काफी इंप्रेस हुए थे। जब 1952 में उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी नीला प्रोडक्शन्स की शुरुआत की, तो पहली फिल्म आत्मसखी के लिए उन्होंने सत्यन को ही हीरो चुना। इस तरह 1952 में रिलीज हुई मलयाली फिल्म आत्मसखी सत्यन की पहली फिल्म बनी। पहली ही फिल्म से सत्यन ने मस्कुलर बॉडी और दमदार स्टाइल से हर किसी का ध्यान खींच लिया।
फिल्म आत्मसखी की कामयाबी के 2 साल बाद सत्यन फिल्म नीलाक्कुयिल में श्रीधरन नायर नाम के एक अपर क्लास आदमी के रोल में नजर आए, जो एक दलित लड़की से प्यार करता है। ये फिल्म मलयाली सिनेमा के इतिहास के लिए माइलस्टोन साबित हुई। फिल्म की चर्चा सिर्फ मलयाली रीजन नहीं बल्कि देशभर में थी। फिल्म ने रजत कमल (सिल्वर लोटस अवॉर्ड) हासिल किया
फिल्म नीलाक्कुयिल को पहली ऑथेंटिक मलयाली फिल्म कहा गया, जिससे देशभर में मलयाली सिनेमा को पहचान मिली। भारतीय सिनेमा के नक्शे पर मलयाली सिनेमा को पहचान दिलाने वाले सत्यन इस फिल्म से स्टारडम हासिल कर मेटनी आइडल बने।
फिल्म नीलाक्कुयिल के बाद सत्यम को उनकी रियलिस्टिक एक्टिंग के लिए मास्टर सत्यम कहा जाने लगा। उनकी तुलना उस जमाने के इकलौते मलयाली सुपरस्टार थिक्कुरिस्सी सुकुमारन नायर से होती थी। उन्होंने मलयाली फिल्म ओडायिल निन्नू, दहम, याक्शी जैसी फिल्मों में बेहतरीन एक्टिंग से खुद को मलयाली सुपरस्टार साबित किया।
मास्टर सत्यन द्वारा निभाया गया फिल्म ओथेनम थचोली में ओथेनल का किरदार देशभर में चर्चित हुआ। उनकी परफॉर्मेंस मलयाली सिनेमा के लिए लैंडमार्क बन गई। इस हिस्टोरिकल ड्रामा फिल्म ने 1964 में बेस्ट मलयाली फिल्म का नेशनल अवॉर्ड जीता था।
फिल्म थाचोली ओथेनन के बाद मास्टर सत्यन ने 1966 की फिल्म चेम्मीन साइन की। ये फिल्म मछुआरों की कहानी पर आधारित साउथ की पहली एक्सपैरिमेंटल फिल्म थी, जिसे 1956 की नोवल चेम्मीन पर बनाया जा रहा था। फिल्म में मास्टर सत्यन ने मछुआरे पलानी का रोल किया, जिसमें उनकी हीरोइन मलयाली एक्ट्रेस शीला थीं। इस फिल्म की शूटिंग केरल के तटीय इलाके नट्टिका में हुई। मछुआरों पर फिल्म बनती देख नट्टिका के असल मछुआरे इतने खुश थे कि उन्होंने अपने घर और नाव मुफ्त में प्रोडक्शन टीम को दे दी।
फिल्म की शूटिंग के दौरान एक बड़ा हादसा हुआ, जिससे मास्टर सत्यन मरते-मरते बचे। फिल्म के एक सीन की शूटिंग के दौरान मास्टर सत्यन की नाव पलट गई और तेज बहाव में फंसने से वो डूबते-डूबते बचे। मौके पर मौजूद क्रू मेंबर्स ने जैसे-तैसे उनकी जान बचाई।
फिल्म चेम्मीन मलयाली सिनेमा की पहली फिक्शनल फिल्म थी। फिल्म की कहानी के अनुसार, अगर किसी मछुआरे की पत्नी उसकी गैर-मौजूदगी में अपने पति को धोखा देती तो समुद्र की देवी उसके मछुआरे पति की जान ले लेती। फिल्म में मछुआरों को असभ्य दिखाने पर फिल्म काफी विवादों में रही। विवादों और सेंसरबोर्ड की वजह ये फिल्म 1965 की जगह 19 अगस्त 1966 को रिलीज हुई।
टेक्नीक और आर्टिस्टिक अप्रोच के चलते ये साउथ सिनेमा की पहली क्रिएटिव फिल्म मानी गई। आज भी फिल्म चेम्मीन भारतीय सिनेमा के इतिहास की कल्ट क्लासिक फिल्मों में गिनी जाती है। फिल्म चेम्मीन ब्लॉकबस्टर रही, जिसने कई बड़े रिकॉर्ड तोड़े। फिल्म को कई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में जगह और सम्मान मिला। फिल्म को कांस फिल्म फेस्टिवल में गोल्ड मेडल और शिकागो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट से नवाजा गया। ये अवॉर्ड्स और सम्मान जीतने वाली फिल्म चेम्मीन पहली भारतीय फिल्म है।
मोहनलाल और कमल हासन की पसंदीदा फिल्मों में शामिल है चेम्मीन
साल 2005 में एक्टर मोहनलाल ने बताया कि फिल्म चेम्मीन उनकी सबसे पसंदीदा फिल्मों में से एक है। वहीं 2017 में कमल हासन भी अपने फेवरेट फिल्मों में चेम्मीन को शामिल कर चुके हैं।
नीलाक्कुयिल, याक्शी, चेम्मीन जैसी मलयली सिनेमा का नक्शा बदलने वाली फिल्में देने के बावजूद मास्टर सत्यन को कभी कोई अवॉर्ड नहीं दिया। आखिरकार ये हो सका साल 1969 की फिल्म कडलपलम से। इस फिल्म में सत्यन ने एक ऐसे वकील की भूमिका निभाई, जिसकी आंखों की रोशनी चली जाती है। नौकर के सहारे जी रहे वकील की जब आंखों की रोशनी वापस आती है, तो वो अपने बच्चों की परीक्षा लेने के लिए अंधा बने रहने का ड्रामा करते हैं। इस फिल्म में सत्यन ने वकील नारायण के साथ-साथ उसके बेटे रघु का डबल रोल निभाया। बेहतरीन अंदाज में डबल रोल निभाने के लिए मास्टर सत्यन को 1969 में पहला बेस्ट एक्टर का स्टेट केरल अवॉर्ड मिला।
मास्टर सत्यन ने सुपरस्टार बनने के बाद क्रिश्चियन जेस्सी से शादी की, जिससे उन्हें 3 बेटे प्रकाश, सतीश और जीवन हुए। साल 1970 में उन्हें ल्यूकेमिया डायग्नोज हुआ। करीब 1 साल तक चले इलाज के बाद 15 जून 1971 में मास्टर सत्यन ने दम तोड़ दिया।
58 साल के सत्यम का निधन चेन्नई में हुआ था। जिसके बाद में उन्हें अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव तिरुवनंतपुरम ले जाया गया, जहां स्टेट ऑनर के साथ उन्हें आखिरी बिदाई दी गई। उनके अंतिम संस्कार में उनके हजारो फैंस पहुंचे थे।
फिल्म अनुभवंगल पालीचकल मास्टर स्तयन की मौत के 2 महीने बाद 6 अगस्त 1971 को और फिल्म काराकनकडल मौत के 3 महीने बाद सितंबर 1971 में रिलीज हुई थी।
मौत के कुछ सालों बाद मास्टर सत्यन की याद में तिरुवनंतपुरम में सत्यन मेमोरियल आर्ट गैलरी बनाई गई है। साल 2017 में मास्टर सत्यन की फिल्म चेम्मीन की रिलीज के 50 साल पूरे होने के खास मौके पर केरल स्टेट गवर्नमेंट ने गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन रखा था। 8 अप्रैल 2017 को आलप्पुझा में हुए इस प्रोग्राम का उद्घाटन मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने किया था। आज भी मलयाली सिनेमा में मास्टर सत्यन के नाम पर 3 बड़े अवॉर्ड सत्यन नेशनल फिल्म अवॉर्ड, सत्यन अवॉर्ड और सत्यन मेमोरियल अवॉर्ड दिए जाते हैं।
मलयाली सिनेमा के मशहूर एक्टर जयसूर्या, मास्टर सत्यन की जिंदगी पर बन रही बायोपिक में उनका किरदार निभाने वाले हैं। इस बायोपिक की अनाउंसमेंट साल 2019 में की गई थी। फिल्म को फ्राइडे फिल्म हाउस द्वारा प्रोड्यूस किया जा रहा है