जम्मू-कश्मीर सियासी की तस्‍वीर क्या परिसीमन आयोग की अंतिम रिपोर्ट से बदल जाएगी

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के पुनर्गठन को लेकर गठित परिसीमन आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसके तहत सात और विधानसभा सीटों को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है जिनमें जम्मू से छह और कश्मीर से एक विधानसभा सीट शामिल है। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति के लिए 16 सीटें आरक्षित रखने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें नौ सीटें एसटी और सात सीटें एससी के लिए होंगी।
इन प्रस्तावों के लागू होने के बाद जम्मू के खाते में विधानसभा की कुल सीटों की संख्या 37 से बढ़कर 43 हो जाएंगी, जबकि कश्मीर के खाते में 46 से बढ़कर 47। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल सीटें 90 हो जाएंगी। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल सीटें 87 थीं। परंतु, लद्दाख के अलग होने के बाद विधानसभा की चार सीटें कम हो गई थीं और 83 सीटें ही बची थीं।
इस बीच, परिसीमन आयोग ने दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक की। आयोग की अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा, राज्य निर्वाचन आयुक्त के साथ नेशनल कांफ्रेस के अध्यक्ष व सांसद डा.फारूक अब्दुल्ला, केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह, सांसद मोहम्मद अकबर लोन, सांसद हसनैन मसूदी, सांसद जुगल किशोर शर्मा सहित परिसीमन आयोग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
खासबात यह है कि इससे पहले हुई आयोग की बैठक का नेशनल कांफ्रेस ने विरोध किया था। परिसीमन आयोग में जम्मू-कश्मीर से जुड़े सभी सांसदों को बतौर सदस्य शामिल किया है। ऐसे में सोमवार को हुई बैठक को बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि आयोग ने अपने प्रस्ताव पर सभी सासंदों से 31 दिसंबर तक सुझाव देने को कहा है।
बैठक के बाद जितेंद्र सिंह ने कहा कि परिसीमन के लिए जो आयोग ने मानक अपनाए हैं उस पर नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं ने संतोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि आयोग ने उल्लेखनीय काम किया है। सभी संबद्ध सदस्यों ने उसके काम की सराहना की है और आगे भी उसे सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई है। आयोग से जुड़े अधिकारियों की मानें तो सुझाव आने के बाद परिसीमन की सिफारिश को सार्वजनिक कर दिया जाएगा
फिलहाल इस पहल को जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बदलाव से जम्मू की भागीदारी बढ़ेगी। वैसे भी परिसीमन का यह काम जनसंख्या को ही आधार बनाकर किया गया है। गौरतलब है कि आयोग ने इससे पहले जम्मू-कश्मीर का दौरा भी किया था। साथ ही स्थानीय लोगों से परिसीमन को लेकर राय भी ली थी।