ऑस्ट्रेलियाई ओपनर डेविड वॉर्नर 3 जनवरी से पाकिस्तान के खिलाफ करियर का आखिरी टेस्ट मैच खेलने उतरेंगे। अभी तक वो 111 टेस्ट खेल चुके हैं, जिसमें 44.58 की औसत और 70 की स्ट्राइक रेट से 8695 रन बना चुके हैं। ऐसे में वॉर्नर के संन्यास के बाद उन्हें रिप्लेस करना सलेक्टर्स के लिए एक बड़ी चुनौती है।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को वॉर्नर के टेस्ट डेब्यू के बाद से ही ओपनर के स्थान के लिए ज्यादा सोचने की आवश्यकता नहीं पड़ी, क्योंकि ओपनिंग का एक छोर हमेशा वॉर्नर ने थामे रखा था। हालांकि, अब क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने जता दिया है कि वो टीम में वॉर्नर जैसे ही खिलाड़ी को सलेक्ट करना चाहेंगे, जो टीम के एक छोर को संभाले रखें। क्योंकि, उन्हें न्यूजीलैंड, श्रीलंका, वेस्टइंडीज के खिलाफ इस साल सीरीज खेलनी हैं। सबसे पहले जानते हैं कि वॉर्नर को रिप्लेस करना क्यों मुश्किल है
वॉर्नर को टेस्ट में रिप्लेस करने के प्रबल दावेदारों में कैमरून बैनक्रॉफ्ट, मैट रेनशॉ और मार्कस हैरिस का नाम शामिल है। तीनों ही खिलाड़ी शेफील्ड शील्ड में ओपनर के तौर पर 2021 से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं
- बैनक्रॉफ्ट: 52 पारियों में सर्वाधिक 2384 रन बनाए हैं। 50+ की औसत से 10 शतक लगाए हैं।
- हैरिस: तीसरे हाईएस्ट स्कोरर हैं। 5 शतक और 37.68 की औसत से 1545 रन बनाए।
- रेनशॉ: रेनशॉ की औसत टूर्नामेंट में दूसरी सर्वाधिक है। 19 पारियां 658 रन बनाए।
बैनक्रॉफ्ट ने बॉल टेम्परिंग मामले के बाद से कोई टेस्ट नहीं खेला। रेनशॉ फर्स्ट क्लास में नंबर-5 की पोजीशन पर खेलते हुए ज्यादा सफल हुए हैं। हैरिस ने काउंटी में बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया है लेकिन घरेलू मैच में औसत रहे हैं।
विदेश में दावेदारों का प्रदर्शन:
ऑस्ट्रेलियाई सलेक्टर्स वॉर्नर का रिप्लेसमेंट घोषित करते वक्त विदेश में प्रदर्शन पर तवज्जो देंगे। इस रेस में रेनशॉ सबसे आगे हैं। रेनशॉ का ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और द.अफ्रीका/न्यूजीलैंड में औसत 40+ है।