क्या चंद महीने दिवालिया होने से बच जाएगा PAK ? जानिए

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर का लोन जारी करने का फैसला किया है। खास बात यह है कि पाकिस्तान सरकार और IMF के बीच यह डील 30 जून को हुई। ये इसलिए बेहद अहम है, क्योंकि 30 जून को ही पाकिस्तान को मिला IMF का पिछला पैकेज खत्म हो रहा था।
इसके मायने ये हैं कि अगर 30 जून तक यह डील नहीं हो पाती तो उसे नए सिरे से और नए पैकेज के लिए IMF से बातचीत करनी पड़ती और बहुत मुमकिन है कि तब तक तो पाकिस्तान दिवालिया हो जाता।

3 अरब डॉलर की जो डील अब हुई है, उसके लिए 8 महीने बातचीत चली। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ खुद एक हफ्ते में चार बार IMF चीफ क्रिस्टलिना जिर्योजिवा से मिले।
पाकिस्तान के अखबार ‘द डॉन’ ने डील पर एक रिपोर्ट पब्लिश की। इसमें कहा गया- शाहबाज शरीफ ने भले ही डील का ऐलान कर दिया हो, लेकिन इस पर आखिरी फैसला जुलाई में IMF बोर्ड मीटिंग में होगा। बहरहाल, इतना तो तय हो चुका है कि कुछ दिन देरी से ही सही पाकिस्तान के सरकारी खजाने में 3 अरब डॉलर पहुंच जाएंगे और हम डिफॉल्ट होने से बच जाएंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक- 2019 में कुल 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर IMF से डील हुई थी। यह 30 जून 2023 तक वैलिड थी। मायने ये कि पैकेज एक्सपायर होने के आखिरी दिन ही हम डिफॉल्ट होने से बचे। एक अच्छी खबर यह है कि 2019 के प्रोग्राम के 2.5 अरब डॉलर बकाया थे, लेकिन IMF 3 अरब डॉलर दे रहा है। अब सरकार इसका इस्तेमाल कैसे करती है, ये उस पर डिपेंड करता है

पाकिस्तान को इस साल नवंबर तक 17 अरब डॉलर बतौर कर्ज की किस्त चुकाना हैं। IMF से 3 अरब डॉलर मिलने का फायदा सिर्फ ये होगा कि सऊदी अरब, UAE और चीन जैसे देश उसे या तो नया कर्ज देंगे या फिर पुराने कर्ज की किस्तें चुकाने की मियाद बढ़ा देंगे। इन मुल्कों की शर्त ये थी कि पहले IMF पाकिस्तान को कर्ज दे, इसके बाद ये देश फंड देंगे। दूसरे शब्दों में इन्हें अपने पैसे की गारंटी चाहिए थी।
बहरहाल, ये देश जो नया कर्ज देंगे वो सिर्फ फॉरेक्स रिजर्व होगा। इसका मतलब ये हुआ कि ये देश जो पैसा देंगे उसे बतौर गारंटी डिपॉजिट सरकारी खजाने में रखा जा सकता है। इसमें से कोई पैसा बिना उस देश की मंजूरी के खर्च नहीं किया जा सकेगा।
इस डील के बाद पाकिस्तान ऑयल, गैस और फूड प्रोडक्ट्स इम्पोर्ट कर सकेगा और ये शाहबाज सरकार के लिए राहत की बात है, क्योंकि अक्टूबर में आम चुनाव होने वाले हैं और पाकिस्तान में महंगाई दर 40% से ज्यादा हो चुकी है। सरकार को इस डील से चंद महीने की राहत मिल गई है, क्योंकि वो घरेलू और विदेशी बैंकों से कुछ लाख डॉलर लेकर महंगाई काबू कर सकती है। इसका उसे सियासी फायदा होना तय है।
शाहबाज बोले- चीन के अहसानमंद
शुक्रवार को डील का ऐलान करते हुए शाहबाज शरीफ के साथ फाइनेंस मिनिस्टर इशाक डार भी मौजूद थे। शरीफ ने कहा- जब भी किसी इंटरनेशनल लीडर से मिलता हूं तो उसके चेहरे को देखकर लगता है, जैसे उसे इस बात का डर हो कि मैं उनसे कर्ज मांगने ही आया हूं।

पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम शाहबाज ने आगे कहा- चीन की कमर्शियल बैंक ने हमें मुश्किल वक्त में 5 अरब डॉलर का लोन दिया। सऊदी अरब जल्द ही 2 अरब डॉलर देगा। इसके अलावा UAE और इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक 1-1 अरब डॉलर देने का वादा किया है।
फरवरी में पाकिस्तान बिल्कुल डिफॉल्ट होने की कगार पर था। उसी दौरान वित्त मंत्री डार ने एक बयान दिया। कहा- हम अपने फैसले खुद करेंगे। आईएमएफ हमें डिक्टेशन नहीं दे सकता।
इसके बाद MF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलिना जियोर्जिवा ने कहा- सबसे पहले तो पाकिस्तान को एक मुल्क की तरह बर्ताव करना सीखना होगा। पाकिस्तान एक ऐसी खतरनाक जगह बनती जा रही है जहां कर्ज के सहारे ही सिस्टम चल रहा है। सवाल ये है कि IMF आपको लोन देता है, लेकिन आप इसका इस्तेमाल गरीबों की भलाई के बजाय इस तरीके से करते हैं कि इसका फायदा मुल्क के अमीरों को होता है। उस पर इस वक्त 123 अरब डॉलर का कर्ज है। महंगाई दर 40% से ज्यादा हो चुकी है।
चीन ने धोखा दिया था
पाकिस्तान के अखबार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- फाइनेंस मिनिस्टर भले ही सऊदी अरब और चीन से नए लोन मिलने का दावा कर रहे हों, लेकिन हकीकत कुछ और है। नवंबर 2022 में में दोनों देशों से बातचीत हुई थी और अब तक इनकी तरफ से कोई पैसा मिलना तो दूर, वादा भी नहीं किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन तो एक कदम आगे निकल गया। उसने पाकिस्तान से 1.3 अरब डॉलर की किश्त मांग ली थी। पाकिस्तान सरकार ने चीन की इस हरकत पर कुछ नहीं कहा। डार दावा कर रहे हैं कि सऊदी अरब से बातचीत जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही वहां से 3 अरब डॉलर मिल जाएंगे। दूसरी तरफ, सऊदी अरब ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है।
‘ग्रीक सिटी टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में IMF चीफ ने कहा- पाकिस्तान से हम शुरुआत में दो चीजों पर फोकस करने को कह रहे हैं। पहला- टैक्स कलेक्शन बढ़ाइए। हैरानी की बात है कि वहां चंद लाख लोग ही टैक्स देते हैं और इनके पास बेहिसाब दौलत है। दूसरा- सब्सिडी सिस्टम बदलें। ये कौन सा तरीका का IMF से पैसा लेकर जाते हैं और इसका फायदा अमीरों को होता है। हकीकत में जिन गरीबों की इसकी जरूरत है, उनके पास तो कुछ पहुंचता ही नहीं।
इससे पहले 9 जून को पाकिस्तान सरकार ने 50.45 बिलियन डॉलर का बजट पेश किया था। पाकिस्तानी सरकार ने वित्त वर्ष 2024 के लिए कुल एक्सपेंडिचर (खर्च) 13.32 लाख करोड़ रुपए रखा था। इसका 55% हिस्सा कर्ज और उसकी ब्याज चुकाने में खर्च होगा। यानी करीब 7.3 लाख करोड़ रुपए कर्ज चुकाने में ही चले जाएंगे।
सरकार ने अगले साल महंगाई दर 21% से कम रखने का टारगेट रखा है। मंत्री इशाक डार ने बताया था कि नए बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया है। हालांकि, सरकार के इस फैसले से IMF नाराज हो गया था।IMF की तरफ से किश्त मंजूरी को लेकर हो रही लगातार देरी को देखते हुए शाहबाज सरकार ने प्लान B भी तैयार कर लिया था। पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर इशहाक डार ने पिछले महीने कहा था- अगर IMF हमें कर्ज की किश्तें जारी करना शुरू नहीं करता या हमारा पुराना प्रोग्राम बहाल नहीं करता तो हमारे पास प्लान बी तैयार है।
माना जा रहा था कि 3 से 4 अरब डॉलर हासिल करने के लिए पाकिस्तान अपने दोस्त मुल्कों से मदद की गुहार लगा सकता है। सऊदी अरब ने फरवरी में पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर देने का वादा भी किया था। हालांकि, उसे अभी तक ये फंडिंग नहीं मिली है

पाकिस्तान को IMF की तरफ से कर्ज मिलने की मंजूरी 8 महीने देरी से मिली है। इसकी वजह यह रही कि इमरान खान ने सरकार गिरने के ठीक दो दिन पहले पेट्रोल-डीजल 10 रुपए तक सस्ता कर दिया था, जिससे IMF नाराज हो गया था। शाहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री बनने के बाद कई बार पेट्रोल के दाम बढ़ाए थे लेकिन इसके बाद भी वो IMF की शर्तें पूरी नहीं कर पा रहे थे।
IMF ने पाकिस्तान सरकार से रेवेन्यू और इनकम के बारे में तफ्सील से रिपोर्ट मांगी थी। पाकिस्तान ने रिपोर्ट पेश भी की थी, लेकिन IMF की टीम इससे सख्त नाखुश थी
पाकिस्तान सरकार अपने पिछले साल के बजट का कोई टारगेट पूरा नहीं कर पाई थी। पिछले साल 2023 के लिए ग्रोथ का टारगेट 5% रखा गया था। जिसे बाद में घटाकर 2% कर दिया था। अब 2023 के लिए पाकिस्तान की ग्रोथ रेट 0.29% रखी गई है। साउथ एशिया में सबसे ज्यादा महंगाई पाकिस्तान में है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर केवल 32 हजार करोड़ रुपए रह गया है।