दीपावली के मौके पर गोरखपुर में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वह तो हमेशा चुनाव लड़े हैं। इस बार भी पार्टी जहां से कहेगी, वहां से लड़ेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, यह पार्टी का संसदीय बोर्ड तय करता है। इस बयान के बाद यह माना जाने लगा है कि वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यह उनके राजनीतिक जीवन का पहला विधानसभा चुनाव होगा। इससे पहले वह गोरखपुर से लगातार पांच बार लोकसभा के सांसद रहे। मुख्यमंत्री बनने के बाद वह विधान परिषद के सदस्य बने।
सूत्रों के अनुसार भाजपा अपने सभी दिग्गजों को विधानसभा चुनाव में उतारने की योजना बना रही है। इसी योजना के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा सरकार के सभी कद्दावर मंत्रियों को चुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने की तैयारी चल रही है। हालांकि पार्टी में अभी इस बात पर सहमति नहीं बन पाई है कि योगी आदित्यनाथ किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी के रणनीतिकार उन्हें अयोध्या सीट से चुनाव में उतारे जाने की सलाह दे रहे हैं। उनका तर्क है कि वाराणसी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने और अयोध्या के योगी आदित्यनाथ का विधानसभा क्षेत्र होने से प्रदेश में ‘मोदी-योगी’ के चेहरे पर चुनाव लड़ने पर पार्टी ज्यादा राजनीतिक फायदे में रहेगी। अयोध्या से भाजपा के मौजूदा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता पहले ही अपनी सीट मुख्यमंत्री को ‘आफर’ कर चुके हैं।
खुद मुख्यमंत्री गोरखपुर के बाद सबसे ज्यादा अयोध्या ही गए हैं। अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में लगभग 30 बार वह अयोध्या गए हैं। उन्होंने जिले का नाम बदलकर अयोध्या करने के अलावा अपने हर सालाना बजट में अयोध्या के लिए योजनाएं घोषित कीं। हालांकि उनके समर्थक उन पर गोरखपुर से ही चुनाव लड़ने का दबाव बनाए हुए हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री को अपनी कर्मभूमि नहीं छोड़नी चाहिए। गोरखपुर में विकास के ढेर सारे काम भी हुए हैं।