हिमाचल प्रदेश में भाजपा तीन दशक से चले आ रहे हर बार सत्ता परिवर्तन के सिलसिले को तोड़ने की कवायद में जुटी है। पार्टी ने अपनी सरकार बररकार रखने के लिए पुख्ता रणनीति तैयार की है। विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की चुनावी टीम अगले माह से मोर्चा संभाल लेगी। मानसून की रफ्तार कम होते ही बूथ स्तरीय रणनीति पर अमल शुरू हो जाएगा। अगले माह पार्टी चुनाव प्रभारियों की घोषणा भी कर देगी।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा का गृह राज्य होने से पार्टी के लिए यह प्रतिष्ठा का चुनाव भी है। बीते तीन दशकों से हर बार सत्ता बदलने वाले हिमाचल प्रदेश में भाजपा के सामने इस बार अपनी सरकार बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है। राज्य नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने हैं।
1985 से बदलती रही है सत्ता हिमाचल प्रदेश की राजनीति में 1985 के बाद से अब तक हर चुनाव में सत्ता बदली है। ऐसे में कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है, जबकि भाजपा इस इतिहास को बदलने में जुटी है। बीते साल 2021 में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में भाजपा, कांग्रेस पर भारी तो पड़ी थी, लेकिन उसके दावों के मुताबिक सफलता नहीं मिली थी। इसके अलावा नवंबर में चार उपचुनावों में भाजपा को बड़ा झटका भी लगा था।
भाजपा की अंदरूनी रिपोर्ट उतनी अच्छी नहीं है, जितनी पार्टी को उम्मीद थी। ऐसे में पार्टी ने आने वाले तीन महीनों के लिए अपनी रणनीति पर अमल तेज कर दिया है। सूत्रों के अनुसार पार्टी बूथ स्तर तक हर कार्यकर्ता को सक्रिय कर हर घर तक दस्तक देगी। अगले माह पार्टी चुनाव प्रभारियों की भी घोषणा कर देगी, जिसके साथ ही चुनावी प्रबंधन टीमें भी सक्रिय हो जाएंगी। इसमें दूसरे राज्यों के नेताओं को भी लगाया जाएगा।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 68 सीटों में से 44 पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को 21 और माकपा को एक सीट मिली थी। दो सीटें निर्दलीय के हिस्से में आई थी। हालांकि, इसके पहले 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा सभी चार सीटें जीतने में सफल रही थी।