124 दिनों से दे रहीं विधवा महिलाएं धरना, महिला किसानों ने कहा – हमारी जमीन वाटर पार्क के अंदर है

लखनऊ से 33 किमी दूर, इटौंजा ओवरब्रिज के पास विधवा किसान महिलाएं बीना, राजेश्वरी, उर्मिला और ललिता धरना दे रही हैं। उनके साथ 15 और किसान भी हैं। ये सभी पिछले 124 दिनों से अपनी जमीन के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका आरोप है कि नीलांश वाटर पार्क के मालिकों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है।
दैनिक भास्कर के रिपोर्टर धरनास्थल पर पहुंचे। 124 दिनों से धरना दे रही महिलाओं से बात की। उस आंदोलन स्थल को भी देखा, जहां पिछले दिनों बरसात होने पर घुटनों तक पानी भर गया था। तमाम समस्याओं को झेलते हुए ये किसान अपनी जमीन के लिए वहां से हटने को तैयार नहीं हैं। उनका आरोप है कि नीलांश वाटर पार्क में IAS अधिकारियों के पैसे लगे हैं, इसलिए उनकी कोई सुन नहीं रहा है।
शाम 5 बजे प्रदर्शन वाली जगह पहुंचे, तो देखा कि तंबू के अंदर लकड़ी के दो तख्त बिछे हैं। विकलांग महिला किसान बीना देवी के साथ 5 और किसान बैठे हुए हैं। ठंड से बचने के लिए उनके पास ढंग के कपड़े भी नहीं हैं। बीना देवी ने कहा, “हम 26 अगस्त से यहीं हैं। बरसात में इस जगह पर घुटनों तक पानी भर जाता था। अब भूमाफियाओं के साथ ठंड से भी लड़ रहे हैं।”
बाकी विधवा किसान महिलाएं कहां हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए बीना ने कहा, “इस जगह पर शौच तक की व्यवस्था नहीं है। रात को मच्छर काटते हैं। 2 महिलाएं बीमार हो कर अस्पताल में भर्ती हैं। उर्मिला शौच के लिए घर गई है। हम यहां रहते हैं और बच्चे घर पर पड़े हैं। पति की मौत और जमीन छिन जाने के बाद हम सब नमक रोटी खाने को मजबूर हैं।”
नीलांश वाटर पार्क से 4 किमी दूर प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं का कहना है कि हमारे पति की मौत के साथ ही हमारी जमीन भी छिन गई है। वाटर पार्क के मालिकों ने गोमती नदी के बीच में दीवार खड़ी कर हमारी जमीन को पार्क के अंदर ले लिया है। हमारे पास उस जमीन के कागज भी हैं। लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं, हमें कोई मुआवजा तक नहीं मिला। हर 15 दिन में प्रशासन के लोग आते हैं। धरना बंद करने को धमकाते हैं और ज्ञापन लेकर चले जाते हैं।
बीना देवी: विकलांग हैं। साल 2019 में पति कल्लू रजक की मौत हो गई है। शौचालय की सफाई का काम करती हैं। इनकी 2 जवान बेटियां हैं। पति की मौत के बाद उनकी शादी की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है। इन्होंने बताया इनके पास 1 बीघा 16 बिस्वा जमीन थी जो वाटर पार्क के मालिकों ने कब्जे में ले ली है।
राजेश्वरी देवी: इनके पति मुन्ना कनौजिया की मौत भी कोरोना लॉकडाउन के दौरान 2019 में हो गई थी। पहले दोनों मिलकर अपनी जमीन के लिए लड़ रहे थे। अब राजेश्वरी अकेले ये लड़ाई लड़ रही हैं। घरों में चौका बर्तन करके गुजारा कर रही हैं। इनकी एक बेटी की शादी के योग्य हो गई है। इन्होंने कहा, “घर में खाने के लाले पड़े हुए हैं।”
ललिता देवी: इनके पति हेमनाथ गौतम की मौत जमीन पर कब्जा होने से पहले ही साल 2007 में हो गई थी। बीना देवी ने बताया, “ललिता बुजुर्ग हैं। धरने के दौरान कई बार इनकी तबीयत बिगड़ी। प्रशासन ने इनकी सुध नहीं ली। बकरी पाल कर जीवन यापन कर रही हैं।
उर्मिला देवी: इनके पति विमलेश कुमार रावत की मौत 2017 में हो गई थी। मजदूरी करती हैं। 13 साल की एक बेटी है। 17 साल का एक बेटा विशाल होटल में वेटर का काम करता है।
बेसहारा किसान महिलाओं और इस लड़ाई में उनका साथ दे रहे दीपक शुक्ला उर्फ तिरंगा महाराज ने कहा, “नीलांश वाटर पार्क के मालिक और भू-माफिया सतीश श्रीवास्तव, संतोष श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव और मदन लाल ने अपनी ऊंची पहुंच के चलते किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया। न सिर्फ कब्जा किया है बल्कि बाउंड्री वाल लगाकर नदी की धारा को भी मोड़ दिया है। उनकी मनमानी इस स्तर तक पहुंच गई है कि अब वे पर्यावरण के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं।
महिला किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा, “इस वाटर पार्क में आला IAS अधिकारियों की काली कमाई का मोटा पैसा लगा हुआ है। प्रदेश के बड़े ओहदों पर बैठे हैं इसलिए तहसीलदार, एसडीएम से लेकर कमिश्नर तक सब चुप्पी साधे हुए हैं। वाटर पार्क में किसी IAS अधिकारी ने अपना फॉर्म हाउस बना रखा है तो किसी ने आलीशान रेस्ट हाउस। बहुतों ने इन-डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट कर रखा है।” हमने उनसे अधिकारियों के नाम पूछे लेकिन उन्होंने किसी का नाम नहीं बताया।लखनऊ से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार जन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि वाटर पार्क में बनी टॉयलेट का मैला गोमती नदी में गिराया जा रहा है। लिखा है, “गोमती नदी पर बना वाटर पार्क भ्रष्टाचार का नमूना है। वाटर पार्क से निकलने वाला पूरा गंदा पानी नदी में छोड़ा जा रहा है।” अखबार ने ये रिपोर्ट वाटर पार्क के अंदर और बाहर की एक्सक्लूसिव तस्वीरों के साथ छापी है।
नीलांश थीम वाटर पार्क का निर्माण सीतापुर रोड पर गोमती किनारे 2007 में शुरू हुआ था। ये उत्तर प्रदेश का एक सितारा श्रेणी का रिजार्ट है। इसका निर्माण बसपा सरकार के दौरान शुरू हुआ। फिर सपा सरकार आई और अब भाजपा का शासन है। ये निर्माण लगातार चलता रहा। अब पार्क पूरी तरह कम्प्लीट हो चुका है। लेकिन किसानों का दर्द किसी को दिखाई नहीं दे रहा।
इटौंजा ओवर ब्रिज से नीचे उतरते ही सड़क पर भाजपा के झंडे दिखाई देते हैं। प्रदर्शन वाली जगह पर भी भाजपा के झंडे और पीएम मोदी और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें लगी हुई हैं। दरअसल, विधवा महिलाओं को योगी सरकार से न्याय की दरकार है। खुद को मोदी भक्त कहने वाले भाजपा नेता दीपक शुक्ला उर्फ तिरंगा महाराज भी इन महिलाओं के समर्थन में हैं।
प्रदर्शन कर रही महिलाओं और किसानों ने बताया, “दीपक शुक्ला प्रदर्शन में शासन और प्रशासन के स्तर पर उनकी बहुत मदद कर रहे हैं। हर वक्त उनके साथ होते हैं।” दीपक ने कहा, “किसानों की इस बड़ी समस्या को लेकर हमने प्रधानमंत्री तक को चिट्ठी लिखी है। ये देश का सबसे बड़ा घोटाला है। अधिकारियों ने पैसे खा लिए हैं। अब हम धरना देने दिल्ली जा रहे हैं।”
मामले को ठीक से समझने के लिए हमने बीकेटी क्षेत्र के तहसीलदार राजेश कुमार से फोन पर बात की। राजेश ने कहा, “हमने अपने क्षेत्र की जमीन को नीलांश वाटर पार्क के कब्जे से छुड़ा लिया है। ये तार फेंसिंग वाली जमीन थी, जहां पार्किंग बनी हुई थी। जो किसान आंदोलन कर रहे हैं वो मलिहाबाद क्षेत्र के हैं।”
मलिहाबाद लेखपाल रमेश जी ने कहा, “किसानों की जमीन वाटर पार्क में नहीं है। हम उसकी नपाई भी करवा चुके हैं। दरअसल, उनकी कुछ जमीन नदी की कटान में है। उसमें पानी बह रहा है।”
किसानों की बात सुनने के बाद हमने नीलांश वाटर पार्क के मालिक संदीप श्रीवास्तव से बातचीत की। संदीप ने कहा- जमीन की नपाई 10 बार हो चुकी है। जितनी जमीन में वाटर पार्क है वो जमीन हमारी है। दीवार 2003 में बन गई थी। कटान की वजह से नदी दीवार तक पहुंच गई है। पार्किंग वाली जमीन में कन्फ्यूजन था तो हमने वो जगह खाली कर दी है। किसान निजी स्वार्थ के लिए ये सब कर रहे हैं।