सियासी संकट के वक्त सरकार गिराने में सहयोग नहीं देने पर CM अशोक गहलोत के पूर्व CM वसुंधरा राजे की तारीफ करने पर विवाद हो गया है। राजे ने गहलोत पर निशाना साधते हुए उनकी तारीफ को षड्यंत्र बताया है। राजे ने रविवार देर रात लिखित बयान जारी कर कहा, ‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 2023 में होने वाली हार से भयभीत होकर झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया है, जिनकी ईमानदारी और सत्य निष्ठा सब जानते हैं।’
राजे ने कहा, ‘जीवन में मेरा जितना अपमान गहलोत ने किया, और कोई कर ही नहीं सकता। वे 2023 के चुनाव में होने वाली ऐतिहासिक हार से बचने के लिए ऐसी मनगढ़ंत कहानियां गढ़ रहे हैं। जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उनकी ये चाल कामयाब होने वाली नहीं है।’
राजे ने कहा, ‘रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध हैं। यदि उनके विधायकों ने पैसा लिया है, तो FIR दर्ज करवाएं। सच तो यह है कि अपनी ही पार्टी में हो रही बगावत और कम होते जनाधार के कारण बौखलाहट में उन्होंने ऐसे अमर्यादित और झूठे आरोप लगाए हैं।’
वसुंधरा राजे ने कहा, ‘विधायकों की खरीद-फरोख्त की जहां तक बात है, इसके महारथी तो खुद अशोक गहलोत हैं। जिन्होंने 2008 और 2018 में अल्पमत में होने के कारण ऐसा किया था। उस वक्त न भाजपा को बहुमत मिला था और न ही कांग्रेस को। हम भी सरकार बना सकते थे, पर यह भाजपा के सिद्धांतों के खिलाफ था। इसके विपरीत गहलोत ने विधायकों को खरीद कर दोनों समय सरकार बनाई थी।’
गहलोत ने रविवार को धौलपुर के राजाखेड़ा में BJP से निष्कासित विधायक शोभारानी कुशवाह के साथ वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की तारीफ की थी।
गहलोत ने कहा था कि शोभारानी ने हमारा साथ दिया तो भाजपा वालों की हवाइयां उड़ गईं। कैलाश मेघवाल और वसुंधरा जी को मालूम था कि भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे, उस वक्त उनकी पार्टी के लोग सरकार गिरा रहे थे।
कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे ने कहा कि हमारे यहां पैसे के बल पर चुनी हुई सरकारों को गिराने की कभी परंपरा नहीं रही है, तो क्या उन्होंने क्या गलत किया?
शोभारानी कुशवाह ने वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की सुनी और इनकी अंतरात्मा ने कहा मुझे भी ऐसे लोगों का साथ नहीं देना चाहिए तो क्या गलत किया? इसलिए हमारी सरकार बची है। मैं जिंदगी में यह घटना कभी भूल नहीं सकता जो मेरे साथ बीती थी।
28 अप्रैल को हनुमानगढ़ के रावतसर में सीएम अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के रावण वाले बयान पर पलटवार करने के बहाने राजस्थान की सियासी खींचतान के इतिहास को लाकर नई बहस शुरू कर दी थी।
गहलोत ने भैरोंसिंह शेखावत सरकार गिराने के षड्यंत्र में शामिल नहीं होने का उदाहरण दिया था। साथ ही उसकी तुलना खुद की सरकार पर पायलट खेमे की बगावत से करते हुए इशारों में सियासी निशाना साधा था। साथ ही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की तारीफ करके फिर सियासी चर्चा को हवा दे दी थी।
वसुंधरा ने कहा था- कई लोग जानबूझ कर एक ही झूठ बोलते आ रहे हैं कि वो तो मिले हुए हैं, उनमें तो मिलीभगत है। जिनसे सिद्धांत नहीं मिलते, जिनसे विचारधारा नहीं मिलती, जिनसे रोज-रोज अमर्यादित भाषा सुनने को मिलती हो, उनसे मिलीभगत कैसे संभव है। क्या कभी दूध और नींबू रस आपस में मिल सकते हैं?
26 अप्रैल को बीकानेर के नोखा विधानसभा क्षेत्र के जसरासर गांव में गहलोत ने कहा था- बीजेपी ने आते ही रिफाइनरी सहित हमारी योजनाओं को बंद कर दिया। नींबू और दूध में यही फर्क है। वसुंधरा राजे के समय की योजनाओं को हमने बंद नहीं किया। हमने तो उनकी ERCP सहित सारी योजनाओं को चालू रखा है। वसुंधरा राजे ने बीकानेर संभाग के सूरतगढ़ में ही बोला था कि नींबू और दूध मिल नहीं सकते तो आप दोनों में फर्क देख सकते हैं।
वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की तारीफ करके सीएम गहलोत ने बीजेपी की अंदरूनी सियासत को भी गर्मा दिया है। गहलोत के बयान के दो बड़े सियासी मायने हैं। एक तो वसुंधरा राजे की बीजेपी में असहज स्थिति कर दी, उन्हें अब सफाई देनी पड़ रही हैं।
गहलोत की सरकार का जिस दिन 14 अगस्त 2020 को बहुमत परीक्षण होना था, उस दिन बीजेपी के चार विधायक सदन से गायब थे। अब गहलोत ने सरकार गिराने के सहयोग नहीं देने पर वसुंधरा की तारीफ करके चुनावी साल में नई बहस छेड़ दी है।
आम आदमी पार्टी (आप) और आरएलपी की ओर से वसुंधरा और गहलोत की मिलीभगत के आरोप लगाते रहे हैं। हाल ही में सचिन पायलट ने भी बीजेपी राज के करप्शन पर कार्रवाई नहीं होने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इससे कहीं यह मैसेज नहीं जाए कि कहीं किसी स्तर पर कोई मिलीभगत है। पायलट कई बार यह बयान दे चुके हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गहलोत ने सियासी रणनीति के तहत सरकार गिराने में सहयोग नहीं करने पर वसुंधरा राजे की तारीफ की है। बीजेपी में राजे विरोधी खेमा गहलोत के इस बयान को भुनाने का प्रयास करेगा। इस बयान से पर्सेप्शन के मोर्चे पर राजे को नुकसान हुआ है।
बीजेपी की टॉप लीडरशिप के साथ पार्टी के कैडर में भी वसुंधरा को नुकसान हो सकता है, इसलिए इस बयान को सोची समझी रणनीति के तहत दिया हुआ माना जा रहा है। राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक राजे को चुनावी साल में हाईकमान आगे नहीं करता है तो गहलोत इसमें सियासी फायदा देख रहे हैं।
‘विधायकों की गलती भूलो और माफ करो’:गहलोत ने पायलट कैंप के बगावत की बात दोहराई, कहा- अमित शाह का पैसा वापस कर दो
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट कैंप पर बगावत के वक्त BJP से करोड़ों रुपए लेने का आरोप दोहराया है। साथ ही, अमित शाह को पैसा वापस लौटाने की सलाह दी है।