रेखा को पत्नी का दर्जा क्यों नहीं दे पाए विनोद मेहरा, 3 शादियां टूटीं, मौत के बाद पैदा हुआ था बेटा

हिंदी सिनेमा के पॉपुलर एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर विनोद मेहरा की आज 78वीं बर्थ एनिवर्सरी है। अमर प्रेम, घर, जानी दुश्मन, नौकर बीवी का जैसी करीब 100 फिल्मों में नजर आए विनोद मेहरा बेहद हैंडसम और टैलेंटेड एक्टर थे, लेकिन अफसोस इनकी निजी जिंदगी 3 नाकाम शादियों, 2 एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और रेखा से शादी की अफवाहों के नाम रही। रेखा से विनोद मेहरा का रिश्ता हमेशा से सवालों में रहा। कई रिपोर्ट्स की मानें तो विनोद रेखा को शादी कर घर ले गए थे, लेकिन उनकी मां ने ये शादी कबूल नहीं की और रेखा को तुरंत घर से निकाल दिया।
विनोद मेहरा ने रेखा से भी शादी की थी, लेकिन इसे सार्वजनिक तौर पर दोनों ने कभी नहीं कबूला। दोनों की शादी को राइटर यासीर उस्मान ने अपनी किताब रेखाः एन अनटोल्ड स्टोरी में कन्फर्म किया। उनकी बुक के मुताबिक विनोद मेहरा ने सबसे पहले रेखा से शादी की थी। दोनों ने कोलकाता में शादी की और फिर विनोद उन्हें घर ले आए। जैसे ही रेखा उनके घर पहुंचीं तो उनकी मां भड़क गईं। मां ने पैरों से चप्पल निकाली और मारने को आमादा हो गईं।

रेखा ने जैसे ही उनके पैर छूने चाहे तो उन्होंने रेखा को धक्का देकर पहले घर से निकाला और फिर गालियां देते हुए उन पर चप्पल दे मारी। विनोद मेहरा ने घर के हालात पर काबू पाया और जब कोई रास्ता नजर नहीं आया तो उन्होंने रेखा से कहा कि वो अपने घर लौट जाएं। वो लौट गईं और कुछ सालों में ही शादी टूट गई। इसके बाद से ही विनोद के घरवालों ने उनके लिए लड़कियां देखनी शुरू की थीं।
आधा दर्जन फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट रहने के बाद विनोद मेहरा ने 1971 की फिल्म एक थी रीटा से बतौर हीरो करियर की शुरुआत की थी। पहली ही फिल्म से हिट होकर विनोद मेहरा करियर के शिखर पर पहुंच गए। 29 साल के विनोद मुंबई में अकेले रहते थे तो परिवार वालों ने मीना ब्रोका से उनका रिश्ता तय किया। एक मुलाकात के बाद ही घरवालों ने दोनों की शादी करवा दी।

मीना एक हाउसवाइफ थीं, जो मुंबई आकर विनोद के साथ रहने लगीं। शादी के कुछ समय बाद विनोद को हार्ट अटैक आया और इसका पूरा जिम्मेदार उनकी पत्नी को ठहरा दिया गया। कुछ समय बाद विनोद की हालत सुधरी जरूर, लेकिन उनके और पत्नी के रिश्ते बिगड़ गए। तंग आकर मीना ने 1978 में विनोद से तलाक ले लिया।
विनोद मेहरा ने भले ही पहली पत्नी से तलाक 1978 में लिया हो, लेकिन इसके सालों पहले ही दोनों की अनबन से दोनों महज नाम के पति-पत्नी रह गए थे। पत्नी से लड़ाई-झगड़ों के बीच ही विनोद और उनकी को-स्टार बिंदिया गोस्वामी की नजदीकियां बढ़ गईं। बिंदिया गोस्वामी उम्र में विनोद मेहरा से 16 साल छोटी थीं। दोनों ने सीक्रेट शादी भी कर ली, लेकिन एक दिन एक करीबी ने दोनों की शादी से पर्दा उठा दिया। खबर बाहर आते ही विनोद की पहली पत्नी मीना ब्रोका और उनके घरवाले खूब नाराज हुए।
गुस्से में मीना के भाइयों ने विनोद और बिंदिया को धमकियां दी थीं। बिंदिया गोस्वामी धमकियों से इतनी डर गई थीं कि उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और अलग-अलग होटल्स में छिपना शुरू कर दिया।
जैसे ही मीना के घरवालों की धमकियां बढ़ने लगीं तो बिंदिया ने अचानक ही विनोद मेहरा को छोड़कर जे.पी.दत्ता से शादी कर ली। खबरें रहीं कि जैसे मीना के रहते हुए विनोद और बिंदिया का अफेयर शुरू हुआ वैसे ही विनोद के रहते हुए बिंदिया और जे.पी. दत्ता नजदीक आ गए। 1984 में शादी टूटने से विनोद बेहद परेशान रहने लगे थे, हालांकि वो पहली पत्नी के पास नहीं लौटे।
विनोद मेहरा ने 1988 को केन्या के ट्रांसपोर्ट बिजनेसमैन की बेटी किरण से तीसरी शादी की थी। 1988 में विनोद की पत्नी किरण ने बेटी सोनिया को जन्म दिया। दोनों खुशहाल जिंदगी जी रहे थे, लेकिन विनोद की अचानक हुई मौत से सब खत्म हो गया।
30 अक्टूबर 1990 को विनोद मेहरा को हार्ट अटैक आया, जिससे उनकी मौत हो गई। विनोद मेहरा सिर्फ 45 साल के थे। उनकी मौत के 7 महीने बाद उनके बेटे रोहन मेहरा का जन्म हुआ था। जब विनोद का निधन हुआ तो उनकी पत्नी 2 महीने की गर्भवती थीं। बेटी सोनिया भी महज ढाई साल की थी

विनोद की बेटी सोनिया ने 2007 की फिल्म विक्टोरिया नं 203 से बॉलीवुड में कदम रखा था। हालांकि फिल्म कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी। वहीं इनके बेटे रोहन ने निखिल आडवाणी की 2018 में आई फिल्म बाजार से बॉलीवुड में डेब्यू किया। फिल्म में उनके साथ सैफ अली खान, राधिका आप्टे, चित्रांगदा सिंह भी लीड रोल में थे।
विनोद मेहरा ने फिल्म गुरुदेव से बतौर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर करियर की दूसरी पारी शुरू की थी। इस फिल्म में उन्होंने श्रीदेवी, ऋषि कपूर, अनिल कपूर को कास्ट किया था। हालांकि फिल्म बनने से पहले ही 1990 में विनोद का निधन हो गया। विनोद की मौत के बाद डायरेक्टर राज सिप्पी ने उनकी अधूरी फिल्म पूरी की। ये फिल्म विनोद की मौत के तीन साल बाद 1993 में रिलीज हुई। विनोद मेहरा की फिल्में पत्थर के फूल (1991), इंसानियत (1994) और औरत औरत औरत (1996) भी उनकी मौत के बाद रिलीज हुई थीं।