US और चीन पुतिन के इस बयान से क्‍यों चौंके, आइये जानते है क्या है ये बयान

यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका के तनातनी के बीच रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने अपने इस दावे से दुश्‍मन खेमों को चौंका दिया है। उन्‍होंने दावा किया है कि हथियारों के मामले में रूस विश्‍व का नंबर वन देश है। रूसी राष्‍ट्रपति का यह बयान ऐसे समय आया है जब यूक्रेन को लेकर अमेरिका और अन्‍य पश्चिमी देशों के साथ रूस के युद्ध जैसे हालात हैं। यूक्रेन को लेकर दोनों देशों के बीच संबंध बेहद तल्‍ख हो गए है। हालांकि, उन्‍होंने इस दावे के साथ यह वादा किया है कि रूस परमाणु समझौते को लेकर अमेरिका के साथ बराबरी की संधि पर कायम है। आखिर पुतिन के इस बयान के पीछे क्‍या निहितार्थ हैं? क्‍या है इसका यूक्रेन फैक्‍टर?
1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि पुतिन का यह दावा एक सोची-समझी रणनीति का हिस्‍सा है। पुतिन ने रूसी सैन्‍य शक्ति का एहसास अमेरिका और यूरोपीय देशों को कराया है। उन्‍होंने यह संकेत दिया है कि रूस को किसी भी तरह से कमजोर समझने की भूल नहीं करना चाहिए। हालांकि, इसके बाद पुतिन ने वीडिया कांन्‍फ्रेंसिंग के जरिए अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन से वार्ता भी की। इस दौरान उन्‍होंने बाइडन से यूक्रेन पर किसी भी तरह का हमला नहीं करने का आश्‍वासन दिया। पुतिन ने रूसी सैन्‍य शक्ति को दुनिया का अहसास कराकर साफ कर दिया कि वह किसी डर या भय से यूक्रेन पर हमले से पीछे नहीं हट रहा।
2- प्रो. पंत का कहना है कि रूसी राष्‍ट्रपति का यह बयान ऐसे समय आया है, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों के बीच इस तनाव से अमेरिका एवं पश्चिमी देशों में भारी चिंता बनी हुई है। उन्‍होंने कहा कि पश्चिम देशों की चिंता यह है कि अगर यह तनाव युद्ध की दहलीज तक पहुंचा तो इसकी आंच यूरोप के कई देशों में फैल सकती है। इससे हालात दूसरे विश्‍व युद्ध से भी ज्‍यादा खतरनाक होंगे। यूक्रेन की सीमा पर रूस के करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं। इसको लेकर अमेरिका और नाटो सहयोगी पहली ही चेतावनी दे चुके हैं। अमेरिका कह चुका है कि रूस के किसी भी हमले के गंभीर परिणाम होंगे। उन्‍होंने कहा कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन के इस बयान के बाद चीन भी चौंकन्‍ना हुआ होगा।
3- प्रो पंत ने कहा कि रूस को यह भय सता रहा है कि अगर यूक्रेन नाटो का सदस्‍य बना तो नाटो का वर्चस्‍व उसकी सीमा के समीप तक पहुंच जाएगा। रूस और यूक्रेन के बीच विवाद को नाटो से जोड़कर देखा जाना चाहिए। इसको लेकर यूक्रेन और रूस के बीच कई बार जंग छिड़ चुकी है। 2014 की जंग को इसी कड़ी के रूप में जोड़कर देखा जाना चाहिए।

4- पुतिन ने दावा किया है कि 2018 के बाद से जब रूस ने अपने नए हाइपरसोनिक हथियारों का अनावरण किया, तब ये हथियार किसी के पास नहीं थे। अब कई देश हाइपरसोनिक हथियारों को विकसित कर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हम अपने सहयोगियों को इस तथ्य से प्रभावित करने में सक्षम होंगे कि जब वे इस हथियार को प्राप्त करेंगे, तो हमारे पास इसका मुकाबला करने के लिए बहुत अधिक साधन होंगे।

5- राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि भविष्य में कई अन्य देशों के पास निश्चित रूप से हाइपरसोनिक मिसाइलें होंगी, लेकिन उस समय तक रूस ऐसी मिसाइलों से अपनी सुरक्षा की व्यवस्था भी कर लेगा। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा कहा है और अब इसे दोहरा सकता हूं कि दुनिया के प्रमुख सैन्य देशों के पास वही हथियार होंगे जो आज रूस के पास हैं। मेरा मतलब हाइपरसोनिक हथियार है।
यूक्रेन और रूस के बीच यह विवाद काफी पुराना है। रूस और यूक्रेन की एक लंबी सीमा रेखा एक दूसरे देश से मिलती है। दरअसल, यूक्रेन कभी रूसी साम्राज्‍य का भाग था। 1991 में सोवियत संघ के विखंडन के बाद यूक्रेन एक स्‍वतंत्र देश के रूप में वजूद में आया। इसके बाद यूक्रेन की पश्चिमी देशों से निकटता बढ़ी। यूक्रेन और रूस के संबंधों के बीच पश्चिमी देश एक बड़ा फैक्‍टर रहा है। वर्ष 2010 में यूक्रेन के राष्‍ट्रपति विक्‍टर यानूकोविच को सत्‍ता इसलिए गंवानी पड़ी, क्‍योंकि उन्‍होंने रूस के साथ बेहतर संबंध बनाने की वकालत की थी। रूस पर आरोप लगते हैं कि वह यूक्रेन के अलगाववादियों को पैसे और हथियारों से मदद करता रहा है। हालांकि रूस इन आरोपों को हरदम खारिज किया है।