सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच क्यों फंसा है पेंच

राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार की खबरें लगातार चर्चा में हैं. लेकिन इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच गतिरोध जारी है. सचिन पायलट चाहते हैं कि उनके खेमे के 6 विधायकों को मंत्री पद मिले. पायलट का कहना है कि सरकार गठन के समय उन्हें 6 मंत्री पद दिए थे, लेकिन अब उनके कोटे से एक भी मंत्री गहलोत सरकार में नहीं है. आपको बता दें कि इस वक्त गहलोत मंत्रिपरिषद में कुल 9 पद खाली हैं.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि सचिन पायलट समेत 3 मंत्रियों को हटाने के बाद भी 3 मंत्री अभी भी पायलट कोटे से मंत्रिपरिषद में शामिल हैं. गहलोत के मुताबिक पायलट कोटे के प्रताप सिंह खाचरियावास परिवहन मंत्री, प्रमोद जैन भाया खान मंत्री और उदयलाल आंजन सहकारिता मंत्री हैं. ऐसे में 3 मंत्रियों से अधिक का तो पायलट का दावा ही नहीं बनता. वैसे, गहलोत चाहते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में पायलट गुट के विधायकों को भी मंत्री बनने का मौका दिया जाए कि लेकिन ये तय पायलट नहीं करेंगे कि कौन मंत्री होंगे.

गहलोत कहते हैं कि पहली बार मंत्रिमंडल बना, तब बीएसपी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन अब बीसएपी के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने के बाद पायलट का 6 का दावा ही अनुचित है. बीसएपी के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने से सरकार बची है. ऐसे में 6 में कम से कम तीन को मंत्री बनाना जरूरी है. गहलोत चाहते हैं कि सरकार का साथ देने वाले निर्दलीयों को भी मंत्रिपरिषद में जगह मिले. 13 में से 7 निर्दलीयों ने गहलोत को समर्थन दिया था.

दूसरी तरफ सचिन पायलट ने पार्टी को कहा कि जिन 6 विधायकों को पहले मंत्रिमंडल में उनके कोटे से शामिल किया गया था, उनमें से 3 मंत्री ही उनके साथ रहे. बाकी 3 गहलोत के साथ जाने से उनको मंत्रिमंडल से नहीं हटाया गया. ऐसे में गहलोत सरकार में शामिल 3 मंत्रियों को उनके कोटे में नहीं गिना जा सकता है. एक पेंच बाड़मेर से मंत्री हरीश चौधरी को लेकर फंसा हुआ है. हरीश चौधरी राहुल गांधी के करीबी है और मंत्रिमडंल में हाईकमान के कोटे से हैं. लेकिन बाड़मेर के गुढ़ामलानी से कांग्रेस के सीनियर विधायक हेमाराम चौधरी मंत्री नहीं बनाए जाने से खफा हैं. 10 महीने पहले वे पायलट के साथ चले गए थे और अब नाराज होकर विधायक पद से इस्तीफा दे दे दिया है और पायलट का समर्थन कर रहे हैं. हेमाराम चौधरी को भी मंत्री बनाए जाने का दबाव है. लेकिन हेमाराम को मंत्री बनाने पर हरीश चौधरी का मंत्री रहना मुश्किल होगा. क्योंकि दोनों एक ही इलाके से हैं और एक जाति जाट समुदाय से है. हरीश चौधरी को दिल्ली बुलाया गया. पार्टी हाईकमान बात कर रहे हैं.