लखनऊ समेत देश के 57 छावनियों में होने वाले चुनाव को स्थगित कर दिया गया है। यह पहली बार हुआ है जब चुनाव की अधिसूचना लागू की गई हो और उसके बाद चुनाव को कैंसिल किया गया हो। चुनाव स्थगित होने से इलाके के दो लाख से ज्यादा की आबादी को निराशा हुई है। इसके अलावा चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशियों को भी अब चुनाव प्रचार बंद कर देंगे। लखनऊ में अलग-अलग 8 वार्ड में चुनाव होने थे। इसमें चार वार्ड में महिला प्रत्याशियों को चयन होना था।
दरअसल, नगर निगम की तरह छावनी परिषद रक्षा मंत्रालय की स्थानीय निकाय है। यहां छावनी परिषद नगर निगम की तरह संबंधित इलाके में विकास का काम करता है। इसमें सफाई, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे कार्य शामिल होते है। हर पांच साल पर चुनाव होता है। लेकिन इस बाद इसको टाल दिया गया है।
लखनऊ में इससे पहले फरवरी 2015 में चुनाव हुआ था। पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद फरवरी और अगस्त 2020 में छह-छह माह के लिए सदन को विस्तार दिया गया था। अब दो विस्तार देने के बाद भी जब चुनाव नहीं हुआ तो फरवरी 2021 से निर्वाचित सदन को भंग कर दिया गया। उसके बाद यहां वैरी बोर्ड लागू कर दिया गया। इस बोर्ड में मध्य यूपी सब एरिया के जीओसी छावनी परिषद अध्यक्ष और सीईओ सदस्य सचिव बने। हालांकि इसको लेकर छावनी में रह रहे आम लोगों को नाराजगी थी। दलील थी कि इसमें जनता की ओर से कोई भी प्रतिनिधि बोर्ड में नहीं है।
चुनाव के लिए राजपत्र 18 फरवरी को जारी हुआ था। तब कहा गया था कि 30 अप्रैल को चुनाव होगा। इसके बाद छावनी परिषद ने तैयारियां तेज कर दी थी। मतदाता सूची में नाम जुड़वाने की प्रक्रिया चल रही थी। इसकी सुनवाई 21 मार्च से आरंभ होना था। 29 मार्च को नामांकन और फिर प्रत्याशियों को सिंबल का आवंटन किया जाना था। लेकिन अब सब काम रुक जाएगा।