रूट का भारत को अस्थिर करने का फैसला क्यों हुआ विफल

इंग्लैंड के कप्तान जोए रूट का यहां लॉर्ड्स मैदान पर खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मुकाबले में टॉस जीतकर भारत को बल्लेबाजी कराने का निर्णय तीन कारणों से विफल रहा है।

पिच पर उतनी घास नहीं थी जितनी सुझाई गई थी जिसके कारण पिच पर तेजी नहीं रही इंग्लैंड के गेंदबाज आउटस्विंग कराने में विफल रहे। वहीं भारत की ओर से रोहित शर्मा लोकेश राहुल ने बेहतरीन बल्लेबाजी की।

राहुल ने धीमी शुरूआत के बाद अपनी पारी को गति दी। उन्होंने मोइन अली की गेंद पर छक्का लगाकर अपनी पहली बाउंड्री लगाई। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड में अपनी दूसरी शतकीय पारी खेली।

रूट का निर्णय डिफेंसिव था। उन्होंने जेम्स एंडरसन पर ओवरकास्ट वातावरण में भरोसा जताया लेकिन उनकी बल्लेबाजों पर भरोसे की कमी ने भारतीय आक्रमण को आगे बढ़ने का मौका दिया।

चोट के कारण इस मैच में स्टुअर्ट ब्रॉड नहीं खेल सके। उनकी जगह मार्क वुड को लाया गया जो टीम के फिलहाल तेज गेंदबाज हैं लेकिन वह अब तक विकेट नहीं ले सके।

ओली रॉबिंसन नॉटिंघम में हुए पहले टेस्ट में काफी सफल रहे थे लेकिन इस मैच में वह भारतीय टीम को झटका देने में विफल रहे हैं।

सैम करेन को इस मैच में लिया गया जो गेंद को स्विंग करा सकते हैं लेकिन तेजी की कमी के कारण वह असफल रहे।

रोहित ने भले ही अच्छी पारी खेली लेकिन वह शतक बनाने से चूक गए 83 रन बनाकर आउट हुए। उन्हें एंडरसन ने आउट किया।

भारत के लिए इंग्लैंड में विजय मर्चेट सैयद मुश्ताक अली ने 1936 में मैनचेस्टर टेस्ट में जोड़े 203 रन अभी भी सर्वाधिक साझेदारी है।

(सीनियर क्रिकेट लेखक आशीष रे एक ब्रॉडकास्टर हैं क्रिकेट वर्ल्ड कप : द इंडियन चैलेंज के लेखक हैं।)

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