बीजेपी आखिर क्यों येदियुरप्पा-सिद्धारमैया की नजदीकी से है परेशान

कर्नाटक में कांग्रेस के बड़े नेता सिद्धारमैया और भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा की नजदीकियों से भाजपा की चिंता बढ़ गई है। सिद्धारमैया अगले महीने तीन तारीख को 75 साल के हो रहे हैं। इस मौके पर दावणगेरे जिले में समर्थक ‘सिद्धारमैया उत्सव’ करने जा रहे हैं। कद्दावर भाजपा नेता, पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा शिरकत करेंगे।

दरअसल, मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद से येदियुरप्पा पार्टी के शीर्ष नेताओं से खफा हैं। वे चाहते थे कि कोई गैर-लिंगायत नेता उनका उत्तराधिकारी बने, ताकि लिंगायत वोटबैंक उनके पक्ष में बना रहे। पार्टी ने लिंगायत समुदाय से आने वाले बसवराज बोम्मई को सीएम बनाया। येदि चाहते थे कि उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को डिप्टी सीएम बनाया जाए।

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने विजयेंद्र को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर 2023 के चुनाव लड़ाने के संकेत दिए। येदियुरप्पा की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 2013 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी, तब भाजपा 40 सीट पर सिमट गई थी।
कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार (बाएं) और सिद्धारमैया (दाएं) 12 दिनों के अंतराल पर अलग-अलग कार्यक्रम करने जा रहे हैं। इसके लिए दोनों ही नेताओं ने राहुल गांधी को न्योता भेजा है।
दो महीने पहले ही कर्नाटक कांग्रेस की सेकेंड लीडरशिप ने सिद्धारमैया और कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार में सुलह कराई थी। लेकिन, अब फिर दोनों नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई के संकेत दिख रहे हैं।

सिद्धारमैया जहां ‘सिद्धारमैया उत्सव’ करने जा रहे हैं, वहीं, शिवकुमार ने 15 अगस्त से तिरंगा यात्रा निकालने का ऐलान किया है। इसमें 10 लाख से अधिक लोगों के जुटने की बात कही है। 12 दिन के अंतराल में होने वाले दोनों कार्यक्रमों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को न्योता भेजा है।
तिरंगा यात्रा की घोषणा के बाद शिवकुमार ने सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस जन नेतृत्व में विश्वास करती है, न कि व्यक्ति विशेष की पूजा में। उनका इशारा सिद्धारमैया को कर्नाटक कांग्रेस का एकमात्र नेता बताए जाने को लेकर था।
कर्नाटक में जनवरी में एक स्कूल में छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर विवाद हो शुरू हो गया था, जिसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन लगाने का आदेश दिया था।
कर्नाटक में जनवरी में एक स्कूल में छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर विवाद हो शुरू हो गया था, जिसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन लगाने का आदेश दिया था।
जब तक कर्नाटक में हिजाब विवाद शुरू नहीं हुआ, तब तक सब ठीक था। कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर पर सवार थी। फिर अचानक हिंदुत्व के मुद्दे के चलते गेंद भाजपा के पाले में चली गई। ऐसे में कांग्रेस में शीर्ष नेताओं के बीच टशन पार्टी को कमजोर कर सकता है। पांच बार के सांसद और मजबूत दलित नेता केएच मुनियप्पा पार्टी नेताओं से खफा हैं, क्योंकि सिद्धारमैया के समर्थक केआर रमेश कुमार ने उनके दो धुर विरोधियों को पार्टी में शामिल करवा दिया।