2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर 18 जुलाई को नई दिल्ली में एनडीए की बैठक हुई। उसमें यूपी में बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद में शामिल हुए। इसके ठीक 3 दिन के बाद ही डॉ. संजय निषाद ने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि आखिर ऐसी कौन सी वजह है, जिसके चलते संजय निषाद को जेपी नड्डा से दिल्ली जाकर मुलाकात करनी पड़ी
दरअसल, उत्तर प्रदेश में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के जरिए अपनी ताकत दिखाने की होड़ सी मची हुई है। कैबिनेट में अपनी सीट पक्की करने के लिए पहले ओमप्रकाश राजभर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अक्टूबर में आजमगढ़ के लालगंज में रैली के लिए निमंत्रण दिया।
अब निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रृंगवेरपुर बुलाना चाहते हैं। यहां निषादराज की भव्य प्रतिमा लगाई जा रही है। डॉ. संजय निषाद की कोशिश है कि नवंबर में प्रधानमंत्री अनावरण करें और रैली को संबोधित करें।
7 महीने पहले संजय निषाद ने पीएम मोदी से मुलाकात करके निषाद समाज के बारे में बताया था। अब वो दोबारा मुलाकात करने का प्रयास कर रहे हैं।
7 महीने पहले संजय निषाद ने पीएम मोदी से मुलाकात करके निषाद समाज के बारे में बताया था। अब वो दोबारा मुलाकात करने का प्रयास कर रहे हैं।
इसीलिए संजय निषाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलने का समय मांगने वाले हैं। इसके पीछे सियासी मकसद भी है। वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसी रैलियों में बुलाना चाहते हैं। जहां अपनी ताकत दिखा सके, जिससे 2024 के लोकसभा चुनाव में कुछ ज्यादा सीटों की मांग भी की जा सके।
जेपी नड्डा से मुलाकात के दौरान संजय निषाद ने एक बार फिर अपनी पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों को सरकार में एडजस्ट करने की मांग भी दोहराई। दरअसल, संजय निषाद लगभग डेढ़ वर्ष से सरकार में मंत्री हैं। संजय निषाद पर विपक्ष परिवारवाद का आरोप लगाता आ रहा है। संजय निषाद के एक बेटे सांसद हैं, तो दूसरे बेटे विधायक हैं।
उनकी पार्टी के पदाधिकारियों को सरकार में कहीं एडजस्ट नहीं किया गया। इसीलिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलकर संजय निषाद ने अपनी पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों को प्रदेश में जो निगम,आयोग, बोर्ड हैं, जहां कई पद काफी लंबे समय से खाली पड़े हैं। उन पदों पर समायोजित करने की मांग की।हैं कि उनकी पार्टी की 7 इकाई के पदाधिकारियों को आयोग या बोर्ड में कहीं एडजस्ट करने से उन पर लगने वाले परिवारवाद के आरोप कम हो जाएंगे।
संजय निषाद मानते हैं कि उनकी पार्टी की 7 इकाई के पदाधिकारियों को आयोग या बोर्ड में कहीं एडजस्ट करने से उन पर लगने वाले परिवारवाद के आरोप कम हो जाएंगे।
निषाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष समेत पार्टी की सात महत्वपूर्ण इकाई हैं। संजय निषाद को शायद इस बात का आभास है कि अगर पार्टी के पदाधिकारियों को कहीं एडजस्ट नहीं किया गया तो विपक्ष के आरोपों का प्रतिकूल असर भी उनकी पार्टी पर पड़ सकता है, इसीलिए अब वो इसमें देरी नहीं चाहते हैं।
हाल ही में दोबारा एनडीए का हिस्सा बने ओमप्रकाश राजभर पर अखिलेश यादव ने निशाना साधते हुए कहा कि वह स्वार्थी नेता हैं, इस पर कैबिनेट मंत्री संजय निषाद का कहना है कि वह एक बड़े नेता हैं। इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। अगर वह किसी जाति के नेता का अपमान करेंगे तो यह माना जाएगा कि वह पूरी जाति का अपमान कर रहे हैं।
वही, अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी के एनडीए में जाने के सवाल पर जिस तरह से इसे गलत बताया उस पर संजय निषाद का कहना है कि बिना आग के कभी धुआं नहीं उठता। कुछ दिन का इंतजार करिए दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
भाजपा ने 2024 की जीत के लिए यूपी में मिशन डिमॉलिशन शुरू कर दिया है। डिमॉलिशन मतलब तोड़फोड़। ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान के बाद अब 4 बड़े नेता भाजपा ज्वॉइन करने जा रहे हैं। इसकी डेट भी तय हो गई है। आज से 3 दिन बाद यानी 24 जुलाई। इनमें सपा और उसके गठबंधन साथी रालोद के नेता हैं। सूत्रों के मुताबिक, इन 4 नेताओं में साहब सिंह सैनी, सुषमा पटेल, राजपाल सैनी और जगदीश सोनकर का नाम है।