ब्रिटेन में आम चुनाव की घोषणा के साथ ही पीएम ऋषि सुनक को एक नई समस्या से जूझना पड़ रहा है। सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी में लगातार सासंदों का इस्तीफा जारी है। हाल ही में टोरी पार्टी के पुराने नेता माइकल गोव और आंड्रे लिडसम ने राजनीति को अलविदा कह दिया है।
इसके साथ ही सुनक की पार्टी में राजनीति से संन्यास लेने वाले कुल सांसदों की संख्या 78 हो गई है। माइकल गोव से पहले रक्षा मंत्री बेन वालेस, पूर्व पीएम थेरेसा मे, साजिद जाविद, डोमिनिक राब, मैट हैनकॉक, नदीम जहावी जैसे दिग्गजों ने भी अगला आम चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं।
2010 के आम चुनाव के बाद ये सबसे बड़ी संख्या है। ब्रिटिश संसद में हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 650 सांसद हैं। अब तक कुल 122 ब्रिटिश सासंदों ने अगला चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है।
इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि सिर्फ टोरी सांसद ही अगला चुनाव लड़ने को लेकर अनिच्छुक हैं। एलन व्हाइटहेड और हैरिट हर्मन सहित कुल 22 विपक्षी लेबर पार्टी के भी कई सांसदों ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। इससे पहले 2019 में ये आंकड़ा 74 था। 2017 के आम चुनाव से पहले सिर्फ 31 और 2015 के चुनाव से पहले 90 सांसदों ने फिर से चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था।
ब्रिटिश सांसदों के इस्तीफा देने की कई वजहें हैं। पहली सबसे बड़ी वजह देश में कंजरवेटिव पार्टी की खराब स्थिति है। कई टोरी सांसदों इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि यदि वे अगला चुनाव लड़ते हैं तो वे हार जाएंगे। ऐसे में उनका फिर से चुनाव लड़ना का मूड नहीं है।
इसके अलावा एक अहम कारण कई सांसदों की बढ़ती उम्र है। कई सांसद अपनी बढ़ती उम्र की वजह से फिर से चुनाव न लड़ने का मन बना चुके हैं। हालांकि, कुछ सांसद ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 30 साल से भी कम है मगर वे फिर चुनाव लड़ना नहीं चाहते।
डिहेना एंडरसन (30), निकोला रिचर्ड्स(29), माइरी ब्लैक(29) ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। कुछ सांसदों ने किसी और पेशे में बेहतर करियर के लिए राजनीति को छोड़ दिया है तो कुछ सासंदों ने तनाव भरी राजनीति से दूर रहने के लिए अगला चुनाव न लड़ने का फैसला किया है।
कंजरवेटिव सांसद स्टुअर्ट एंडरसन ने आए दिन मिल रही हिंसक धमकियों की वजह से राजनीति छोड़ दी। उन्होंने कहा कि सांसदी एक अच्छी जॉब है मगर इसमें बेहद तनाव का सामना करना पड़ता है।
इससे पहले 2010 में सबसे अधिक 149 सासंदों ने इस्तीफा दे दिया था। इतनी बड़ी संख्या में ब्रिटिश सांसदों के इस्तीफे की मुख्य वजह संसद खर्चा घोटाला था। इस घोटाले में यह खुलासा हुआ था कि कई सांसदों ने अपने भत्तों और खर्चों का फर्जी दावा किया था।
इस घोटाले ने तब ब्रिटिश राजनीति में एक बड़ी हलचल पैदा कर दी थी और वे जनता के बीच काफी अलोकप्रिय हो गए थे। यही कारण था कि कई सांसदों ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने या राजनीतिक दबाव के कारण इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले 1997 में 117 सांसदों ने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसमें सबसे अधिक सत्ताधारी लेबर पार्टी से 75 लेबर सांसदों ने पद से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल उन्होंने ऐसा स्कॉटिश संसद के चुनावों में हिस्सा लेने के लिए किया था।
यह कदम तत्कालीन टॉनी ब्लेयर की लेबर सरकार द्वारा पारित विकेंद्रीकरण कानून के तहत लिया गया था, जिसका उद्देश्य स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी की राजनीतिक उपस्थिति को मजबूत करना था।