कौन थीं 50 के दशक की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेसेस निम्मी, आइये जानें

50 के दशक की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेसेस में से एक थीं निम्मी। असली नाम था नवाब बानो। आज उनकी तीसरी डेथ एनिवर्सरी है। इन्हें भारत की अनकिस्ड गर्ल भी कहा जाता था, क्योंकि इन्होंने एक हॉलीवुड एक्टर को अपना हाथ चूमने से रोक दिया था। निम्मी की खूबसूरती से इम्प्रेस होकर राज कपूर ने इन्हें अपनी फिल्म में ब्रेक दिया था। निम्मी ने उस दौर के कई बड़े कलाकारों के साथ काम किया। जिस जमाने में दिलीप कुमार और मधुबाला का प्यार परवान चढ़ रहा था, निम्मी भी दिलीप को पसंद करने लगी थीं।

मधुबाला ने इस अनकहे प्यार को समझा और खुलकर निम्मी से इस बारे में बात की। मधुबाला निम्मी के लिए खुद पीछे हटने को तैयार थीं लेकिन उन्होंने ये कहकर मनाकर दिया कि उन्हें खैरात में पति नहीं चाहिए। उनका फिल्मी करियर काफी अच्छा रहा लेकिन कुछ फैसलों ने उन्हें टॉप एक्ट्रेस से साइड हीरोइन बना दिया। निम्मी ने ऐसी कई फिल्में ठुकराईं, जिनको करके दूसरी एक्ट्रेसेस स्टार बन गईं। मेरे महबूब जैसी फिल्म में उन्हें लीड रोल मिला लेकिन उन्होंने हीरो की बहन का रोल चुना।

ऐसे कई फैसले गलत साबित होते गए। एक सुपर सितारा हैसियत और पोटेंशियल वाली एक्ट्रेस धीरे-धीरे गुम हो गईं। 25 मार्च 2020 में कोरोना के चलते इनकी मौत हुई। कोरोना के कारण उन्हें वैसी अंतिम विदाई भी नसीब नहीं हुई, जिसकी वे हकदार थीं।
निम्मी का असली नाम नवाब बानो था। 18 फरवरी 1933 को ये आगरा की मुस्लिम फैमिली में जन्मी थीं। निम्मी के दादाजी रईस मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर थे, लेकिन उनकी मौत के बाद पिता अब्दुल हकीम वो बिजनेस नहीं संभाल सके और बिजनेस डूब गया। पिता पूरे परिवार के साथ कोलकाता चले आए। यहां फिल्ममेकर ए.आर.केदार उनके पड़ोसी थे। हालत पर तरस खाकर ए.आर.करदार ने निम्मी के पिता को अपनी फिल्म में साइन किया, लेकिन जैसे ही लाइट्स और कैमरा शुरू हुआ तो वो डर से भाग आए। इनकी मां वहिदन आगरा की मशहूर सिंगर थीं। एक बार जब फिल्ममेकर ए.आर.करदार ने मजार में वहिदन का गाना सुना तो उन्हें 500 रुपए महीने की तनख्वाह पर मुंबई बुला लिया। वहिदन की बहन सितारा भी मशहूर सिंगर थीं, जो ज्योति नाम से मशहूर हुई थीं, वो भी मुंबई चली आईं।
जब निम्मी करीब 7 साल की थीं तो मुंबई में रहते हुए उनकी मां वहिदन की तबीयत बिगड़ने लगीं। वो आगरा लौट आईं, जहां कुछ ही दिनों में उनकी मौत हो गई।
1947 में देश आजाद होने के बाद लगातार दंगों का माहौल बना हुआ था। नाना-नानी ने दंगों के डर से निम्मी को अपनी मौसी ज्योति के पास मुंबई भेज दिया। फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में निम्मी ने बताया था कि ज्योति और निम्मी की मां वहिदन की फिल्ममेकर महबूब खान से अच्छी दोस्ती हुआ करती थी। जब निम्मी के लिए ठिकाना चाहिए था तो मौसी ज्योति ने महबूब खान से मदद मांगी। उन्होंने एक कमरा दिलवा दिया, जहां निम्मी के लिए कई नौकर-चाकर भी रखे गए थे। बाथरूम कमरे से दूर था, लोग वहां लाइन लगाकर खड़े होते थे। निम्मी के लिए उनके नौकर लाइन में लगते और उनकी बारी आने पर उन्हें बुलाते थे
कुछ समय बाद 1948 में ज्योति, निम्मी को शूटिंग दिखाने के लिए महबूब खान की फिल्म अंदाज के सेट पर पहुंची थीं। निम्मी की उम्र उस समय महज 14 चाल थी। सेट पर अंदाज फिल्म के हीरो राज कपूर की नजर निम्मी पर पड़ी, जो बेहद खूबसूरत हुआ करती थीं। राज अनजान चेहरा देखकर पूछ पड़े, ऐ लड़की नाम क्या है तुम्हारा। घबराई निम्मी को अपना नाम बताने में 5 मिनट लगे थे। कुछ दिन बीते तो देखा घर के बाहर एक चमचमाती गाड़ी खड़ी थी। दरअसल वो कार राज कपूर ने निम्मी को लेने भेजी थी। स्टूडियो में राज कपूर ने निम्मी का स्क्रीनटेस्ट लिया तो वो घबराकर रोने लगीं। लेकिन तब तक राज उन्हें हीरोइन बनाने का मन बना चुके थे
राज कपूर उस समय बरसात (1949) फिल्म बनाने वाले थे। फिल्म की हीरोइन नरगिस थीं, लेकिन राज कपूर को सेकेंड लीड के लिए एक फ्रेश चेहरे की तलाश थी। निम्मी की खूबसूरती से इंप्रेस होकर राज कपूर ने उन्हें वो रोल दे दिया। राज कपूर ने ही इस फिल्म में नवाब बानो का नाम बदलकर उन्हें स्क्रीन नेम निम्मी दिया था।

शूटिंग के दौरान 15 साल की निम्मी अक्सर डरी सहमी रहती थीं। एक दिन राज कपूर कलावा लेकर इनके पास पहुंचे और पूछा- क्या तुम राखी का मतलब जानती हो। इस धागे को मेरे हाथ में बांध दो। तब से राज कपूर ने उन्हें अपनी बहन मान लिया।
पहली ही फिल्म से निम्मी को पॉपुलैरिटी मिल गई और हर फिल्ममेकर उन्हें बड़ी फिल्मों के ऑफर देने लगे। निम्मी ने आगे बांवरा, सजा, आंधियां, दीदार, दाग, अमर, शमा, चार दिन चार राहें, बड़ी बहू जैसी कई बड़ी फिल्मों में नजर आईं। 1954 की फिल्म डंका और कुंदन (1955) को निम्मी ने ही प्रोड्यूस किया था।
निम्मी ने दिलीप कुमार के साथ कुल 5 फिल्मों आन, अमर, दीदार, दाग, उड़न खटोला में काम किया था। ऑनस्क्रीन के साथ ऑफस्क्रीन भी निम्मी दिलीप कुमार को पसंद करती थीं। फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में खुद उन्होंने ये बात कबूल करते हुए कहा था, दिलीप कुमार एक चुंबक की तरह थे, जिनकी तरफ हर कोई खिंचा चला आता था, मैं भी उनमें से एक थी। एक महारानी तो दिलीप कुमार के लिए अपना सबकुछ छोड़कर आने को तैयार थीं। मैं इस बात को नहीं झुठलाऊंगी कि मुझे भी वो बहुत पसंद थे। उनके आशिक हम भी थे। मैं उनकी फैन भी थी। लेकिन मधुबाला और दूसरी खूबसूरत महिलाएं उनसे मोहब्बत करती थीं, मैं उनकी बराबरी कैसे कर सकती थी। मेरा दिल बुरी तरह से टूटा था, मैंने कुछ ऐसी चाहत रखी जो कभी मुझे मिल नहीं सकती थी।

निम्मी ने बताया था, दिलीप कुमार के साथ आन फिल्म की शूटिंग के समय उन्हें एक सीन के लिए चलते घोड़े में उन्हें एक तलवार फेंककर देनी थी। नोंक से दिलीप साहब को चोट लग गई। जब माफी मांगी तो उन्होंने पलटकर कहा, हम सोचेंगे जिंदगी में एक चोट और खाई। ये सुनकर निम्मी रात भर उनके ख्यालों में खोई रही थीं। इंटरव्यू में निम्मी ने कहा था, आखिर मैं कोई फरिश्ता नहीं थी, मैं भी इंसान हूं
फिल्म अमर में निम्मी और मधुबाला को साथ कास्ट किया गया था, जबकि हीरो दिलीप कुमार थे। मधुबाला उस समय दिलीप कुमार को चाहती थीं और निम्मी भी उन्हें पसंद करती थीं। साथ शूटिंग करते हुए निम्मी और मधुबाला अच्छी दोस्त बन चुकी थीं। निम्मी सेट पर दिलीप कुमार का खूब ख्याल रखती थीं, जो मधुबाला को खूब खटकता था। दोनों अक्सर दिलीप कुमार पर चर्चा भी किया करती थीं। निम्मी की बातों और हाव भाव से मधुबाला समझ चुकी थीं कि वो भी दिलीप साहब को चाहती हैं। एक दिन मधुबाला ने निम्मी से कहा, क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकती हूं? आशा करती हूं तुम मुझसे झूठ नहीं कहोगी। जब निम्मी ने हामी भरी तो मधुबाला ने पूछा, क्या तुम भी दिलीप साहब के लिए वही महसूस करती हो जो मैं करती हूं। अगर हां तो तुम्हारी खातिर में उनकी जिंदगी से चली जाऊंगी। ये सुनकर निम्मी भड़क गईं और जवाब दिया, मुझे खैरात (भीख) में पति नहीं चाहिए

1952 की फिल्म आन में निम्मी, दिलीप कुमार और प्रेम नाथ के साथ नजर आई थीं। इस फिल्म में निम्मी के कैरेक्टर को मार दिया गया था, लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर की डिमांड पर एक ड्रीम सीक्वेंस तैयार किया गया, जिससे निम्मी का कैरेक्टर फिल्म में दिखता रहे। इस फिल्म का प्रीमियर लंदन में हुआ। जैसे ही टीम लंदन पहुंची, तो हॉलीवुड एक्टर एरोल फ्लायन भी उनका स्वागत करने खड़े थे। जैसे ही वो निम्मी से मिले तो झुककर उनका हाथ चूमने लगे। निम्मी ने झट से अपना हाथ खींच लिया और गुस्से में कहा, क्या आपको पता नहीं है कि मैं एक भारतीय हूं। अगले दिन लंदन के न्यूजपेपर में इस वाक्ये को छापा गया, जिसकी हैडलाइन थी ‘The un-kissed girl of India’
द अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया नाम से मशहूर होने के बाद निम्मी को कई हॉलीवुड फिल्मों के ऑफर मिले, लेकिन उन्होंने सारे ऑफर ठुकरा दिए। हॉलीवुड के मशहूर अमेकिन फिल्ममेकर सेसिल बी. डिमाइल ने भी निम्मी को फिल्म ऑफर की थी, लेकिन वो भी इन्होंने ठुकरा दी।
हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्म मदर इंडिया बनाने में महबूब खान ने 40 लाख रुपए खर्च किए थे। जब फिल्ममेकिंग के दौरान मदर इंडिया रुक गई तो निम्मी ने उनका सालों पुराना एहसान चुकाया। निम्मी महबूब खान के दफ्तर पहुंच गईं। उन्होंने मैनेजर को पल्लू में बंधी नोटों की गड्डी दीं और कहा फिल्म नहीं रुकनी चाहिए, लेकिन महबूब खान को न बताइएगा कि पैसे निम्मी ने दिए है

राज्यसभा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में निम्मी ने अपनी शादी से जुड़ी मजेदार बात बताई थी। दरअसल उन्होंने अपने पति अली रजा को एक तस्वीर में देखकर पसंद किया था, जो महबूब स्टूडियो के स्क्रिप्टराइटर थे। फेमस स्टूडियो में शूटिंग के दौरान निम्मी के हेयरड्रेसर ने उन्हें फिल्मइंडिया मैगजीन में छपी अली रजा की तस्वीर दिखाई और कहा, आप इनसे शादी क्यों नहीं कर लेतीं। निम्मी को बात पसंद आई और ये उनके जहन में घर कर गई। कुछ समय बाद उनके को-स्टार मुकरी ने भी उन्हें यही सुझाव दिया। दोनों ने बातचीत की और अपने परिवारवालों को मिलवा दिया। दोनों ने 1965 में शादी कर ली। निम्मी कभी मां नहीं बन सकीं, जिससे वो काफी परेशान रहती थीं। कुछ सालों बाद उन्होंने अपनी बहन के बेटे को गोद ले लिया।
50 के दशक में निम्मी सबसे कामयाब एक्ट्रेसेस के बीच गिनी जाती थीं, लेकिन शादी के लिए उन्होंने कई बड़ी फिल्में ठुकरा दीं। ये लापरवाही उनके करियर की सबसे बड़ी गलती साबित हुई। निम्मी ने साधना, वो कौन थी जैसी फिल्मों में काम करने से मना किया था, जिनसे वैजयंतीमाला और साधना स्टार बनी थीं। इन्होंने कॉस्ट्यूम तैयार होने के बाद सरस्वती चंद्र ठुकराई थी, जो बड़ी हिट थी। मेरे महबूब फिल्म में निम्मी को लीड रोल मिला, लेकिन उन्होंने लीड रोल छोड़कर हीरो की बहन का साइड रोल पसंद किया। इनके सारे फैसले गलत साबित हुए। दरअसल ऐसा उन्होंने शादी करने के लिए किया था। फिल्मफेयर को दिए इंटरव्यू में निम्मी ने कहा था, मुझपर शादी का भूत सवार था। मैंने शादी के लिए ही फिल्में ठुकराई थीं
शादी के बाद भी निम्मी फिल्मों में काम करना चाहती थीं, लेकिन उनके पति अली रजा इसके खिलाफ थे। जब रजा दिनभर स्क्रिप्ट राइटिंग में व्यस्त रहते और शाम को दोस्तों के साथ समय बिताते तो निम्मी अपने काम को काफी याद किया करती थीं। उनका मानना था कि शादी जिम्मेदारी के साथ आती है, जो हर महिला को निभानी पड़ती है। वो शादी के बाद फिल्मों में काम करना चाहती थीं, लेकिन इसके लिए वो अपनी शादीशुदा जिंदगी खराब करने के लिए तैयार नहीं थीं। एक बार उन्होंने कहा था, मैं बेवकूफ थी जो सब जो काम छोड़ दिया।
60 के दशक में के.आसिफ ने निम्मी और गुरु दत्त को लेकर फिल्म लव एंड गॉड बनाना शुरू की लेकिन 1964 में गुरू दत्त की मौत के बाद फिल्म रुक गई। कुछ सालों बाद ये फिल्म संजय कपूर के साथ दोबारा हुई, लेकिन 1971 में के. आसिफ का भी निधन हो गया। आखिरकार के.सी.बोकाड़िया ने फिल्म पूरी की जो 1986 में रिलीज हो सकी। इस फिल्म को बनने में 22 साल लगे थे। इस फिल्म के रिलीज होने से 20 साल पहले ही निम्मी रिटायर हो चुकी थीं।

शादी के बाद निम्मी पति के साथ वर्ली, मुंबई स्थित बंगले में रहने लगीं। बढ़ती उम्र के चलते वो जुहू के एक अपार्टमेंट में रहने लगीं। जब 2007 में अली रजा की मौत हुई तो निम्मी अकेली पड़ गईं
25 मार्च 2020 को निम्मी का 87 साल की उम्र में निधन हुआ था। उनकी मौत का कारण कोरोना था। सांस लेने में तकलीफ की शिकायत पर उन्हें जुहू के अस्पताल ले जाया गया था, जहां उन्हें मृत घोषित किया गया था। कोरोना महामारी के चलते उनका अंतिम संस्कार घरवालों की मौजूदगी में ही किया गया, जिसमें भीड़ नहीं थी।