मेरा साया, मेरे महबूब, वो कौन थी, आप आए बहार आई जैसी दर्जनों सुपरहिट फिल्मों में नजर आईं साधना की आज 82वीं बर्थ एनिवर्सरी है। फिल्मों में अपने दमदार अभिनय के साथ-साथ साधना अपने बेहतरीन स्टाइल से फैशन का नया दौर लाई थीं। उनकी हेयर स्टाइल इतनी फेमस थी कि उस जमाने में हर लड़की उनकी तरह बाल कटवाया करती थी, जिसे साधना कट कहा जाता था। हर फिल्म में पहने गए उनके कपड़े ट्रेंड बन जाया करती थीं।
बालों से साधना को इस कदर लगाव था कि पहली ही फिल्म में अपने बाल संवारने पर राज कपूर से लड़ बैठी थीं। महज 14 साल की उम्र में फिल्मों में आईं साधना ने शादी के बाद इंडस्ट्री से दूरी बना ली। लेकिन पति की मौत के बाद उनकी जिंदगी के आखिरी 20 साल बेहद मुश्किलों और अकेलेपन में कटे।
न संतान थी न कोई साथ देने वाला। इसके बावजूद साधना ने जिंदगी के कई साल एक घर के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते बिता दिए।
2 सितंबर 1941 को गुलाम भारत के कराची शहर में साधना शिवदसानी का जन्म एक सिंधी परिवार में हुआ। उनके पिता की पसंदीदा एक्ट्रेस साधना बोस थीं, जिनके नाम पर उन्होंने अपनी बेटी का नाम साधना रख दिया था। साधना के चाचा एक्टर हरि शिवदसानी थे, जिनकी बेटी बबीता (रणधीर कपूर की पत्नी और करिश्मा-करीना की मां) भी मशहूर एक्ट्रेस थीं। 8 सालों तक साधना की पढ़ाई घर पर ही उनकी मां ने करवाई थी, फिर जब 1947 में भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो साधना का पूरा परिवार बॉम्बे (अब मुंबई) आकर बस गया
मुंबई में साधना का दाखिला औक्सिलियम कॉन्वेंट स्कूल, वडाला में करवाया गया। साधना अपने चाचा हरि शिवदसानी और नूतन के अभिनय करियर से प्रभावित होकर खुद भी एक्ट्रेस बनना चाहती थीं। उनकी दिलचस्पी देखकर उनके पिता ने उन्हें 14 साल की उम्र में फिल्म श्री 420 में काम दिलवा दिया। फिल्म के लीड हीरो राज कपूर थे और साधना को फिल्म के गाने मुड़-मुड़ के न देख में कोरस गर्ल बनने का मौका मिला था। गाने में साधना बमुश्किल चंद सेकेंड के लिए दिखी थीं।
साधना बचपन से ही अपने बालों का खास ध्यान देती थीं। गाने में भले ही उन पर किसी की नजर नहीं जाती हो, लेकिन जैसे ही राज कपूर एक्शन बोलते तो वो अपने बाल संवारने लगती थीं। उनकी बाल संवारने की आदत से दो-तीन बार शॉट खराब हो गया। एक बार राज कपूर का पारा इतना चढ़ गया कि उन्होंने साधना को जमकर डांट लगा दी।
साधना नई थीं और राज कपूर स्टार, लेकिन इसके बावजूद साधना उनसे उलझ गईं। दोनों में बहस भी हुई थी। उन दोनों में से शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आगे जाकर साधना की हेयरस्टाइल पूरे देश में मशहूर होने वाली है।
श्री 420 फिल्म में काम करने के बाद साधना को कोई दूसरा काम नहीं मिला। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी करते ही आर्ट्स डिग्री हासिल करने के लिए जय हिंद कॉलेज में दाखिला ले लिया। अभिनय में रुचि थी तो वो कॉलेज में होने वाले प्ले में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं।
साधना एक हीरोइन बनना चाहती थीं, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर उन्होंने कोलाबा में एक टाइपिस्ट बनकर काम करना शुरू कर दिया। उनका आधा दिन कॉलेज और आधा दिन नौकरी में गुजरता था। नौकरी और पढ़ाई का तालमेल बैठाना मुश्किल होता चला गया तो कुछ दिनों बाद साधना ने पढ़ाई अधूरी छोड़ दी
साधना नौकरी में व्यस्त हो गईं कि तभी उनके पास एक प्रोड्यूसर आया। उस प्रोड्यूसर्स ने कुछ दिनों पहले साधना को कॉलेज प्ले में देखा था और वो उन्हें अपनी फिल्म अबाना में लेना चाहता था। साधना ने भी दिलचस्पी दिखाई तो उस प्रोड्यूसर ने तुरंत जेब से एक रुपया निकाला और उन्हें थमा दिया। वो साधना का पहला साइनिंग अमाउंट था। 1958 में रिलीज हुई फिल्म अबाना भारत की पहली सिंधी फिल्म थी।
फिल्म अबाना में साधना का रोल मामूली था, जिससे उन्हें खास पहचान नहीं मिल सकी, लेकिन इसी फिल्म की बदौलत उनकी किस्मत बदल गई। दरअसल हुआ यूं कि फिल्म अबाना के प्रमोशन के दौरान साधना का एक प्रमोशनल शूट करवाया गया था। उस प्रमोशनल शूट की तस्वीरें उस जमाने की पॉपुलर स्क्रीन मैगजीन में छपी।
एक दिन उस जमाने की मशहूर फिल्ममेकर शशधर मुखर्जी स्क्रीन मैगजीन पढ़ रहे थे कि उनकी नजरें नौजवान और खूबसूरत साधना की तस्वीर पर टिक गईं। न जाने उनके मन में क्या आया होगा कि उन्होंने साधना का पता लगाया और उन्हें अपनी एक्टिंग स्कूल में एक्टिंग सीखने बुला लिया। उसी एक्टिंग स्कूल में शशधर मुखर्जी का बेटा जॉय मुखर्जी भी एक्टिंग सीखता था।
शशधर मुखर्जी ने साधना को अपने बेटे जॉय मुखर्जी के साथ फिल्म लव इन शिमला से हिंदी फिल्मों में लॉन्च करने का फैसला किया। उस फिल्म के लिए आर.के. नय्यर को डायरेक्टर चुना गया, जो उससे पहले असिस्टेंट डायरेक्टर हुआ करते थे।
डायरेक्टर आर.के. नय्यर हॉलीवुड एक्ट्रेस आड्री हेपबर्न के प्रशंसक थे। उन्होंने ऑड्री से इंस्पायर होकर साधना के लिए फ्रिंज हेयर स्टाइल फाइनल की, जो फिल्म में देखी गई थी। फिल्म लव इन शिमला साथ 1960 में रिलीज हुई और सुपरहिट साबित हुई और इस फिल्म से साधना रातोंरात स्टार बन गईं।
फिल्म रिलीज के बाद साधना की हेयर स्टाइल इतनी फेमस हुई कि उस समय हर लड़की में साधना की तरह बाल रखने की होड़ मची होती थी। इस ट्रेंड का नतीजा ये निकला कि उस हेयरस्टाइल को साधना कट ही कहा जाने लगा।
साधना को फिल्मों में कसे हुए चूड़ीदार-कुर्ते का ट्रेंड लाने का भी क्रेडिट दिया जाता है। उस दौर में ज्यादातर एक्ट्रेसेस ढीले शलवार कुर्ते पहनती थीं। हालांकि यश चोपड़ा की फिल्म वक्त में उन्होंने टाइट कपड़े पहनकर नया ट्रेंड लाया। साधना ने खुद फैशन डिजाइनर भानु अथैया के साथ मिलकर ये कपड़े डिजाइन करवाए थे। उसके बाद से 70 के दशक तक कई एक्ट्रेसेस ने उनके डिजाइन कॉपी किए।
आगे साधना ने 1961 की हम दोनों, 1962 की असली नकली और 1963 की मेरे महबूब जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम कर खुदको टॉप एक्ट्रेसेस के बीच ला खड़ा किया। वो कौन थी और साया भी साधना की बेहतरीन फिल्मों में शामिल हैं।पहली फिल्म लव इन शिमला के सेट पर ही साधना को फिल्म के डायरेक्टर आर.के. नय्यर से प्यार हो गया। उस समय वो महज 19 साल की थीं, ऐसे में परिवार वाले दोनों के रिश्ते के खिलाफ थे। आखिरकार परिवार के खिलाफ जाकर साधना ने कुछ सालों बाद 1966 में उनसे शादी कर ली। शादी के बावजूद साधना और आर.के. नय्यर निःसंतान रहे
50-60 के दशक में ज्यादातर एक्ट्रेसेस शादी के बाद फिल्मों से दूरी बना लिया करती थीं, लेकिन साधना ने शादीशुदा होकर भी अनीता, एक फूल दो माली, आप आए बहार आई, गीता मेरा नाम जैसी कई हिट फिल्में दीं।
बढ़ती उम्र के साथ 1978 तक साधना ने महफिल फिल्म के बाद फिल्मों में काम करना लगभग बंद कर दिया। जब 1995 में अस्थमा से उनके पति आर.के. नय्यर का निधन हो गया तो साधना एकदम अकेली पड़ गईं। कुछ समय बाद ह्यपरथीरोइड बीमारी के चलते उनकी एक आंख में दिक्कत हो गई, जिसके चलते उन्होंने घर से बाहर निकलना लगभग बंद कर दिया। जब भी वो घर से निकलती थीं, तो तस्वीर क्लिक करवाने से साफ इनकार कर दिया करती थी।
साधना पति के साथ जिस घर में रहती थीं, उस पर कुछ लोगों ने मुकदमा शुरू कर दिया। घर बचाने के लिए साधना को कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते थे। उस समय भी किसी रिश्तेदार या करीबी ने उनकी मदद नहीं की। जब पर केस चल रहा था तो वो आशा भोसले के सांताक्रूज स्थित घर पर किराए से रहा करती थीं
अकेलेपन में साधना खुद का ख्याल नहीं रख सकीं और कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ गईं। उनकी हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि उनके मुंह से खून निकलता था। हालत नाजुक होने पर साल 2014 में उन्हें एक इमरजेंसी सर्जरी करवानी पड़ी थी। उन्हें कैंसर था
दिसंबर 2015 में साधना बुखार बढ़ने पर हिंदुजा हॉस्पिटल एडमिट हुई थीं, जहां उनका 25 दिसंबर को निधन हो गया। चंद रिश्तेदारों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार ओशिवारा श्मशान घाट में हुआ था
साधना ने फिल्मी करियर में करीब 30 फिल्मों में काम किया था, हालांकि उन्हें एक्टिंग के लिए कोई अवाॅर्ड नहीं मिल। फिल्मी करियर छोड़ने के 8 सालों बाद साधना को IIFA ने 2002 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवाॅर्ड से सम्मानित किया था।