आपको 1975 में आई फिल्म ‘शोले’ का गाना ‘महबूबा-महबूबा’ याद होगा। इस गाने में हेलन तो थीं लेकिन रुबाब बजाते दिखे एक्टर जलाल आगा ने भी सबका ध्यान खींचा था। जलाल आगा का फिल्मों से नाता बचपन में ही जुड़ चुका था क्योंकि इनके पिता आगा 40-50 के दशक के बेहतरीन कॉमेडियन थे जिन्होंने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। जलाल पिता के नाम का फायदा उठाकर फिल्मों में आसानी से जगह बना सकते थे लेकिन उन्होंने अपने दम पर ही पहचान बनाई।
जलाल आगा सपोर्टिंग रोल्स तक ही सिमटकर रह गए लेकिन उन्होंने बॉलीवुड में जितना भी काम किया अपने दम पर किया। सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर भी इन्होंने अपने टैलेंट के बल पर तारीफें बटोरीं। खुद्दार और जुनूनी इतने थे कि जब इन्हें पता चला कि पहली फिल्म पिता की सिफारिश पर मिली है तो इन्होंने उस फिल्म में काम करने से ही मना कर दिया। जब छोटे थे और मुगल-ए-आजम में सलीम के बचपन का किरदार निभाने के लिए शूटिंग शुरू की तो पिता भी सेट पर आ गए। पिता के सामने नर्वस होकर जलाल शूटिंग में मन नहीं लगा पाए तो उन्होंने डायरेक्टर से कहकर पिता को ही सेट से बाहर निकलवा दिया। पिता इस बात से चिढ़ गए और उन्होंने बोर्डिंग स्कूल में जलाल का एडमिशन करवा दिया।
FTII से पासआउट जलाल ने एक्टिंग के अलावा डायरेक्शन और फिल्म प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया। 1967 में शुरू हुआ उनका फिल्मी सफर 26 साल बाद 1993 में खत्म हुआ जब इसी साल फिल्म ‘पहला नशा’ रिलीज हुई। इस फिल्म में जलाल आगा आखिरी बार सिल्वर स्क्रीन पर नजर आए। इनकी पर्सनल लाइफ उतार-चढ़ाव से भरी रही। पत्नी तलाक देकर जर्मनी चली गई तो अपने दो बच्चों से मिलने के लिए जलाल आगा को बहुत मुश्किल हुई। 1995 में इनका निधन हो गया।
ये किस्सा साल 1950-55 के बीच का है जब के.आसिफ मुगल-ए-आजम बना रहे थे। उन्हें फिल्म में सलीम के बचपन का रोल निभाने के लिए एक चाइल्ड आर्टिस्ट की तलाश थी। उन्होंने इस बात का जिक्र दिलीप कुमार से किया जो फिल्म में सलीम की भूमिका में थे। दिलीप कुमार को अपने जिगरी दोस्त और कॉमेडियन आगा के बेटे जलाल का ख्याल आया। उन्होंने आगा से मिलकर कहा कि वो उनके बेटे जलाल को फिल्म मुगल-ए-आजम में सलीम के बचपन के रोल में देखना चाहते हैं। आगा अपने बेटे से इतनी कम उम्र में फिल्मों में काम नहीं करवाना चाहते थे। वो चाहते थे कि बेटा पढ़ाई पर ध्यान लगाए इसलिए उन्होंने दिलीप कुमार को मना कर दिया।
दिलीप कुमार भी कहां मानने वाले थे। वो आगा से छुपकर उनके बेटे को मुगल-ए-आजम के सेट पर ले गए और उससे शूटिंग करवाने लगे। जब आगा को ये बात पता चली तो वो ज्यादा गुस्सा नहीं हुए लेकिन बेटा जब शूटिंग पर जाता तो वो साए की तरह उसके पीछे लगे रहते और सेट पर भी उस पर नजर रखते। जलाल को ये बात नागवार गुजर रही थी क्योंकि वो अपने रोल पर फोकस ही नहीं कर पा रहे थे। फिर जलाल ने डायरेक्टर के.आसिफ से शिकायत कर अपने पिता को ही सेट से बाहर निकलवा दिया।
जलाल का जन्म 11 जुलाई, 1945 को हुआ था। उनकी मां का नाम मासूम था। जलाल माता-पिता के इकलौते बेटे और तीन बहनों के एक भाई थे इसलिए उन्हें हमेशा बहुत लाड़-प्यार मिला। आगा की पढ़ाई पुणे के एक बोर्डिंग स्कूल में हुई और फिर वो सिंधिया स्कूल ग्वालियर में पढ़े। पिता उन्हें मुंबई में नहीं पढ़ाना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि अगर वो यहां रहे तो वो फिल्मों में काम करने लगेंगे और पढ़ाई नहीं करेंगे।
जलाल ने ग्वालियर में स्कूलिंग के बाद में पुणे के FTII (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) से एक्टिंग में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने पिता को भी बता दिया कि वो फिल्मों में ही अपना करियर बनाएंगे।
जलाल ने ग्वालियर में स्कूलिंग के बाद में पुणे के FTII (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) से एक्टिंग में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने पिता को भी बता दिया कि वो फिल्मों में ही अपना करियर बनाएंगे।
अपने दम पर पहचान बनाना चाहते थे जलाल
जलाल स्टारकिड थे लेकिन उन्होंने कभी इस बात का फायदा उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। वो अपने पिता के नाम का इस्तेमाल कर कोई काम नहीं पाना चाहते थे। जब जलाल बड़े हुए तो उन्हें फिल्म फर्ज ऑफर हुई। वो फिल्म में काम करने के लिए मान गए लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि ये फिल्म उन्हें पिता की वजह से मिली है तो उन्होंने फिल्म छोड़ दी।
उनकी बहन शहनाज ने एक इंटरव्यू में कहा था-मेरे भाई (जलाल) और मुझे इस बात से चिढ़ होती थी कि हमें आगा के बच्चे होने की वजह से काम मिल रहा है क्योंकि हमें लगता था कि जैसे हमारी अपनी कोई पहचान ही नहीं है। जलाल की बहन शहनाज भी एक्ट्रेस हुआ करती थीं। उन्होंने फिल्म 1969 में आई फिल्म सात हिंदुस्तानी थी जिसमें जलाल भी थे। शहनाज की दो बहनें और थीं जो फिल्मों में आना चाहती थीं लेकिन पिता आगा इसके सख्त खिलाफ थे। उनका मानना था कि लड़कियों को घर में रहना चाहिए लेकिन शहनाज उन्हें मनाने के बाद फिल्मों में आ गई थीं।
जलाल ज्यादातर फिल्मों में सपोर्टिंग एक्टर बने। उन्हें यादों की बारात में सलीम, फिल्म जूली में रिचर्ड और सबसे ज्यादा 1975 में आई फिल्म शोले में महबूबा-महबूबा गाने के लिए याद किया जाता है। इस गाने में जलाल हेलन के साथ नजर आए थे। इसके अलावा उन्होंने सात हिंदुस्तानी, थोड़ी सी बेवफाई, दिल आखिर दिल है जैसी फिल्मों में भी सपोर्टिंग रोल निभाए। जलाल ने अपने करियर में तकरीबन 60 फिल्मों में काम किया था
जलाल ने डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले में भी हाथ आजमाया। माजा फिल्म्स नाम से उनका एक प्रोडक्शन हाउस था जिसमें उन्होंने कुछ विज्ञापन और टीवी सीरियल बनाए। 1987 में प्रसारित हुआ मिस्टर या मिसेज और कहकशां (1991) भी इन्हीं के प्रोडक्शन हाउस ने बनाए थे।
जलाल की बनाई पहली फिल्म निर्वाण थी। प्रोड्यूसर्स के साथ हुए क्रेडिट विवाद के चलते ये फिल्म कभी रिलीज नहीं हो पाई। जलाल आगा की बनाई दूसरी फिल्म गूंज थी जो कि 1989 में रिलीज हुई। इसकी कहानी 1980 के आसपास देश में हुए दंगों पर आधारित थी। फिल्म को क्रिटिकली तो सराहना मिली लेकिन ये बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही। जलाल ने बॉम्बे टॉकीज (1970), गांधी(1982), किम (1984) और द डिसीवर्स (1984) जैसी इंग्लिश फिल्मों में भी काम किया था। 1979 में उन्होंने एक हॉलीवुड मूवी ‘द क्रॉसिंग’ भी साइन की थी लेकिन ये कभी बन नहीं पाई।
जलाल की शादी मॉडल वैलेरी परेरा से हुई। दोनों दो बच्चों (सलीम क्रिस्टोफर आगा बी और वनेसा) के पेरेंट्स बने लेकिन आठ साल बाद 1983 में ये शादी टूट गई। वैलेरी ने तलाक के बाद दूसरी शादी कर ली और जर्मनी चली गईं। बच्चों की कस्टडी भी उनके पास थी तो उन्हें भी साथ ले गईं। जलाल को अपने बच्चों से दूर रहना काफी नागवार गुजरा। वह पाई-पाई जोड़ते थे ताकि अपने बच्चों से मिलने के लिए जर्मनी जा पाएं। बड़ा होकर उनका बेटा सलीम इंडिया वापस आ गया जो कि फेमस कुक है और गोवा में नामी रेस्त्रां का मालिक है। वहीं बेटी वनेसा शिकागो में सेटल्ड हैं।
जलाल की मौत 5 मार्च, 1995 को दिल्ली में हुई थी। 49 साल की उम्र में हार्ट अटैक से उनकी जान गई थी। जलाल की मौत के बाद उनकी बहन शहनाज ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मौत से एक दिन पहले ही जलाल को मरने का आभास हो गया था।
बहन शहनाज ने बताया था कि उन्हें अपनी मौत का आभास हो गया था। उन्होंने एक किस्सा बताते हुए कहा था, 50वें जन्मदिन से चंद दिन पहले उनके दोस्तों ने उनसे बड़े सेलिब्रेशन की डिमांड की थी लेकिन जलाल ने कहा-’कल किसने देखा है, पहले कल तो आने दो’। इस बात के अगले ही दिन उनकी मौत हो गई थी।
शहनाज ने ये भी खुलासा किया था कि उनके भाई काफी मिलनसार थे। उनके इतने ज्यादा दोस्त थे कि सबके फोन नंबर नोट करने के लिए उनके पास दो डायरी थीं। इनमें एक डायरी में उन दोस्तों के नाम और फोन नंबर थे जो कि इंडिया से हैं। वहीं, दूसरी डायरी में उन्होंने विदेश में रहने वाले दोस्तों के नंबर नोट किए हुए थे। जलाल के निधन से ठीक तीन साल पहले उनके पिता आगा का निधन भी हार्ट अटैक से हुआ था।