1950 का दौर इजिप्ट के सिनेमा का सुनहरा दौर था। सिनेमा तेजी से बदल रहा था और इस बदलाव का कारण कोई हीरो या फिल्म मेकर नहीं, एक एक्ट्रेस थीं। नाम था फातेन हमामा। फातेन इजिप्ट के सिनेमा का ही नहीं, देश का भी खजाना कही जाती हैं। कम उम्र से फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाली फातेन को इजिप्ट में वो दर्जा हासिल था कि जब इजिप्ट इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने उनसे बदसलूकी की तो उन्होंने देश छोड़ दिया। फातेन को फिर इजिप्ट लाने के लिए वहां के राष्ट्रपति ने लोगों को उन्हें मनाने भेजा था।
फातेन ने 3 शादियां कीं। दो बार तलाक हुए। दूसरे पति ने उनके लिए अपना धर्म बदलकर इस्लाम कबूल कर लिया, लेकिन जब उसी पति को हॉलीवुड की फिल्में मिलने लगीं और उसने इजिप्ट छोड़ अमेरिका बसने का दबाव बनाया, तो फातेन ने उसे तलाक दे दिया। फातेन ने पूरी जिंदगी स्टारडम देखा। पहले सिनेमा में फिर टीवी में। उनके निधन पर इजिप्ट में दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया था।
27 मई 1931 को फातेन हमामा का जन्म इजिप्ट के मनसौरा शहर के एक गरीब परिवार में हुआ था। 4 भाई-बहनों में फातेन दूसरे नंबर पर थीं। जब फातेन 6 साल की थीं तो वो अपने पिता के साथ एक थिएटर में फिल्म देखने पहुंचीं। फिल्म खत्म होते ही जब हर कोई तालियां बजाने लगा तो नन्ही फातेन को लगा कि सब उनके लिए तालियां बजा रहे हैं। बस यहीं उन्होंने हीरोइन बनने का सपना देख लिया। पिता ने उनका जज्बा समझते हुए एक चिल्ड्रन ब्यूटी कॉन्टेस्ट में उन्हें हिस्सा दिलवाया और फातेन ने उसमें जीत हासिल की
फातेन का एक्टिंग के लिए जुनून देखकर उनके पिता ने उनकी कुछ खूबसूरत तस्वीरें इजिप्ट सिनेमा के डायरेक्टर मोहम्मद करीम को भेज दीं, जो उस समय अपनी एक फिल्म के लिए एक छोटी बच्ची की तलाश में थे। फातेन की तस्वीरें मिलते ही डायरेक्टर की तलाश खत्म हो गई। फातेन का जब ऑडिशन लिया गया, तो नन्ही बच्ची का अभिनय देखकर हर कोई दंग रह गया। 1939 की फिल्म Youm Sai’d (हैप्पी डे) से 8 साल की फातेन ने इजिप्ट सिनेमा में जगह बनाई
फातेन की पहली ही फिल्म में उनका अभिनय इतना दमदार था कि डायरेक्टर ने उनके पिता के साथ उनका कॉन्ट्रैक्ट पक्का करवा लिया। फातेन की बढ़ती पॉपुलैरिटी के साथ ही घर के आर्थिक हालात भी सुधरने लगे। कुछ सालों बाद 1946 में उन्होंने राजधानी काहिरा के इंस्टीट्यूट से एक्टिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली
जब फातेन 15 साल की हुईं तो उन्हें इजिप्ट सिनेमा के मशहूर डायरेक्टर यूसुफ वाहबी ने फिल्म मलक-अल-रहमा में हीरोइन बनने का ऑफर दिया। बतौर लीड पहली फिल्म से ही फातेन हमामा इजिप्ट सिनेमा में पॉपुलर हो गईं। उनकी फिल्में लगातार हिट होती गईं और वो इजिप्ट की स्टार बनीं
1947 की फिल्म जैद अल-हिलाली की शूटिंग करते हुए फातेन हमामा को फिल्म के डायरेक्ट एज एल-डाइन जुल्फिकार से प्यार हो गया। चंद महीनों बाद दोनों ने शादी कर ली। कुछ समय बाद एक इंटरव्यू में फातेन ने कहा कि उनका और जुल्फिकार का रिश्ता वैसा ही है जैसा एक स्टूडेंट और उसके टीचर का होता है। इस शादी से कपल को एक बेटी नादिया हुई। ये शादी 7 सालों तक चली फिर दोनों ने तलाक ले लिया। आपसी सलाह से हुए तलाक के बाद भी दोनों एक-दूसरे के दोस्त रहे और साथ में फिल्मों में काम करते रहे
1954 में फातेन हमामा ने फिल्म स्ट्रगल इन वैली में काम कर रहे एक्टर शुक्री सरहान के साथ काम करने से इनकार कर दिया और कहा कि वो चाहती हैं कि फिल्म के हीरो उमर शरीफ बनें। फातेन इतनी बड़ी स्टार थीं कि उनकी बात मान ली गई। उस समय उमर शरीफ एक कॉलेज पासआउट थे, जिन्हें फातेन ने यंग टैलेंट समझकर फिल्मों में लेने की जिद की थी।
वैसे तो फातेन ने फिल्मों में नो किसिंग पॉलिसी अपना रखी थी, लेकिन इस फिल्म में उन्होंने उमर शरीफ को किस कर सुर्खियां बटोर लीं। फातेन का बदला रवैया ये साबित करने के लिए काफी था कि वो उमर शरीफ को चाहती हैं, फिर कुछ दिनों बाद दोनों ने शादी कर उन अफवाहों पर मुहर लगा दी। उमर शरीफ का असली नाम माइकल युसेफ था, लेकिन उन्होंने फातेन से शादी करने के लिए इस्लाम कबूल कर नाम बदल लिया
फातेन हमामा और उमर शरीफ की शादी के बाद दोनों की जोड़ी इतनी पसंद की जाने लगी कि दोनों की लगभग हर फिल्म हिट रही। शादी के बाद फातेन ने बेटे तारिक शरीफ को जन्म दिया।
फातेन की ज्यादातर फिल्मों में उनके किरदार महिलाओं की छवि सुधारने का काम करते थे। वो फिल्मों में सशक्त महिला बनकर, महिलाओं को मजबूत बनने की प्रेरणा दिया करती थीं। फिल्म आई वॉन्ट सॉल्यूशन में फातेन ने महिलाओं के लिए तलाक के कानून पर रोशनी डाली।
इसमें उन्होंने दिखाया कि कैसे महिलाएं पति से परेशान होकर शरिया कानून के मुताबिक तलाक (खुला) ले सकती हैं। इसके अलावा उन्होंने फिल्म द ओपन डोर में जेंडर इक्वैलिटी पर आवाज उठाई, फिल्म ओरिदु हलान में इजिप्ट के शादी और तलाक के कानून पर सवाल उठाया और मिस फातमा में महिलाओं के एम्प्लॉयमेंट राइट पर चर्चा छेड़ी। इन रोल्स के लिए उन्हें मोरक्को के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित भी किया गया था।
जब 1952 में इजिप्ट में राजशाही खत्म कर गणतंत्र लाने की लड़ाई शुरू हुई, तो इस क्रांति की फातेन हमामा भी बड़ी समर्थक बनीं। कुछ समय बाद उन्होंने अपना विचार बदल लिया, तो खुफिया एजेंसी उन पर समर्थन करने का दबाव बनाते हुए उन्हें परेशान करने लगीं। जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो उनकी यात्राओं पर पाबंदी लगा दी गई
उन्हें कई फिल्म फेस्टिवल में जाने से रोक दिया गया। विवाद बढ़ने लगे और इंटेलिजेंस ऑफिसर्स उनका हैरेसमेंट करने लगे। फातेन ने आवाज उठाई, लेकिन उन्हें किसी की मदद नहीं मिली। नाराज होकर फातेन हमामा और उनके पति उमर शरीफ ने देश छोड़ दिया और पेरिस जाकर बस गए।
जब ये मामला इजिप्ट के राष्ट्रपति गमल अब्देल नासिर के पास पहुंचा तो उन्हें मनाकर वापस लाने के लिए उन्होंने इजिप्ट के फेमस राइटर, जर्नलिस्ट और फातेन के दोस्तों से मदद मांगी
कई लोग फातेन को मनाने जाते थे, लेकिन उन्होंने वापस आने से साफ इनकार कर दिया। इसी दौरान राष्ट्रपति ने उन्हें इजिप्ट का नेशनल खजाना कहा था। फातेन ने इजिप्ट लौटने से इनकार कर दिया, लेकिन जब 1970 में राष्ट्रपति की मौत हुई तो उन्होंने जिद छोड़ दी और 1971 में वो वापस आ गईं।
कुछ समय बाद फातेन के पति उमर शरीफ इजिप्ट सिनेमा के सबसे बड़े स्टार बन गए, जिससे उन्हें हॉलीवुड फिल्मों के ऑफर मिलने लगे। हॉलीवुड फिल्मों में काम करने के लिए उमर ज्यादातर इजिप्ट से बाहर ही रहा करते थे। फातेन ने इस बात का विरोध किया, तो उमर ने अमेरिका शिफ्ट होने का सुझाव दे डाला। फातेन ने इजिप्ट छोड़ने से इनकार कर दिया और उमर को अकेले ही अमेरिका जाना पड़ा। 20 सालों तक चली शादी 1974 में टूट गई। इसके बाद दोनों ने कभी साथ में फिल्में नहीं कीं
उमर अपनी जिंदगी में आगे तो बढ़ गए, लेकिन उन्होंने कई इंटरव्यू में फातेन के लिए अपना प्यार जाहिर करते हुए कहा था कि कोई भी इंसान जिसने फातेन से प्यार किया हो वो बिना उनके कभी पूरा महसूस नहीं कर सकता। उन्होंने पछतावा जाहिर करते हुए कहा था कि हॉलीवुड और जिंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए अपना सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम फातेन खो दिया
उमर शरीफ से तलाक लेने के बाद फातेन हमामा ने 1975 में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद अब्देल वाहब महमूद से शादी कर ली। दोनों ने जिंदगी काहिरा में ही बिताई। इस शादी से फातेन को कोई संतान नहीं थी। बढ़ती उम्र के साथ फातेन को फिल्मों में काम मिलना बंद होने लगा, तो उन्होंने टीवी शोज का हिस्सा बनना शुरू कर दिया।
17 जनवरी 2015 को फातेन हमामा की उम्र संबंधी दिक्कतों के चलते मौत हो गई। परिवार ने उनकी मौत का पुख्ता कारण कभी डिस्क्लोज नहीं किया। तत्कालीन राष्ट्रपति अब्देल फतह एल सीसी विदेश में थे, तो उन्होंने सरकारी अफसरों को फातेन को श्रद्धांजलि देने भेजा।
फातेन हमामा को अंतिम विदाई देने के लिए मस्जिद के बाहर हजारों फैंस इकट्ठा हुए। कई घंटों तक उस इलाके का ट्रैफिक जाम रहा। मोरक्को के राजा मोहम्मद ने कंट्री ऐंबैस्डर को फातेन के अंतिम संस्कार में तैनात किया, वहीं फिलिस्तीन के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास ने भी फातेन की मौत पर शोक व्यक्त किया और उनके अंतिम संस्कार में अपने डेलिगेट्स भेजे।
देश और दुनिया की तमाम हस्तियों ने अपने-अपने तरीकों से फातेन को श्रद्धांजलि दी, लेकिन उनके दूसरे पति उमर शरीफ ने इस पर कोई रिएक्शन नहीं दिया। 5 महीने बाद 10 जुलाई 2015 को उमर की भी अल्जाइमर से मौत हो गई।
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