जिन्हें अमिताभ बच्चन ‘100 साल की बच्ची’ कहते थे और उन्हीं के जीने के तरीके से इंस्पायर भी रहते थे। नाम है जोहरा सहगल, जिन्होंने हम दिल दे चुके सनम, कभी खुशी कभी गम, वीर-जारा जैसी फिल्मों में दादी का रोल निभाया। आज जोहरा सहगल की 111वीं बर्थ एनिवर्सरी है।
यूपी की नवाब फैमिली में जन्मीं जोहरा के पिता रूढ़िवादी विचारधारा के थे। वो चाहते थे कि दसवीं के बाद उनकी शादी हो जाए। जब ये बात जोहरा की प्रिंसिपल को पता चली तो उन्होंने दसवीं की परीक्षा में जोहरा को 3 बार फेल कर दिया। हालांकि वो पढ़ने में बहुत अच्छी थीं
जब जोहरा ने 8 साल छोटे लड़के से शादी की तो दोनों परिवार में खूब बवाल हुआ। 7 दशक तक फिल्मी इंडस्ट्री का हिस्सा रहीं जोहरा ने 102 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा दिया था।
जोहरा सहगल का जन्म 27 अप्रैल 1912 को यूपी के सहारनपुर जिले में हुआ था। पिता का नाम मुमताज उल्लाह खान और मां नाटिका बेगम। उनकी परवरिश पारंपरिक मुस्लिम फैमिली में हुई। वो सात भाई -बहनों में तीसरे नंबर की थीं। जब जोहरा एक साल की थीं, तब ग्लूकोमा की वजह से उनकी बाईं आंख की रोशनी चली गई थी। हालांकि बाद में इलाज से आंख की रोशनी दोबारा वापस आई।
जोहरा जब छोटी थीं, तभी उनकी मां का निधन हो गया। इस बात का उन पर गहरा असर पड़ा। इसके बाद पिता ने उनके साथ बहनों का भी दाखिला लाहौर के क्वीन मेरी कॉलेज में करा दिया। पढ़ाई के बाद उनकी बड़ी बहन की शादी हो गई, लेकिन उनकी शादीशुदा जिंदगी कुछ खास अच्छी नहीं रही। बहन का शादी के बाद हाल देखकर जोहरा ने शादी नहीं करने का फैसला कर लिया था।जोहरा पढ़ाई में बहुत तेज थीं। हर साल वो अपने क्लास की टॉपर रहती थीं। जब वो 15 साल की हुईं, तो घर में उनकी शादी की बातें होने लगीं। जब ये बात उनकी प्रिंसिपल को पता चली तो उन्होंने जोहरा को तीन बार दसवीं में फेल कर दिया। वो नहीं चाहती थीं कि इतनी ब्राइट स्टूडेंट की कम उम्र में शादी हो जाए।
पढ़ाई के दिनों में जोहरा ने कई सारे नाटकों और डांस प्रोग्राम में हिस्सा लिया जिसके लिए उन्हें काफी सराहना मिली। यहीं से उनका रुझान एक्टिंग और डांसिंग की तरफ हो गया। हालांकि वो पायलट बनना चाहती थीं, लेकिन ये बात उनके पिता को बिल्कुल नहीं पसंद थी। वो बस जल्द ही जल्द उनकी शादी कराना चाहते थे।
एक दिन जोहरा के मामा घर आए। उन्होंने उनके पिता से कहा कि ठीक है बेटी को पायलट ना बनने दें, लेकिन कम से कम उसे जिंदगी में कुछ तो करने का मौका दें। बाद में पिता को मनाने के बाद मामा जोहरा को लेकर यूरोप चले गए।
यूरोप में जोहरा की मामी ने उन्हें मैरी विगमैन के बैले डांस स्कूल में एडमिशन लेने के इंस्पायर किया। इसके बाद जोहरा ने एंट्रेंस एग्जाम पास कर बैले डांस स्कूल ज्वाइन कर लिया। वो इस स्कूल में एडमिशन लेने वाली पहली भारतीय थीं। इस दौरान उनकी मुलाकात फेमस डांसर और कोरियोग्राफर उदय शंकर से हुई। बाद में जोहरा उन्हीं के डांस ग्रुप का हिस्सा बन गईं। इस डांस ग्रुप का हिस्सा बनने के बाद उन्होंने जापान समेत यूरोप के कई हिस्सों को करीब से देखा।1940 में जोहरा, उदय शंकर के साथ भारत वापस लौट आईं और अल्मोड़ा में उदय शंकर कल्चरल सेंटर में काम करने लगीं। यहीं पर उनकी मुलाकात युवा वैज्ञानिक, पेंटर और डांसर कामेश्वर सहगल से मिली। बाद में जोहरा ने 8 साल छोटे कामेश्वर से शादी कर ली। ये शादी दोनों के परिवार को पसंद नहीं आई। हालात इतने बिगड़ गए थे कि दोनों परिवारों के बीच खूब बवाल हुआ। हालांकि, कुछ समय बाद सब ठीक हो गया।
शादी के बाद पति के साथ जोहरा लाहौर चली गईं। वहां पर दोनों ने खुद के डांस स्टूडियो जोहरेश की शुरुआत की। भारत-पाकिस्तान विभाजन का भी असर उनकी जिंदगी पर पड़ा। लाहौर में हालात इतने खराब हो गए थे, कि जोहरा को एक साल की बच्ची किरण और पति के साथ मुंबई भागना पड़ा। मुंबई आने के बाद वो पृथ्वी थिएटर में 400 रुपए महीना की सैलरी पर काम करने लगीं।
1945 में जोहरा IPTA से जुड़ गईं और जगह-जगह जाकर प्ले करने लगीं। इसके बाद उन्होंने चेतन आनंद की फिल्म नीचा नगर से फिल्म से डेब्यू किया। ये पहली भारतीय फिल्म थी, जिसे कांस फिल्म फेस्टिवल में भेजा गया था और विनर भी रहीं। उन्होंने गुरु दत्त की फिल्म बाजी और राज कपूर की फिल्म आवारा में बतौर कोरियोग्राफर भी काम किया था।
1959 में जोहरा के पति का निधन हो गया, जिसके बाद वो दिल्ली चली गईं। वहां पर वो नाट्य एकेडमी में बतौर डायरेक्टर काम करने लगी। 1962 में उन्हें एक ड्रामा स्काॅलरशिप से सम्मानित किया गया, जिसके लिए उन्हें लंदन जाना पड़ा। 1964 में जोहरा ने BBC के एक प्रोग्राम से टेलीविजन डेब्यू किया। उस प्रोग्राम के जिस एपिसोड में उन्होंने काम किया, फिलहाल वो खो गया है। उन्होंने BBC प्रोग्राम पड़ोसी के 26 एपिसोड्स की एंकरिंग की थी। इसके बाद वो जेम्स आइवरी के डायरेक्शन की फिल्म द कोर्टेसन्स ऑफ बॉम्बे में नजर आई थीं। इसके बाद वो कई कई ब्रिटिश फिल्मों में छोटे-मोट रोल करती रहीं।
1990 के समय जोहरा वापस इंडिया आ गईं और कई फिल्में, टीवी शोज और प्ले करने लगीं। उन्होंने अपने करियर में पृथ्वीराज कपूर, अशोक कुमार, देव आनंद, गोविंदा, शाहरुख खान, सलमान खान, अमिताभ बच्चन और रणबीर कपूर की फिल्मों में काम किया है।
007 में रिलीज हुई सांवरिया जोहरा के करियर की आखिरी फिल्म थी। निमोनिया का पता चलने के बाद उन्हें साउथ दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। 10 जुलाई 2014 को हार्ट अटैक की वजह से जोहरा का 102 साल की उम्र में निधन हो गया। इतने साल जीने की वजह से उन्हें लाडली ऑफ सेंचुरी का टैग भी मिला था