कौन है मृणाल सेन जिसने 1969 में अमिताभ बच्चन को फिल्म इंडस्ट्री में उनके करियर का पहला काम दिलाया

जब भी भारत में आर्ट सिनेमा की बात होती है, मृणाल सेन का नाम जरूर लिया जाता है। वो इसलिए क्योंकि वो मृणाल सेन ही थे जो भारत में आर्ट सिनेमा का नया दौर लेकर आए। उन्हें भारत में न्यू वेव सिनेमा का पायनियर माना जाता है।
दिलचस्प बात ये है कि जिस फिल्म के साथ मृणाल सेन ने आर्ट सिनेमा की दुनिया में कदम रखा था, उस फिल्म में 27 साल के अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज दी थी। “ये तो आपकी मर्जी है कि आप उन्हें भला कहें या बुरा” – इस लाइन के साथ अमिताभ ने मृणाल सेन की आइकॉनिक फिल्म भुवन शोम की ओपनिंग की थी।
हालांकि, जब उन्होंने अपनी फिल्म ‘भुवन शोम’ के साथ इस सफर की शुरुआत की तब वो खुद भी इस बात से अनजान थे कि वो असल में भारत में आर्ट सिनेमा की नींव रख रहे हैं। इस फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट एक्टर कैटेगरी में तीन नेशनल अवॉर्ड्स भी मिले।
इतना ही नहीं, मृणाल सेन ने 1969 में अमिताभ बच्चन को फिल्म इंडस्ट्री में उनके करियर का पहला काम दिलाया और उन्हें इंडस्ट्री में लेकर आए। उन्होंने अपनी फिल्म ‘भुवन शोम’ में अमिताभ बच्चन से वॉयस-ओवर कराया था और इस काम के लिए उन्हें 300 रुपए की सैलरी दी।
आज 100वीं बर्थ एनिवर्सरी पर जानिए मृणाल सेन को, जिन्होंने अमिताभ बच्चन को पहचान दिलाई और भारत में आर्ट सिनेमा की शुरुआत भी की..
अपने पुराने इंटरव्यू में मृणाल सेन ने खुद बताया था कि वो अमिताभ बच्चन से कैसे मिले। उन्होंने गुजरात के भावनगर में भुवन शोम की शूटिंग की थी और फिल्म की एडिटिंग के लिए मुंबई आए थे। इस दौरान उन्हें फिल्म के नेरेशन के लिए एक फ्रेश आवाज की जरूरत थी।
मृणाल ने अपने दोस्त ख्वाजा अहमद अब्बास से इस बारे में बात की। मृणाल ने इंटरव्यू में बताया था – मैंने अब्बास से कहा कि अब्बास साहब, मैं एक फिल्म बना रहा हूं और इस फिल्म में सभी लोग नए हैं।

मुझे अपनी फिल्म में नेरेशन के लिए एक नई आवाज चाहिए। अगर मैं फिल्म्स डिवीजन जाता हूं तो मुझे प्रताप शर्मा जैसे लोग आसानी से मिल जाएंगे लेकिन मुझे ऐसी आवाज चाहिए जिसे पहले कभी किसी ने नहीं सुना हो
मृणाल सेन ने आगे बताया- उस समय अब्बास अपनी फिल्म सात हिंदुस्तानी की शूटिंग कर रहे थे और उनके टीम के कुछ लोग भी वहां मौजूद थे। उनके साथ एक लंबू (अमिताभ बच्चन) भी थे। उसने मुझसे कहा- मृणाल दा, आमी बांग्ला जाने, आमी कॉलकाते छीलो। वो कह रहा था कि मुझे बंगाली आती है और मैं कलकत्ता में रह भी चुका हूं। मैंने उससे कहा कि तुम्हारी बंगाली अच्छी नहीं है लेकिन तुम्हारी आवाज बढ़िया है।

मेरी फिल्म हिंदी में है, हां फिल्म का नाम बंगाली है और कैरेक्टर्स भी बंगाली हैं लेकिन फिल्म हिंदी है। मैं चाहता हूं कि तुम मेरी फिल्म के नेरेशन के लिए अपनी आवाज दो। क्या तुम इतना कर सकते हो ?
अमिताभ राजी हो गए लेकिन अब्बास ने मुझसे कहा कि आप अमिताभ को अपने साथ सिर्फ एक शर्त पर ले जा सकते हैं। आपको अमिताभ के बदले मुझे उत्पल दत्त को देना होगा। मृणाल ने अमिताभ से उनकी फीस पूछी तो उन्होंने पैसे लेने से इंकार कर दिया।

अमिताभ ने मुझे मना करते हुए कहा था- ये फिल्मी दुनिया में मेरा पहला काम है और मैं आपसे इसके लिए पैसे नहीं ले सकता। मैंने अमिताभ से कहा कि अगर तुम इस इंडस्ट्री में अपना करियर बनाना चाहते हो तो ये पैसे रख लो, तब उन्होंने अपनी फीस ली और हमने साथ काम किया।
मृणाल सेन ने 1943 में बंगाल में पड़े भयानक अकाल से लेकर 1967 में पश्चिम बंगाल के गांव में नक्सलवाद का जन्म होते देखा। उन्होंने जितनी जटिल घटनाओं को अपनी आंखों के सामने होते देखा, उन्हें उतनी ही सरलता के साथ अपनी फिल्मों में उतार दिया।

मृणाल सेन की फिल्मों की कहानियां इंसान की रियल लाइफ की मिरर इमेज थीं। उनकी फिल्म आम लोगों की जिंदगी की चुनौतियों पर बेस्ड थी। 1965 में उन्होंने ‘आकाश कुसुम’ में गरीबी के चंगुल से बाहर निकलने की पुरजोर कोशिश कर रहे आदमी की कहानी दिखाई तो वहीं 1971 में ‘इंटरव्यू’ फिल्म में इंटरव्यू में जाने के लिए परफेक्ट सूट का जुगाड़ करने का स्ट्रगल भी दिखाया।
भुवन शोम में मृणाल सेन जया भादुड़ी को कास्ट करना चाहते थे। दरअसल, जया ने 15 साल की उम्र में सत्यजीत रे के साथ काम किया था और वो पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में पढ़ाई कर रही थीं। मृणाल सेन ने जया को फिल्म में गौरी के रोल के लिए फाइनल कर लिया था और फिल्म की शूटिंग को मई-जून तक आगे बढ़ा दिया था ताकि जया छुट्टियों में पढ़ाई की चिंता किए बगैर काम कर सकें।

जया भी फिल्म में काम करने को लेकर काफी एक्साइटेड थीं लेकिन इंस्टीट्यूट में ये नियम था कि कोई स्टूडेंट कोर्स के दौरान फिल्मों में एक्टिंग नहीं कर सकता था। इस वजह से जया अपने प्रिंसिपल जगत मुरारी से काफी नाराज थीं। जब उन्हें परमिशन नहीं मिली तो मृणाल सेन ने सुहासिनी को गौरी का किरदार दे दिया।
पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में ही मृणाल सेन ने पहली बार मिथुन चक्रवर्ती को भी देखा। फिल्म जर्नलिस्ट राम कमल मुखर्जी ने अपनी किताब मिथुन: द दादा ऑफ बॉलीवुड में मृणाल सेन और मिथुन की मुलाकात का किस्सा शेयर किया है।

उन्होंने लिखा- 1974 में इंस्टिट्यूट के बैच की पासिंग आउट सेरेमनी में मृणाल की नजर काले-घुंघराले बालों वाले लड़के पर पड़ी। उस लड़के का शरीर लंबा-चौड़ा था और वो अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा था।
उन्होंने आगे लिखा- सेरेमनी में फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई दिग्गज मौजूद थे लेकिन वहां किसी के होने या ना होने से मिथुन के स्वभाव में कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा था। वहां ऋषिकेश मुखर्जी से मृणाल ने उनका नाम पता किया और ये भी कि वो बंगाली हैं।
उस दौरान सेन अपनी फिल्म मृगया की प्लानिंग कर रहे थे। ये फिल्म ओड़िया राइटर भगवतीचरण पाणिग्रही की नॉवेल शिकार पर बेस्ड थी। मृणाल को फिल्म में लीड रोल निभाने के लिए किसी ऐसे लड़के की तलाश थी जो एक जवान आदिवासी आदमी का किरदार निभा पाए।

मृणाल मिथुन चक्रबर्ती को अपनी फिल्म में कास्ट करना चाहते थे। उन्होंने अपने कैमरामैन केके महाजन को टेलीग्राम किया और घुंघराले बालों वाले उस लड़के को ट्रेस करने के लिए कहा जो 74 बैच का पासआउट है।

उन्होंने टेलीग्राम में लिखा था- लंबे शरीर और सांवले रंग वाले उस लड़के का पता लगाइए जिसके बाल घुंघराले हैं और वो बंगाली है। शायद उसका नाम म से शुरू होता है।
इस मैसेज के दो हफ्ते बाद मृणाल सेन के पास मिथुन की फोटो आ गई। कुछ दिनों बाद मिथुन खुद बिना बताए सेन के घर पहुंच गए। उन्होंने दरवाजे पर खड़े-खड़े ही मुस्कुराते हुए कहा- मृणाल दा आमि एशे गेछी, की कोरते होबे बोलूं(मृणाल दा मैं आ गया हूं, क्या काम है बताइए?)।

फिर सेन ने मृणाल को अपनी फिल्म और घिनुआ नाम के ट्राइबल कैरेक्टर के बारे में बताया। उन्होंने ये भी कहा कि इस फिल्म में न तो कोई गाना है और न ही कोई डांस होगा।
पुराने इंटरव्यू में अचानक मृणाल सेन के घर पहुंच जाने पर मिथुन ने कहा था- मुझे अपनी बेवकूफी पर हंसी आती है। हालांकि, मैं अब भी ये मानता हूं कि मैंने उनके घर जाकर सही कदम उठाया क्योंकि जिस तरह की फोटोज मैंने उन्हें भेजी थी, उन्हें देखकर तो मृणाल दा को जोर का झटका लग जाता।
उस दिन को याद करते हुए मृणाल सेन ने इंटरव्यू में बताया था- मिथुन मुझे इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहा था। उसने अजीब तरीके से अपने बालों को बांधा हुआ था और बार-बार ये रट लगा रहा था कि उसने हेलेन के साथ डांस किया है। हां, मैंने फिल्म के लिए उन्हें फाइनल कर लिया था। शूटिंग शुरू होने से ठीक एक दिन पहले मैंने नाई को बुलाकर उनके बाल कटवा दिए।

फिल्म में कास्ट किए जाने को लेकर मिथुन ने कहा था- मैं आज भी मृणाल दा का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे ये मौका दिया। अगर वो नहीं होते तो आज कोई भी मुझे नहीं जानता। वो मेरे गुरु हैं।
मृणाल सेन ने अपने पुराने इंटरव्यू में बताया था कि उन पर इंग्लिश एक्टर और फिल्ममेकर चार्ली चैपलिन का भूत सवार था। उन्होंने डीडी नेशनल को दिए इंटरव्यू में बताया था- मैं 7-8 साल का था जब मैंने पहली बार चार्ली चैपलिन की फिल्म देखी थी। मुझे उनकी फिल्म बहुत पसंद आई थी। उनकी फिल्मों ने ही तो मुझे बड़ा किया है।
फिल्म ‘एक दिन अचानक’ बनाने वाले मृणाल एक दिन अचानक राज्य सभा के मेम्बर चुन लिए गए। 1997 से 2003 तक उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। 30 दिसम्बर 2018 को सेन ने अंतिम सांस ली। इनकी दी गई न्यू वेव सिनेमा की लिगेसी अब भी जारी है।
इस साल 14 मई को उनकी 100वीं बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर उनकी फिल्म चलचित्र पहली बार भारत में रिलीज होगी। फिल्म को कोलकाता के नंदन 3 कल्चरल सेंटर में रिलीज किया जाएगा। दिलचस्प बात ये है कि इस फिल्म की स्क्रीनिंग सालों पहले वेनिस फिल्म फेस्टिवल में हो चुकी है लेकिन ये फिल्म भारत में कभी रिलीज नहीं हुई।