कौन है इश्तियाक खान, पिता की मौत के बाद आम और अंडे बेचे

‘मेरी हाइट 5.2 इंच है। छोटे कद और लुक की वजह से मुझे कई बार रिजेक्शन झेलना पड़ा। मैं ऑडिशन देने जाता था, लोगों को काम भी पसंद आता था, लेकिन कद की वजह से रोल हाथ से निकल जाता था। कई बड़े प्रोजेक्ट्स में मैं इसी वजह से काम नहीं कर पाया। रिजेक्शन से टूट जाता था, समझ में नहीं आता था कि क्या करूं। हालांकि समय के साथ चीजें थोड़ी बदलीं और हम जैसे एक्टर्स को काम मिलने लगा।’
ये कहना है इश्तियाक खान का, जिन्होंने फिल्म फंस गए रे ओबामा समेत कई फिल्मों में काम किया है। इश्तियाक अमिताभ बच्चन, रणबीर कपूर, अक्षय कुमार समेत कई बड़े एक्ट्रर्स के साथ फिल्में कर चुके हैं। द कपिल शर्मा शो में भी अपनी कॉमिक टाइमिंग से इन्होंने दर्शकों को हंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इश्तियाक के लिए ये सफर आसान नहीं था। जब वो 12 साल के हुए तो सिर से पिता का साया उठ गया। परिवार की जिम्मेदारी इश्तियाक के कंधों पर आ गई। कभी सड़क पर अंडे बेचकर तो कभी आम बेचकर गुजारा किया। संगीत की जुनूनियत की बदौलत उन्होंने NSD तक का सफर तय किया, फिर फिल्मों में आए।
मेरा जन्म पन्ना, मध्यप्रदेश के रानीगंज इलाके में हुआ था। हम पांच भाई-बहन थे। सब कुछ ठीक चल रहा था कि जब मैं 12 साल का था, तभी पिता का इंतकाल हो गया। फिर घर में ना कोई कमाने वाला रहा, ना कमाई का कोई जरिया। इस वजह से मैंने परिवार की जरूरतों को पूरा करने का जिम्मा उठा लिया।
मैं सड़क किनारे अंडे बेचने लगा। गर्मियों में आम की दुकान लगाता था। इतना ही नहीं, घर के पास साइकिल की दुकान थी, वहां पर भी मैंने काम किया। परिवार बड़ा था और आमदनी कम। इस वजह से मां दिलारा बानो ने अपने सारे गहने बेच कर एक 3-4 कमरे का घर बनवा दिया और उसे किराए पर दे दिया। इस कमाई से काफी मदद मिल जाती थी।
मेरे नाना तबला वादक थे, इसलिए बचपन से ही म्यूजिक से लगाव था। घर के पास म्यूजिक क्लास चलती थी, वहां पर मेरा एक दोस्त तबला बजाता था। आस-पास के माहौल की वजह से म्यूजिक की तरफ मेरा भी झुकाव हो गया। मैंने संगीत और तबला बजाने में प्रभाकर (प्रभाकर एक कोर्स है, जिसके तहत संगीत की डिग्री हासिल की जाती है) किया।
इसके बाद मध्यप्रदेश के ही इप्टा (इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन) ग्रुप से जुड़ गया। इस दौरान मैं स्कूली बच्चों को 15 अगस्त और 26 जनवरी के फंक्शन के लिए डांस सिखाता था, जिससे कुछ कमाई हो जाती थी।
पन्ना के अन्वेषण थिएटर ग्रुप ने एक वर्कशॉप रखी थी। उस वर्कशॉप में मैंने भी हिस्सा लिया, जहां मुझे पता चला कि एक्टिंग सीखने के लिए NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) होता है। मैं उस समय ग्रेजुएशन कर रहा था। एक दिन मेरे पास नाटक ‘गिली गिली फू’ में तबला बजाने का ऑफर आया। मैं उस नाटक में काम करने के लिए राजी हो गया।
नाटक में कुछ दिन ही बचे थे कि नाटक का लीड एक्टर किसी काम की वजह से बाहर चला गया। मुसीबत ये हो गई कि वो रोल अब कौन प्ले करेगा। मैं आगे आकर इस रोल को करने के लिए तैयार हो गया। लोगों को पहले डर था कि मैं नहीं कर पाऊंगा, लेकिन जब सभी ने मेरा काम देखा तो सबको पसंद आया। इस तरह मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई।
ग्रेजुएशन के बाद मैंने NSD में एडमिशन लिया। वहां पढ़ाई पूरी करने के बाद वापस भोपाल आ गया। यहां के इमैच्योर थिएटर से जुड़ा, लेकिन कमाई बहुत ही कम थी। छोटे-मोटे रोल मिल जाते थे, लेकिन पैसा नहीं मिलता था। लंबे समय तक ये सिलसिला जारी रहा। जिसके बाद थक-हार कर मैंने मुंबई जाने का फैसला किया।
मैं अपने दोस्त के साथ मुंबई आया। NSD से पास आउट हो जाने की वजह से लोगों वहां बात तो कर लेते थे, लेकिन रहने और खाने की बहुत दिक्कत होती थी। पैसे कम रहते थे, इस वजह से हम 7 लोग एक छोटे से कमरे में रहते थे।
संघर्ष के दिनों में ही मेरी दोस्ती एक्टर निखिल द्विवेदी से हुई। एक दिन उनकी मदद से पता चला कि डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा एक फिल्म बना रहे हैं, जिसमें उन्हें स्पॉटबॉय के रोल के लिए एक लड़के की तलाश थी। मैं निकल पड़ा ऑडिशन देने, तभी मेरे दोस्त ने बताया कि गेट पर खड़ा गार्ड अंदर नहीं जाने देता है और बाहर से ही भगा देता है।
मैंने एक्टर निखिल द्विवेदी को कॉल किया और कहा कि अगर उनकी दोस्ती राम गोपाल वर्मा से हो, तो मेरी मदद कर दें। निखिल ने उनसे बात करके मेरी मीटिंग फिक्स करा दी। अगले दिन स्पाॅट बाॅय के गेटअप में उनसे मिलने चला गया। राम गोपाल वर्मा से मेरी मुलाकात हुई। कई मुद्दों पर हमारी बात हुई, फिर उन्होंने कहा कि बाद में बता देंगे। मैं जैसे उनसे मिल कर सीढ़ियां उतर रहा था, निखिल द्विवेदी का मैसेज आया कि मेरा सिलेक्शन हो गया है।
फिल्म फंस गए रे ओबामा में भी काम मुझे निखिल जी की मदद से ही मिला था। पहली फिल्म में काम करने के बाद मेरे पास कोई काम नहीं था। उन्होंने मुझे बताया कि ये फिल्म बन रही है और इसमें एक रोल के लिए एक्टर की जरूरत है। उनकी मदद से मैं फिल्म के डायरेक्टर सुभाष कपूर से मिलने चला गया।
मुलाकात के दौरान सुभाष जी ने कहा कि रोल है, लेकिन बहुत छोटा है। कोई ऑफर खोना नहीं चाहता था, इसलिए उस रोल के लिए हां कर दी। उन्होंने पूरा सीन समझा दिया। मैंने उनसे 2 दिन का समय मांगा और कहा कि खुद डायलॉग लिख कर लाऊंगा। वो मान गए। दो दिन बाद मैंने जाकर ऑडिशन दिया, जो सबको बहुत पसंद आया। मेरी स्क्रिप्ट से उन्होंने कुछ लाइनें हटा दी थीं क्योंकि वो राइटर भी थे और बेहतर जानते थे। इस तरह वो इंग्लिश टीचर का रोल हिट हुआ।
2014 में मैंने अमिताभ बच्चन के साथ टीवी शो युद्ध में काम किया था। जब मुझे ये ऑफर मिला तो बहुत खुश हुआ, लेकिन इसकी शूटिंग से पहले बिग बी से जाकर नहीं मिला। वजह ये थी कि मुझे लगता था कि अगर उनसे मिल लूंगा, तो सीन को परफेक्ट तरीके से नहीं कर पाऊंगा।
शूटिंग के दौरान जब मैं उनसे मिला, तो पहले उन्होंने खुद का परिचय देते हुए कहा- मैं अमिताभ बच्चन। फिर मैंने बताया कि मैं इश्तियाक खान हूं। जब शूटिंग खत्म हो गई, तब मैं उनके पास गया, पैर छुए और कहा कि मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं। फिर उनसे बातें हुईं, तस्वीर भी खिंचवाई।
2015 में मैंने फिल्म तमाशा में रणबीर कपूर के साथ काम किया था। इस फिल्म की कास्टिंग टीम में एक आकाश नाम का लड़का था, जिसने मुझे रोल के बारे में बताया। रोल था ऑर्केस्ट्रा वाले का। पन्ना में मैंने ऑर्केस्ट्रा में काम किया था, तो ऑडिशन देने चला गया।
ऑडिशन के दौरान इम्तियाज अली को मेरा काम बहुत अच्छा लगा, फिर उस फिल्म में रोल मिल गया। रणबीर कपूर से मिला और उन्हें बताया कि मैं फैज मोहम्मद का भाई हूं। फैज ने उन्हें जग्गा जासूस में एक्टिंग की ट्रेनिंग दी थी। ये जानकर वो बहुत खुश हुए।
शूटिंग के पहले दिन मेकअप मैन ने मुझे ड्राइवर के रोल में तैयार कर दिया था क्योंकि उसको मेरे रोल के बारे में पता नहीं था। तभी रणबीर आए। मेरे लुक को देख कर उन्होंने कहा- आप सीन की जान हैं, ऐसा मेकअप अच्छा नहीं लग रहा है। फिर उन्होंने अपने मेकअप स्टाइलिस्ट और हेयर ड्रेसर से मेरा मेकअप करवाया। पूरी फिल्म में उन्हीं के स्टाइलिस्ट ने मेरा लुक तैयार किया था।
इस फिल्म की रिलीज के बाद मेरे पास एक लड़के का सोशल मीडिया पर मैसेज आया कि वो मुझसे मिलना चाहता है। कई दिनों तक उसका मैसेज देखा, फिर उसको शूटिंग लोकेशन बता दी कि यहां मैं शूटिंग कर रहा हूं, आकर मिल लो मुझसे। वो कोलकाता का था। फिर अगले दिन उसने मैसेज किया कि वो मुंबई आ गया है और मेरा फोन नंबर लेना चाहता है। अनजान होने की वजह से मैंने नंबर तो नहीं दिया, लेकिन पता बता दिया, जहां वो आकर मिल ले।
अगले दिन वो शाम को मिलने आया। मुलाकात के दौरान उसने मुझे बताया कि फिल्म तमाशा में मेरे रोल से इंस्पायर होकर उसने अपनी नौकरी छोड़ दी और अब जिंदगी अपने हिसाब से जीना चाहता है। ये सुनकर मैं और साथ मौजूद लोग दंग रह गए। मैंने उससे कहा कि वो कल आकर घर पर मिले और डिनर करे, लेकिन उसने कहा कि उसे तुरंत जाना है। हालांकि सेट पर मौजूद लोगों ने उसे चाय पिलाई और कुछ देर बैठाए रखा।
फिल्म जनहित में जारी का किस्सा भी मजेदार है। मैं लखनऊ में था, तभी फिल्म की कास्टिंग टीम ने मुझे ऑडिशन के लिए अप्रोच किया। उन्होंने मुझे नुसरत के पिता के रोल का ऑप्शन भेज दिया। मैं थोड़ा हैरान हुआ क्योंकि उतनी लंबी लड़की के पिता का रोल मैं छोटे हाइट वाला कैसे कर सकता था। मैंने क्रॉस चेक भी किया, लेकिन टीम ने कहा कि उन्हें यही रोल भेजने के लिए कहा गया है
मैंने ऑडिशन दे दिया। फिल्म के डायरेक्टर को मेरा काम बहुत पसंद आया। उन्होंने कहा कि भले गलती से ये रोल मुझ तक आया है, लेकिन मैंने बेहतर काम किया है। इस वजह से वो रोल मैं ही प्ले करुंगा। डायरेक्टर ने 2-3 बार मेरा ऑडिशन देखने के बाद उस रोल के हां किया था। इसके बाद मैंने पिछले साल खुदा हाफिज 2 में काम किया था, जो एक बेहतरीन फिल्म थी।