मैं DDLJ की शूटिंग कर रही थी, तभी अचानक मेरे पास एक कॉल आया कि मेरे पति का निधन हो गया। इतना सुनते ही मैं थम सी गई। ऐसा लगा कि मानो सब कुछ रुक सा गया हो। मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। उधर क्लाइमैक्स में अनुपम खेर जी के साथ मेरा एक शाॅट बाकी था। समझ ही नहीं पा रही थी कि क्या करूं, लेकिन यशराज यूनिट ने मेरी हालत समझी और मुझे फौरन जाने के लिए कह दिया। वहां से वापस आने के बाद मैंने अकेले ही पति का अंतिम संस्कार किया, फिर हरिद्वार में जाकर उनकी अस्थियां विसर्जित की। ये जिंदगी का सबसे खराब समय था, फिर भी अकेले ही मैंने सब कुछ किया। यही वजह थी कि मैं अकेली ऐसी एक्टर थी, जो DDLJ के क्लाइमैक्स में मौजूद नहीं थी।’
ये कहना है हिमानी शिवपुरी का, जो फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ टीवी इंडस्ट्री की भी नामचीन एक्ट्रेस हैं। सलमान खान, शाहरुख खान से लेकर करण जौहर, डेविड धवन जैसे फेमस एक्टर और डायरेक्टर के साथ भी उन्होंने काम किया है। फिलहाल वो टीवी शो हप्पू की उलटन पलटन में कटोरी देवी का रोल निभा रही हैं।
कड़ी मेहनत के दम पर हिमानी ने ये मुकाम हासिल तो कर लिया, लेकिन संघर्ष भी इस सफलता के सफर का हिस्सा रहा। लड़की थीं तो मां चाहती थीं कि घर के कामों में हाथ ज्यादा बंटाया करें। थिएटर की पढ़ाई करने पर परिवार वालों ने बहुत ताना मारा। सिर्फ पिता का साथ नसीब हुआ। NSD से क्वालीफाई होने के बाद भी काम की तलाश में दर-दर भटकना पड़ा। फिर लक और मेहनत के दम पर उन्हें दूरदर्शन के टीवी शो में एक रोल ऑफर हुआ और वहीं से टीवी शोज…फिल्मों में काम मिलता चला गया
मेरा जन्म 1960 में देहरादून में हुआ था। पापा स्कूल मास्टर थे। उन्हें बहुत ज्यादा तो सैलरी नहीं मिलती थी। फिर भी जितनी भी मिलती थी, उनकी यही कोशिश होती कि भाई और मेरी परवरिश में कोई कमी ना रह जाए। एक बार किसी शादी में हमें जाना था, लेकिन पैसे की कमी की वजह से पापा मेरे लिए कपड़े नहीं खरीद पाए थे जिस वजह से मैं बहुत रोई थी। पापा साहित्य से भी जुड़े थे इसलिए कवि गोष्ठियां घर पर होती रहती थीं। उन्हीं के गुण मेरे अंदर भी थे, मैं पढ़ने में भी बहुत होशियार थी और आर्ट्स से भी प्यार था।
देहरादून के इलाकों में लड़कियों को उनके घरवाले ज्यादा पढ़ाते नहीं थे, लेकिन पापा ने मुझे पढ़ाया भी और हर कदम पर साथ दिया। वहीं मां कहती थीं कि मुझे घर के कामों में ज्यादा हाथ बंटाना चाहिए। इस पर पापा कहते थे- बिल्कुल नहीं मेरी बेटी, बेटे से कम नहीं है।
ग्रेजुएशन के बाद मैंने ऑर्गेनिक केमिस्ट्री से M.Sc. किया। इसी दौरान मुझे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रॉमा (NSD) के बारे में पता चला कि यहां एक्टिंग की पढ़ाई होती है। इसके एंट्रेंस एग्जाम के लिए फॉर्म डाल दिया। जिस दिन इसका रिजल्ट आया, उसी दौरान मुझे आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका में स्कॉलरशिप मिल गई। मैं अमेरिकी वीजा के सिलसिले में दिल्ली आई थी, लगे हाथ NSD में एडमिशन के लिए इंटरव्यू भी दे दिया। खुशकिस्मती से मेरा एडमिशन भी हो गया।
जब मैंने घरवालों को सारी बातें बताईं और कहा कि थिएटर में काम करना चाहती हूं तो सब हैरान हो गए। पूरा परिवार कहने लगा कि मेरा दिमाग खराब हो गया है। रिश्तेदारों ने भी खूब ताने मारे। इन सब परिस्थिति में भी पापा मेरे साथ खड़े रहे। इतने ड्रामों के बाद वही मुझे NSD में छोड़कर आए।
मैं 3 साल तक NSD में रही। स्कॉलरशिप में 250 रुपए मिलते थे, जिसमें खाने-पीने का खर्चा निकालना पड़ता था। यहां से क्वालीफाई होने के बाद घर नहीं जा सकती थी, वर्ना फिर तानों का सिलसिला शुरू हो जाता। NSD की ही Repertory company से जुड़ गई और जगह-जगह जा कर प्ले करनी लगी। यहां पर काम के लिए मुझे 600 रुपए महीने मिलते थे। रहने को NSD की तरफ से ही एक हाॅस्टल मिला था, जहां पर वो आर्टिस्ट रहते थे, जिनके पास घर नहीं होता था। मैं भी वहीं रहती थीं और काम की तलाश में जगह-जगह भटकती थी
1984 में मनोहर श्याम जोशी देश का पहला धारावाहिक ‘हम-लोग’ बना रहे थे। मुझे उसमें ‘छुटकी’ के किरदार का ऑफर मिला, लेकिन मुझसे कहा गया कि थिएटर छोड़ना पड़ेगा। मैंने साफ इनकार कर दिया क्योंकि मैं थिएटर से खुद को अलग नहीं करना चाहती थी।
5-6 साल बाद मनोहर श्याम जोशी ‘हमराही’ टीवी शो पर काम कर रहे थे। डायरेक्टर ने उनसे कहा कि उन्हें कलाकार चाहिए। इस पर उन्होंने बोला- मेरी नजर में एक कलाकार तो है, लेकिन वो थोड़ी पागल-सी है, बात करके देखो, शायद काम कर ले।’ डायरेक्टर ने मुझसे बात की। तब तक मेरी शादी हो चुकी थी और एक बच्चे की मां थी। मेरे पति ज्ञान शिवपुरी सिनेमा फैमिली से थे, ओम शिवपुरी उनके कजिन थे। पति इस ऑफर से बहुत खुश हुए और उनके कहने पर ही मैं मुंबई आ गई। ‘हमराही’ में ‘देवकी भौजाई’ के किरदार को लोगों ने काफी पसंद किया था।
एक दिन अचानक मेरे पास डायरेक्टर सूरज बड़जात्या का फोन आया। उन्होंने कहा कि वो एक फिल्म बना रहे हैं, जिसमें एक रोल मेरा भी है। मुझे अप्रोच करने की वजह ये थी कि उन्होंने मेरा काम किसी नाटक में देखा था, जिसमें मैंने मुस्लिम किरदार निभाया था। मेरी उर्दू से ही प्रभावित होकर उन्होंने मुझे ‘हम आपके हैं कौन’ में काम दिया।
शूटिंग के पहले दिन जब मैं सेट पर पहुंची तो लगभग 60 कुर्सियां लाइन से लगी थीं। सभी पर सारे कास्ट का नाम लिखा था, मेरा भी लिखा था। सूरज बड़जात्या ने मेरी मुलाकात माधुरी दीक्षित से कराई। मेरी उनसे पहली मुलाकात हुई। मुझे देखते ही वो अपनी कुर्सी से उठ गईं, बेहद ही अदब और प्यार से बात की। बाकी कास्ट से भी मुलाकात हुई, लेकिन सलमान तब नहीं आए थे
शूटिंग शुरू हुई, हम पहले सीन का शाॅट दे रहे थे। तभी सलमान आए और मुझे गोद में उठा लिया और चच्ची जान कहने लगे। मैं डर गई क्योंकि वो स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं था। इससे पहले मैं उनसे मिली भी नहीं थी, लेकिन थिएटर में इतने साल काम किया था, तो वो सीन चेहरे पर बिना शिकन आए पूरा किया। शाॅट पूरा होने के बाद मैंने उनसे बात की। जब हम लोग ऊटी में फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, तो सभी सुबह 4 बजे ही तैयार हो जाते थे। ये मेरे करियर की पहली हिट फिल्म रही।
फिर मैं टीवी शो हसरतें करने लगी। इसी दौरान मेरे पास आदित्य चोपड़ा का काॅल आया और उन्होंने कहा कि यश चोपड़ा के बेटे आदित्य बोल रहे हैं। बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि वो एक फिल्म DDLJ बना रहे हैं, जिसमें वो मुझे कास्ट करना चाहते हैं। तब मैंने बोल दिया- ठीक है, मैं नूर बंगले पर शूटिंग कर रही हूं, आप वहीं आकर मुझसे मिल लीजिए। इतने बड़े डायरेक्टर से मैंने ऐसा बोल दिया था, आज जब इस वाकये को याद करती हूं तो हंसी और शर्म दोनों आती है।
वो आकर मुझसे मिले, फिल्म की कहानी सुनाई, जो मुझे बहुत पसंद आई और फिल्म में काम करने के लिए हां कर दी। शूटिंग के दौरान जब शाहरुख खान पहली बार मुझसे मिले तो उन्होंने खुद अपना परिचय देते हुए कहा कि उन्होंने छोटी सी फिल्म में काम किया था। पहले तो मुझे ध्यान नहीं आया, फिर उन्होंने बताया कि वो फिल्म में क्राउड में शामिल थे। थिएटर में काम करने की वजह से वो अपना शाॅट परफेक्ट तरीके से देते थे। इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान पति की मौत हुई थी, जिस वजह से मैं क्लाइमैक्स सीन में नजर नहीं आई थी। ये फिल्म भी हिट रही, जिसके बाद तो मेरे पास ऑफर्स का ढेर लग गया।
फिल्म साजन चले ससुराल में मैंने सतीश कौशिक के साथ काम किया था। जब उन्हें पता चला कि मैं इस फिल्म में काम कर रही हूं, तो वो नाराज हो गए। उनका कहना था कि ऐसे एक सीन का शाॅट करने की वजह से मैं टाइप कास्ट हो जाऊंगी। खैर बहुत लोगों के कहने पर मैंने काम किया। जब उन्होंने रोल देखा और लोगों की तारीफ सुनी तो उन्होंने भी मेरी खूब तारीफ की।
सलमान के साथ मैंने कई फिल्मों में काम किया। एक बार हम बीवी नंबर 1 की शूटिंग कर रहे थे। वो सेट पर काफी देर तक नहीं आए, फिर मैंने करिश्मा और बच्चों के साथ शूटिंग शुरू की, तभी अचानक वो आ गए और शूटिंग के बीच में मुझे गले लगाकर अरे मेरी प्यारी मम्मी कहने लगे। फिर डायरेक्टर के कहने पर उन्होंने शॉट देने दिया।
इसी फिल्म का कुछ सीक्वेंस हम फ्लोरिडा में शूट कर रहे थे। एक दिन फिर वो सेट पर बहुत देर तक नहीं आए, जिस वजह से मुझसे कहा गया कि बाद में शूटिंग होगी। खाली टाइम के कारण मैं भी पास के ही एक मॉल में शॉपिंग करने चली गई। तभी असिस्टेंट डायरेक्टर मुझे ढूंढते हुए आ गया और कहने लगा- चलिए आप का शाॅट रेडी है। मैं सेट पर आई कि डेविड धवन मुझे डांटने लगे। कहने लगे- यहां पर तुम शूटिंग करने आई हो या शाॅपिंग करने। इस डांट पर मुझे बहुत रोना आया। उन्होंने सलमान का सारा गुस्सा मुझ पर निकाल दिया। सलमान के साथ काम करने में मजा तो बहुत आया, लेकिन डांट भी उनकी वजह से सुननी पड़ी।
अनुपम खेर के साथ भी बहुत वक्त बिताया है। वो NSD में हमारे सीनियर थे। स्ट्रगल के दिनों में हम उनसे मिलते थे, वो हमें अपने संघर्ष के किस्सों से मोटिवेट करते थे। वो ये भी कहते थे कि काम मांगने से मिलता है। काम के सिलसिले में डायरेक्टर को इतना परेशान कर देना चाहिए कि खुद ही थककर फिल्म में काम दे दे।
फिलहाल, मैं टीवी शो हप्पू की उलटन पलटन में कटोरी देवी का रोल प्ले कर रही हूं। इस शो की कहानी को संजय आर कोहली और रघुवीर शेखावत ने लिखा है, जिन्होंने ‘भाबी जी घर पर है’ की भी कहानी लिखी है। ‘मैं भाबी जी घर पर है’ शो बहुत देखती थी। एक दिन मेरे पास शंशाक बाली का फोन आया और उन्होंने इस शो में काम करने का ऑफर दिया। शो की कहानी और किरदार को जानने के बाद मैंने इसमें काम करने के लिए हां कर दी और अभी तक इस शो का हिस्सा हूं।