उत्तर प्रदेश के एटा-कासगंज लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी देवेश शाक्य ने बड़ी जीत हासिल की है. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी राजवीर सिंह को हरा दिया है. नतीजा आते ही उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई.
देवेश शाक्य का क्या है इतिहास आइये जानते है ?
समाजवादी पार्टी ने एटा लोकसभा सीट पर इस बार शाक्य प्रत्याशी पर दांव लगाया था । जोकि इटावा के रहने वाले है देवेश शाक्य प्रत्याशी एटा लोकसभा क्षेत्र में आठ माह से देवेश की सक्रियता बढ़ गई थी, तभी से यह माना जा रहा था कि वे ही इस सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी होंगे। पूर्व में ही उन्हें पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने का आश्वासन मिल चुका था, पहली बार वे लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे ।
वर्ष 2002 से उन्होंने राजनीति की शुरूआत की। उनके भाई स्व. विनय शाक्य भी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। वर्ष 2005 और 2010 में औरैया से देवेश जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए। इस दौरान उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष का भी चुनाव लड़ा, लेकिन एक वोट से चुनाव हार गए।
एलएलबी हैं देवेश शाक्य
उन्होंने बताया कि वे एलएलबी शिक्षित हैं। उन्होंने बताया कि एटा जनपद उनके लिए नया नहीं है, हम लोग समाजवादी हैं और सबको एक सूत्र में बांधना जानते हैं। उन्होंने बताया कि विधूना उनका कार्य क्षेत्र रहा है।
2019 का जनादेश
2019 लोकसभा चुनाव में एटा सीट से बीजेपी के राजवीर सिंह ने जीत हासिल की. उन्हें 5,45,348 वोट मिले थे. सपा के देवेंद्र यादव 4,22,678 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे और आरजेएपी के सूरज सिंह 51,26 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे. इस सीट पर 62.64 फीसदी वोटर्स ने वोट डाला. इस सीट पर 14 उम्मीदवार अपना राजनीतिक किस्मत आजमा रहे हैं.
2014 का जनादेश
2014 के चुनाव में कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह को टिकट मिला थाऔर उन्होंने बड़ी जीत हासिल की. 2014 में देश में चली मोदी लहर का फायदा एटा में भी मिला और भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी को सीधे तौर पर करारी मात दी. एटा में हुए 58 फीसदी मतदान में बीजेपी के राजवीर सिंह को करीब 51 फीसदी वोट मिले तो उनके प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को सिर्फ 29 फीसदी वोट मिले थे.