कौन है अमित साध जिसे इंडस्ट्री ने काम देना भी बंद कर दिया

टीवी, फिल्में और ओटीटी। एक्टर अमित साध का चेहरा आज हर प्लेटफॉर्म पर खासा पॉपुलर है। अमित ऑनस्क्रीन जितने कूल नजर आते हैं, वास्तव में उनका स्ट्रगल उतना ही परेशान करने वाला रहा है। कम उम्र में घर छोड़ कर भागे। 4 बार सुसाइड अटेम्प्ट किया क्योंकि जिंदगी में प्यार की कमी हमेशा खटकती रही। चौथी बार जब आत्महत्या करने पहुंचे तो मौत को सामने आता देख उन्हें एहसास हुआ कि जिंदगी में कुछ करना चाहिए।

घर से भागने के बाद कभी किसी के घर में नौकर की तरह काम किया, कभी सिक्योरिटी गॉर्ड बने। कभी कपड़े की दुकान पर काम किया तो कभी जूते के शो-रूम पर। दोस्तों को देख एक्टिंग का चस्का लगा। टीवी पर पहला ब्रेक भी जल्दी मिल गया, लेकिन फिल्मों में जगह बनाने के लिए बहुत संघर्ष किया। गुस्सा बहुत आता था, सो टीवी इंडस्ट्री के लोगों ने काम देना बंद कर दिया, रिलेशनशिप में भी ब्रेकअप हुआ। फिल्मों में काम मिला, फिर यहां भी साइड रोल मिलने लगे तो ओटीटी की तरफ रुख किया। ओटीटी ने अमित के करियर को नई दिशा दी।
अमित कहते हैं, सांवले रंग की वजह से मैं बचपन में किसी से भी बात नहीं करता था। छोटा ही था, तभी पिता जी की मौत हो गई। हमेशा से गुस्सैल स्वभाव का था क्योंकि कभी पेरेंट्स ने मुझ पर ध्यान ही नहीं दिया। यही वजह थी कि 16 साल की उम्र में घर से भाग गया।
मैंने 4 बार सुसाइड करने की कोशिश भी की थी। वजह ये थी कि मुझे कभी भी अपनों का प्यार नहीं मिला। इन्हीं सब बातों से परेशान होकर मैंने ये कदम उठाया था।

सबसे पहले गोमती नदी (लखनऊ) में कूदने का प्रयास किया, क्योंकि वहां पढ़ रहा था। फिर वहां से बुआ के यहां अल्मोड़ा गया। वहां दूसरी बार पहाड़ से कूदकर खुदकुशी करने की कोशिश की, लेकिन फिर बच गया।

तीसरी बार सुसाइड करने से पहले मैं अल्मोड़ा से दिल्ली चला गया। दिल्ली में जोरबाग स्थित एक कोठी में झाड़ू-पोंछा करने का काम मिल गया, लेकिन मेरे पास सोने की जगह नहीं थी। वहां के हेड पूरन सिंह ने मुझे सोने के लिए जो जगह दी, वहां पर एक दिन पुलिस वालों ने आकर पिटाई कर दी। इससे मेरी तबीयत बिगड़ गई। इस दौरान पूरन सिंह ने मेरा बहुत ख्याल रखा। एक-दो बार उन्होंने मुझे खाने के लिए पैसे भी दिए। झाड़ू-पोंछा करने के साथ वहां के वाॅचमैन के बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाता था, जिसके बदले मुझे 50 रुपए मिलते थे
यहां से निकलने के बाद मैंने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की। यहां 3 महीने तक काम करने के बाद एक दिन छत से कूदकर जान देने की कोशिश की थी। इस बार भी सफल नहीं हो पाया। चौथी बार कोशिश तब की, जब मैं किदवई नगर, दिल्ली में रहता था। एक दिन रेलवे ट्रैक पर गया और लेट गया। सामने से ट्रेन आ रही थी, तभी दिमाग में ख्याल आया कि मरना नहीं है बल्कि कुछ करना है। वहां से चला आया। इसके बाद मुझे कभी भी सुसाइड के ख्याल नहीं आए, लेकिन जब उन दिनों को याद करता हूं तो लगता है कि मैं कितना गलत था।
मैं जवाहरलाल स्टेडियम के सामने लोधी कॉलोनी में एक बरसाती में 3 लोगों के साथ रहने लगा। कॉलोनी के पीछे एक कपड़े की दुकान थी वहां पर मैं 900 रुपए महीने की सैलरी पर नौकरी करने लगा। दुकान के मालिक का नाम विक्की था।

विक्की भैया के दोस्त ने सुझाया कि तुम्हारी इंग्लिश अच्छी है, तुम नाइकी शू कंपनी के शोरूम में जॉब के लिए ट्राई करो। नाइकी के शोरूम में भी मैंने सेल्समैन का एक साल काम किया। यहां पर मेरी सैलरी 2800 रुपए हो गई थी। गर्मी हो या बरसात, स्टोव पर खाना पकाता खाता था। एक दिन तो मेरे मुंह के सामने स्टोव फट गया।
यहां काम करने के दौरान थिएटर के कुछ लोगों से दोस्ती हो गई। शाहरुख खान साहब के ब्रदर-इन-लॉ और आदित्य लुम्बा मेरे दो बेस्ट फ्रेंड थे, जो मुंबई एक्टर बनने जा रहे थे। मैंने कहा, मैं भी मुंबई जाऊंगा। इस पर वो लोग मेरा मजाक बना कर कहने लगे- जो काम कर रहा है, वहीं कर।

मैंने सोच लिया था कि एक्टिंग जरूर करूंगा। फिर मैंने एक बाइक खरीदी और पुणे एक्टिंग कोर्स करने के लिए चला गया। वहां पहुंचने पर पता चला कि एक्टिंग कोर्स बंद हो गया। तब वहां से मुंबई आ गया। मुंबई आकर एक महीना ही हुआ था कि मुझे अपनी बाइक बेचनी पड़ी।

ये सीन फिल्म सुपर 30 का है। अमित बताते हैं, इस फिल्म में मैंने 7 मिनट का एक जर्नलिस्ट का रोल किया। इसका प्रीमियर हुआ, तब सारे जर्नलिस्ट ने खड़े होकर ताली बजाई।
फिलहाल, मुंबई आने के बाद नीना गुप्ता एक सीरियल ‘क्यों होता है प्यार’ बना रही थीं। मुझे किसी ने बताया कि उसमें ऑडिशन के लिए चले जाओ। मुझे कुछ पता नहीं था, क्योंकि कभी फिल्में देखी नहीं थी। वहां जाकर मैंने साइड रोल के लिए ऑडिशन दे दिया। अगले दिन फोन आया कि फिर से आओ। वहां गया, तब वहां मौजूद लोगों ने कहा कि मेरा फेस अच्छा है और मैं लीड रोल के लिए काम कर सकता हूं। मैंने पूछा- कितने पैसे मिलेंगे। उन्होंने बताया कि साइड रोल के लिए 8 हजार और हीरो बनने के लिए 16 हजार रुपए फीस मिलेगी। पैसों की ज्यादा जरूरत थी इसलिए मैंने लीड रोल वाला ऑफर एक्सेप्ट कर लिया।

सीरियल टेलिकास्ट हो जाने के बाद बहुत सारे फैंस हो गए। इस तरह एक्टिंग की दुकान चल गई। 2-3 बड़े-बड़े टीवी शोज में काम कर लिया। हालात ये हो गए थे कि एक दिन में लाखों रुपया कमा लेता था।
करियर के इसी सफर में मुझे प्यार हो गया था। एक दिन मेरी गर्लफ्रेंड को किसी लड़के ने दिल्ली में छेड़ दिया, तब उसके सिर पर बॉटल फोड़ दी थी। लड़के के 10-15 दोस्तों ने मुझे बहुत मारा।

इस लड़ाई के बाद मैं कुछ दिनों के लिए पहाड़ों पर रहने चला गया था। इत्तफाक से एक दिन मेरी मुलाकात दलाई लामा से हुई। गुस्सा करने की आदत नहीं गई थी। बात-बात पर लड़ाई कर बैठता था। नतीजा, मेरा ब्रेकअप भी हो गया। टीवी इंडस्ट्री में भी लोगों ने बैन कर दिया। लोग मुझे टीवी शो में कास्ट करने से ये कहकर मना कर देते थे कि मैं लड़ता बहुत हूं
टीवी इंडस्ट्री के बाद जब फिल्मों में काम करने की कोशिश की तो वहां भी काम नहीं मिला क्योंकि उस समय फिल्मों में टीवी एक्टर्स को कास्ट नहीं किया जाता था। एक्टिंग का कीड़ा लग गया था इसलिए मैंने हार नहीं मानी। मुंबई में मेरा एक घर था, जिसे बेचकर मैं अमेरिका के एक्टिंग स्कूल ली स्ट्रासबर्ग में एक्टिंग सीखने चला गया। पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई वापस आ गया।
किसी तरह मैं यशराज प्रोडक्शन में ऑडिशन देने गया। उन लोगों ने बोला कि मेरी आंखें ठीक नहीं हैं, बाल ठीक नहीं है, फोटोज ठीक नहीं है, मेरे में स्टाइल नहीं है। यह सुनकर बहुत टूट गया, क्योंकि जब अमेरिका में एक्टिंग सीख रहा था, तब लोग बोल रहे थे कि मैं परफेक्ट हीरो मटेरियल हूं। घर आकर अपने ड्राइवर इमरान भाई को यह सब बताया। उनकी गोद में सिर रखकर बहुत रोया। इमरान भाई ने बोला- ‘आप एक्टिंग के लिए पैदा हुए हो। एक दिन दुनिया आपकी एक्टिंग की दीवानी होगी।’ इतना कहकर वो चले गए।
मैंने 2012 की फिल्म ‘मैक्सिमम’ में काम किया है। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और सोनू सूद थे। दरअसल, मैं जिम करने जाता था। एक दिन जिम में सोनू सूद मिले। उन्होंने पूछा- तुम इतने टाइम कहां पर थे
उन्होंने ‘मैक्सिमम’ में मुझे पत्रकार का रोल दिलवाया। उस पिक्चर में काम के लिए मुझे 20 हजार रुपए भी मिले। इसमें काम करके मेरा कॉन्फिडेंस काफी बढ़ा। इसके डायरेक्टर मुझसे हाथ नहीं मिलाते थे। मैं सोनू भाई का बहुत आभारी हूं। मैं जब भी उनसे मिलता हूं, उनसे बहुत इज्जत से बात करता हूं, क्योंकि पहली शुरुआत उन्होंने करवाई। इसके बाद तो ‘काई पो छे’ आ गई तो पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।

‘काई पो छे’ के बाद लोग बोलते- सुशांत आज टाॅप के स्टार और आप कुछ भी नहीं
मैंने फिल्म काई पो छे के लिए ऑडिशन दिया था। पहली बार में ही मेरा सिलेक्शन हो गया था। ‘काई पो छे’ के बाद लोग ताना मारते थे। कई बार जर्नलिस्ट ही पूछते थे, सुशांत सिंह राजपूत, राजकुमार राव और आपने साथ में फिल्म किया। सुशांत आगे निकल गए, राजकुमार आगे निकल गए, लेकिन आप पीछे रह गए। इस तरह की बातों से मुझे दुख होता था। मैं सोचता था कि मैं इतनी अच्छी एक्टिंग कर रहा हूं, लेकिन ये लोगों को नहीं दिख रहा है।

एक्टिंग का जुनून ऐसा कि छोटे-मोटे रोल भी किए
फिल्म ‘काई पो छे’ के बाद मैंने विद्युत जामवाल के साथ फिल्म यारा में काम किया, लेकिन वो अटक गई। 2015 की फिल्म ‘गुड्‌डू रंगीला’ में अरशद वारसी के साथ काम किया, लेकिन ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही।
ये संघर्ष भरे दिन थे, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। छोटे- मोटे जो रोल मिलते गए, उसे करता रहा। फिल्म सुल्तान में सलमान खान के साथ काम करने का मौका मिला।
सलमान भाई के साथ काम करके मैंने बहुत कुछ सीखा। वो इतने अच्छे इंसान है कि कोई दुश्मन भी हो तो उसका भी हालचाल पूछने से पीछे नहीं हटते।
आर.माधवन के साथ ब्रीद में काम किया। ये मेरी पहली वेब सीरीज थी। उस समय लोगों ने मजाक उड़ाया कि यह तो फ्लॉप एक्टर है। इसकी पिक्चर नहीं चली तो कैरेक्टर आर्टिस्ट बन गया। यह क्या वेब सीरीज करेगा, लेकिन जब इस वेब सीरीज के पूरे हिंदुस्तान में होर्डिंग लगे और यह सीरीज आई, तब लोगों को पता चला कि मैं कैसा कलाकार हूं।
सुशांत सिंह राजपूत के साथ जो हुआ, वह अभी सवालों के घेरों में है। इस हादसे का मुझ पर भी बहुत गहरा असर पड़ा। मैं उस समय टूट गया था। मुझे उस वक्त स्मृति ईरानी का फोन आया था। मैंने उनसे कहा कि यह इंडस्ट्री छोड़ रहा हूं। उन्होंने तीन-चार दिन तक फोन करके मुझसे बात की। फोन पर मुझे समझाया कि तुम छुट्टी पर जाओ और घूम कर आओ, सब ठीक हो जाएगा। इस दौरान आर. माधवन ने भी बहुत सपोर्ट किया। वे मुझे बहुत प्यार करते हैं। उन्होंने बहुत समझाया। खैर, धीरे-धीरे काम में बिजी होता चला गया।
मैं प्रोडक्शन हाउस खोलने जा रहा हूं। मेरे हक की जो चीजें मुझे नहीं मिलीं, उसे लोगों को दिलवाऊंगा। महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने की कोशिश रहेगी।