कौन हैं एक्ट्रेस मरीना गुलबहारी ,कैसे एक तस्वीर से खराब हुई पूरी जिंदगी

ये हैं इंटरनेशनल एक्ट्रेस मरीना गुलबहारी। ये तस्वीर जितनी खूबसूरत है, इसके पीछे की कहानी उतनी ही दहला देने वाली है। यकीन करना मुश्किल है लेकिन इस एक फोटो से इस एक्ट्रेस की पूरी जिंदगी तबाह हो गई। अपना घर, शहर और देश तक छोड़ना पड़ा और आज ये एक रिफ्यूजी कैम्प में जिंदगी गुजार रही हैं।

मरीना गुलबहारी अफगानिस्तान की एक्ट्रेस हैं। 2001 में जब अफगानिस्तान में दोबारा फिल्में बनने की शुरुआत हुई, तब मरीना महज 12 साल की थीं और वहां सड़कों पर भीख मांगती थीं। एक डायरेक्टर ने इन्हें देखा और अपनी फिल्म में ले लिया। फिल्म का नाम था ओसामा। इसी फिल्म से ये इंटरनेशनल स्टार हो गईं।

फिर एक फिल्म फेस्टिवल में शिरकत करने साउथ कोरिया पहुंची। वहां बिना सिर ढंके ये तस्वीर खिंचवाई। इसी से नाराज तालिबानियों ने इनको जान से मारने का फतवा जारी कर दिया। ये बात है 2015 की, फतवा जारी होने के बाद ये अपने घर नहीं लौटीं। साउथ कोरिया से फ्रांस आईं, यहीं एक कैंप में शरण ली। तब से अभी तक मरीना फ्रांस में ही एक रिफ्यूजी की जिंदगी जी रही हैं।
मरीना गुलबहारी का जन्म 1989 में काबुल, अफगानिस्तान में हुआ था। पिता गुजारे के लिए सड़कों पर सामान बेचते थे, जिन पर 7 बच्चों और पत्नी की जिम्मेदारी थी। पूरा परिवार एक किराए के कच्चे घर में रहता था। पिता की कमाई से घर का गुजारा मुश्किल ही होता था। वो अपने बच्चों को भी साथ ले जाते थे, जो गलियों में भीख मांगते थे।
1989 में मरीना का जन्म हुआ तो, ये वो समय था जब सोवियत यूनियन के कब्जे के चलते अफगानिस्तान की स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी, उस समय जंग का माहौल बना होता था। 1979 में शुरू हुआ तालिबानी आंदोलन भी अपने साथ कई सख्त नियम लेकर आया था। महिलाओं को बिना पुरुष के घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी और उनको बाहर काम करने पर सजा-ए-मौत दी जाती थी।
1992 में अफगान सिविल वॉर के बाद सोवियत यूनियन ने अफगानिस्तान से कब्जा हटा लिया और फिर सरकार बदल गई। सरकार बदलने से 1993 में अफगानिस्तान में फिल्में बनाने पर पूरी तरह पाबंदी लग गई। 1996 में जब तालिबानी सत्ता बनी शरिया कानून लागू होने पर फिल्में देखना हराम घोषित कर दिया गया।
अफगानिस्तान के सभी सिनेमाघर तोड़ दिए गए और गलियों, रेस्टोरेंट में लगे टीवी सेट्स को भी तोड़ दिया गया। कुछ फिल्ममेकर अफगानिस्तान छोड़ गए, तो वहीं कई फिल्ममेकर्स ने अपनी फिल्में बचाने के लिए उनकी रील्स या तो जमीन में दफना दीं, या कमरों में बंद कर दीं।

तालीबान पर अमेरिका के हमले के बाद 2001 से अफगानिस्तानी सिनेमा फिर धीरे-धीरे शुरू होने लगा। अफगान बेस्ड ईरानी डायरेक्टर मोहसिन मखमलबाफ ने फिल्म कंधार बनाई, जो कांस में जाने वाली पहली अफगानी फिल्म बनी। इसके बाद से ही अफगानिस्तान में बचे हुए चंद फिल्ममेकर भी फिल्में बनाने लगे।

प्रोड्यूसर सिद्दीक बरमाक वो पहले प्रोड्यूसर थे, जिन्होंने अफगानिस्तान में ही शूटिंग कर पहली फिल्म ओसामा (2003) बनाने का फैसला किया। इस फिल्म के लिए उन्हें एक एक्ट्रेस की जरूरत थी, लेकिन तालिबान के सख्त नियमों के चलते कोई भी महिला फिल्म में काम करने के लिए राजी नहीं थी।
एक दिन अफगानिस्तान की गलियों में सैर करते हुए सिद्दीक बरमाक की नजर मरीना गुलबहारी पर पड़ी, जो वहीं गलियों में भीख मांग रही थीं। मरीना उस समय महज 12 साल की थीं। उन्होंने सीधे आकर मरीना से पूछा कि क्या वो फिल्मों में काम करेंगी, मरीना इस सवाल से डर गईं। आगे उन्होंने जवाब दिया, ‘नहीं, मैं काफिर नहीं हू। फिल्मों में काम नहीं करूंगी।’

दरअसल मरीना ने अपनी 12 साल की जिंदगी में एक-दो बार छिपकर कुछ हिंदी फिल्में ही देखी थीं, जिनमें हीरोइन कम कपड़े पहनकर, डांस करती थीं और गाने गाती थीं। मरीना को लगा कि उन्हें भी इस तरह की फिल्म ही दी जाएगी। मरीना ने खुलकर कह दिया कि उन्हें पता है फिल्में कैसी होती हैं। सिद्दीक ने उन्हें हंसते हुए समझाया कि नहीं ये फिल्म हिंदी फिल्मों की तरह ग्लैमरस फिल्म नहीं है
सिद्दीक ने मरीना को बताया कि फिल्म ओसामा तालिबानी हुकुमत में रहने वाली एक मजबूर लड़की की कहानी होने वाली है। फिल्म की कहानी सुनाने के बाद सिद्दीक ने उन्हें हर महीने 110 डॉलर देने की बात कही। पैसों की बात होने पर परिवार वाले भी राजी हो गए, क्योंकि उस समय वो आर्थिक तंगी में थे। मरीना के घरवाले मान गए और उन्होंने फिल्म की शूटिंग की।
फिल्म में काम करने की मंथली 110 डॉलर सैलेरी के अलावा फिल्ममेकर सिद्दीक बरमाक और मखमलबफ ने मरीना को 10 हजार डॉलर अलग से दिए। इस रकम से मरीना ने दो कमरों का एक घर खरीद लिया, हालांकि वो घर कच्चा ही था। ये घर मरीना के नाम पर रजिस्टर करवाया गया था। (न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक)
20 मई 2003 को फिल्म ओसामा का प्रीमियर कांस फिल्म फेस्टिवल में हुआ, जिसके बाद 27 जून को इसे अफगानिस्तान के काबुल शहर के काबुल सिनेमा में रिलीज किया गया। मरीना इस फिल्म को देखने अपने मां-बाप और दो बहनों के साथ पहुंची थीं।

ये उनकी जिंदगी का पहला एक्सपीरिएंस था, जब वो थिएटर में फिल्म देख रहे थे।मरीना को फिल्म ओसामा बिल्कुल पसंद नहीं आई क्योंकि ये तालिबानी हुकूमत की बर्बरता दिखाती थी। फिल्म के एक सीन में उन्हें सजा के तौर पर कुएं में डाला जाता है। जैसे ही ये सीन पर्दे पर आया तो मरीना के पिता बेहोश हो गए। मां गुस्सा हो गईं
अफगानिस्तानी फिल्म ओसामा में मरीना ने ओसामा की भूमिका निभाई थी। फिल्म में दिखाया गया है कि अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के दौरान महिलाओं को पर्दे में रखा गया था। उन्हें बिना मर्दों के बाहर निकलने की भी इजाजत नहीं थी। नौकरी करने वाली महिलाओं को जान से मार दिया जाता था। ये फिल्म एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसके पिता की मौत हो जाती है। बूढ़ी दादी और मां गुजारा करने के लिए 12 साल की लड़की को ओसामा नाम देकर उसके बाल काट देते हैं, जिससे सबको लगे कि वो एक लड़का है। ओसामा नाम का लड़का बनकर वो लड़की कमाई करने जाती है।
जब तालिबानी लड़कों को मरदसे में आने की जबरदस्ती करते हैं तो डरी सहमी ओसामा भी वहां पहुंचती है। ओसामा को लड़कों की ट्रेनिंग दी जाने लगती है, लेकिन मेंस्ट्रुअल साइकल शुरू होते ही उसका राज खुल जाता है। ओसामा को गिरफ्तार कर सजा के लिए पूरे शहर के सामने पेश किया जाता है। उसके साथ दो और लोगों को सजा मिलती है। पहला एक विदेशी जर्नलिस्ट, जिस पर आरोप था कि उसने एक प्रोटेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग की है। उस जर्नलिस्ट को सबके सामने गोलियों से भून दिया जाता है। दूसरी महिला को मरते दम तक कोड़े मारने की सजा सुनाई जाती है, लेकिन जब ओसामा की बारी आती है तो उसे अनाथ मानकर उसकी शादी एक बूढ़े आदमी से करवा दी जाती है।

वो सबके सामने गिड़गिड़ाती है कि उसे उस बुजुर्ग को ना सौंपा जाए, लेकिन कोई नहीं सुनता। बूढ़े आदमी के घर पहुंचती है तो देखती है कि उसकी पहले ही 3 शादियां हो चुकी हैं, घर में कई बच्चे हैं। उस आदमी की दो पत्नियां ओसामा को बताती हैं कि कैसे उस आदमी ने उनकी जिंदगी नर्क बनाई है। सब कुछ जानने के बाद भी ओसामा वहीं रहती है।
फिल्म ओसामा को 46 हजार डॉलर के बजट में तैयार किया गया था, जिसने वर्ल्डवाइड 38 लाख डॉलर की कमाई की थी। डायरेक्टर सिद्दीक चाहते थे कि फिल्म में हैप्पी एंडिंग दिखाते हुए ओसामा को आजाद दिखाया जाए, लेकिन 2003 तक अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति इतनी बदतर थी कि उन्होंने क्लाइमैक्स बदल दिया।
फिल्म ओसामा को बेस्ट फॉरेन फिल्म के लिए गोल्डन ग्लोब से सम्मानित किया गया। पहली ही फिल्म से मरीना एक इंटरनेशनल स्टार बन गईं। मरीना की एक्टिंग को दुनियाभर के नामी क्रिटिक्स की तारीफें मिलीं। मशहूर क्रिटिक रॉजर एबर्ट से लेकर पूर्व US प्रेसिडेंट जॉर्ज बुश, फर्स्ट लेडी लॉरा बुश और हिलेरी क्लिंटन भी फिल्म की तारीफ करने वालों में शामिल हैं। मोलोडिस्ट इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में मरीना गुलबहारी को बेस्ट यंग एक्टर का अवॉर्ड मिला था। मरीना ने फिल्म पूरी होने के बाद सरकारी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की।
जब मरीना 23 साल की हुईं तो फेसबुक के जरिए उनकी बातचीत एक्टर नूरउल्लाह अजीज से हुई। नूरउल्लाह एक अफगानी रिफ्यूजी थे, जिनकी परवरिश पाकिस्तान में हुई थी। अफगानिस्तान के माहौल बेहतर होने के बाद वो दोबारा यहां आए। कई मामूली नौकरियां करने के बाद उन्हें एक फिल्म में छोटा सा रोल मिला और वो बतौर एक्टर काम करने लगे।

फेसबुक पर बात करते हुए दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे, लेकिन जैसे ही नूरउल्लाह के घरवालों को पता चला कि मरीना फिल्म में काम कर चुकी हैं, तो उन्होंने ये कहकर शादी से इनकार कर दिया कि ये लड़की पर्दे में नहीं रही और इसका चेहरा दुनियाभर के लोग देख सकते हैं। परिवार की रजामंदी ना होने पर भी दोनों ने 2015 में शादी करने का फैसला किया।
26 साल की उम्र में मरीना 2015 में हुए साउथ कोरियन फिल्म फेस्टिवल का हिस्सा बनने गई थीं। फिल्म फेस्टिवल में मरीना ने बिना सिर ढंके तस्वीर क्लिक करवाई। जैसे ही ये तस्वीर अफगानिस्तान तक पहुंची तो तालिबानियों ने उनके खिलाफ फतवा जारी करते हुए उन्हें मौत की सजा सुना दी। पूरे अफगानिस्तान में मरीना को प्रॉस्टिट्यूट कहकर बदनाम किया गया और काबुल शहर में उनके खिलाफ नारेबाजी की गई।
मरीना के खिलाफ इतनी नफरत फैलाई गई कि कुछ तालिबानियों ने उनके घरवालों को मारने के लिए घर पर बम फेंका। खुशकिस्मती से वो बम फटा ही नहीं।
घरवालों ने जब ये बात मरीना और उनके पति तक पहुंचाई तो उन्हें जान बचाते हुए फ्रांस के एक छोटे से असायलम में छिपकर रहना पड़ा। उस फिल्म फेस्टिवल के बाद से आज तक मरीना अपने घर नहीं जा सकीं, क्योंकि उन्हें देखते ही मारने के आदेश दिए गए हैं। हालात से तंग आकर मरीना आत्महत्या करने की कोशिश भी कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें बचा लिया गया। फिलहाल मरीना असायलम में ही रहकर डिप्रेशन का इलाज करवा रही हैं।
फ्रांस में मरीना को हर समय डर रहता है कि कोई उनकी पहचानकर उन पर हमला न कर दे। जब भी पति असायलम से निकलने हैं तो बाहर से दरवाजे पर ताला लगाते हैं।