हमास ने बंधक बनाए इजराइली और विदेशी नागरिकों को सुरंगों में रखा है। इजराइली सेना दावा कर चुकी है कि हमास के कई ठिकाने जमीन के अंदर यानी सुरंगों में ही हैं। यरुशलम पोस्ट के मुताबिक, सुरंगें बनाने के बाद हमास काफी ताकतवर साबित हुआ है। इसीलिए वो 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमला करने में कामयाब रहा।
इजराइल की बार-इलान यूनिवर्सिटी में जियोग्राफी के प्रोफेसर जोएल रोस्किन का कहना है कि इस जंग को शुरू करने में हमास की सुरंगों का अहम रोल है। वो इन सुरंगों पर कई सालों से स्टडी कर रहे हैं। उन्होंने उन स्थितियों का विश्लेषण किया है जिनसे ये सुरंगें बनाई गईं और इनका विस्तार हुआ। उन्होंने हमास टनल डेवलपमेंट के जियोलॉजिकल और सिक्योरिटी कंडीशन्स का खुलासा किया है।
उनकी स्टडी के मुताबिक, हमास सालों पहले इन सुरंगों का इस्तेमाल जरूरत के सामान लाने के लिए करता था। धीरे-धीरे यहां से हथियारों की तस्करी करने लगा और बाद में उसने इन सुरंगों को हमला करने का ठिकाना बना लिया।
प्रोफेसर जोएल के मुताबिक, फील्ड डेटा की समझ और जियोपॉलिटिकल स्थितियों की वजह से हमास सुरंगे बनाने में सफल रहा। उन्होंने कहा- गाजा में सुरंगों की इजराइल और दुनिया में अन्य जगहों की गुफाओं-खदानों से मेल खाने वाली बुनियादी विशेषताएं हैं, लेकिन हर एक सुरंग अलग थी। इनका संबंध वहां की भौगोलिक, भूवैज्ञानिक और भू-राजनीतिक स्थितियों से है।बात 1982 की है। गाजा और इजिप्ट के बीच जो राफा बॉर्डर है, वह पूरी तरह शुरू हुआ था। बॉर्डर बनने की वजह से राफा शहर में रहने वाले कई लोग अपने परिजनों से अलग हो गए। उनसे दोबारा मिलने के लिए इन लोगों ने सुरंगें बनाईं। यहां से जरूरत की चीजों का ट्रांसपोर्ट भी होता था।
उस वक्त सुरंगों का इस्तेमाल हिंसा के लिए नहीं होता था। ये कुआं खोदने वाले आम नागरिकों ने बनाई थीं, लेकिन 1994 में यहां से हथियारों की तस्करी शुरू हो गई। ओस्लो पीस अकॉर्ड के तहत इन सुरंगों का जिम्मा फिलिस्तीनी अथॉरिटी के पास था। 2000 में इजराइल के ऑपरेशन डिफेंसिव शील्ड के दौरान सुरंगों की संख्या बढ़ने लगी। ज्यादा मात्रा में हथियारों की तस्करी भी होने लगी।
ये समझते हुए कि इजराइली सेना सुरंगों से होने वाले हमलों का जवाब मुश्किलों से दे रही है, हमास ने अंडरग्राउंड एक्टिविटीज बढ़ा दीं और सुरंगों से होते हुए इजराइली सेना की पोस्ट पर हमले किए। 2005 में जब इजराइली सेना गाजा पट्टी से हट गई तब हमास ने पूरी आजादी के साथ टनल प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू कर दिया। दूसरी तरफ मिस्र और गाजा के बीच भी सैकड़ों सुरंगें बनाई गईं। मिस्र की तरफ से इन्हें रोकने की कोशिश नहीं की गई।
अब बात करते हैं 2007 की। हमास ने फिलिस्तीन अथॉरिटी को हटाकर गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया। इस दौरान मिस्र और इजराइल का यहां ज्यादा दखल नहीं था। इसके बाद से हमास सुरंगों में रॉकेट और अन्य खतरनाक हथियारों का जखीरा रखने लगा। उसने यहां हेडक्वार्टर, कंट्रोल रूम, लॉजिस्टिक सेंटर तक बना लिए।
2009 तक हमास ने इजराइल बॉर्डर पर हमलों को अंजाम देने के लिए 35 सुरंगें बना ली थीं। ये सुरंगें शहर की तरह ही बनाई गई थीं। ये ज्यादा लंबी तो नहीं थीं, पर काफी जटिल थीं। इनका रास्ता सीधा न होकर काफी घुमावदार था।
ये मल्टीस्टोरी सुरंगें थीं। इनमें कमरे, हॉल और वेयरहाउस बने थे। गाजा में टनल कल्चर बन गया। प्री-स्कूल और हाई स्कूल के बच्चों को एजुकेशनल ट्रिप्स के लिए सुरंगों में घुमाया जाने लगा। गाजा पट्टी में कई किलोमीटर लंबी सुरंगें बनकर तैयार हो गईं।
प्रो. जोएल के मुताबिक ये सुरंगें इतनी जटिल हैं कि मैप या स्पेस से इनकी पहचान करना बेहद मुश्किल है। इजराइल ने अपने बॉर्डर पर अंडरग्राउंड बैरियर लगा रखे हैं। कई बार हमास के हमले रोके भी गए, लेकिन इजराइल सुरंगों का कंस्ट्रक्शन रोकने में नाकाम रहा। इसलिए हमास के लड़ाके 7 अक्टूबर को इजराइल में घुसने में कामयाब रहे।
दक्षिणी गाजा पट्टी में जमीन के नीचे दो मीटर मोटी परतें हैं। ये सालों तक धूल और रेत के जमने से बनी हैं। जो समय के साथ सख्त हो गई हैं। हालांकि इन्हें चट्टान नहीं कहा जा सकता। इन परतों को खोदने के लिए मशीनों की जरूरत नहीं पड़ती।
साल 2000 तक जमीन से 4-12 मीटर की गहराई में ये सुरंगें बनाई जाती थीं। इसके बाद हमास ने और गहराई में जाना शुरू कर दिया। सुरंगें शहरों के बीच बनाई जाने लगीं जिससे पानी-बिजली की सप्लाई आसानी से हो सके। बिजली नहीं होने पर अंडरग्राउंड जनरेटर की मदद ली जाने लगी।