जब अमेरिका पहुंचा पहला हाथी, कलकत्ता से 450 डॉलर में खरीद कर ले गए थे कैप्टन जैकब क्रोवनिनशील्ड

बात 13 अप्रैल 1796 की है, भारत के कलकत्ता से जब एक मर्चेंट जहाज अमेरिका पहुंचा तो वहां सब हैरान रह गए। जहाज से उतरी लोगों की भीड़ में कुछ ऐसा था जिसकी अमेरिकियों ने कभी उम्मीद भी नहीं की थी। लोगों को हैरान करने वाली ये चीज कुछ और नहीं बल्कि एक दो साल की हथिनी थी। जिसे जहाज का कैप्टन जैकब क्रोवनिनशील्ड कलकत्ता से 450 डॉलर, यानी 36 हजार रुपए में खरीद कर लाया था।
अमेरिका पहुंचने से पहले कैप्टन जैकब ने 2 नवंबर 1795 को भारत से अपने भाई को एक लेटर लिखा था, जो आज भी मौजूद है। लेटर में उन्होंने अपने भाई को बताया था, “हमने यहां से 450 डॉलर में एक दो साल का हाथी खरीदा है, ये किसी बैल जितना बड़ा है। मैं तो कहूंगा कि हमें किसी भी कीमत पर इस हाथी को सुरक्षित अमेरिका तक पहुंचाना चाहिए, इसे वहां बेचकर हम कम से कम 5 हजार डॉलर तो कमा ही लेंगे। हमें इसे पहले अमेरिका के उत्तरी राज्यों में रखना होगा, ताकि ये हमारे वातावरण में घुल मिल सके।

जैकब आगे अपने भाई को लिखते हैं, “मुझे पता है भारत से हाथी लाने के मेरे फैसले पर तुम हंसोगे, लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं हाथी चलाने वाला महावत भी बन जाऊंगा। अगर मैं इस हाथी को लाने में कामयाब हो पाया तो ये महान काम होगा, ये अमेरिका लाया गया पहला हाथी होगा।”
लोगों में हाथी को देखने के उत्साह के बीच नए मालिक ने इसे 9 सालों तक अमेरिका के पूरे ईस्ट कोस्ट में घुमाया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत से ले जाए गए इस हाथी को देखने खुद अमेरिका के उस समय के राष्ट्रपति जॉन एडम तक आए थे। हाथी का मालिक नहीं चाहता था कि लोग इसे मुफ्त में देखें। इसलिए वो रात के समय इसे एक शहर से दूसरे शहर तक लेकर जाता था।

इस दौरान हाथी जहां भी जाता भारी संख्या में लोग उसे देखने के लिए उमड़ पड़ते थे। माना जाता है कि जब हाथी की जानकारी अमेरिका के मशहूर सर्कस के मालिक हकालिया बेली को हुई तो उसने इसे खरीद लिया। बेली ने इसे ओल्ड बेट यानी पुरानी शर्त नाम दिया। शुरुआत में बेली के सर्कस में एक ट्रेन किया हुआ कुत्ता, एक घोड़ा, सुअर होता था। ओल्ड बेट के बाद एक हाथी भी जुड़ गया। बाद में ये सर्कस बार्नम बेली के नाम से काफी मशहूर हुआ।

आखिरकार गोली मारकर कर दी गई ‘ओल्ड बेट’ की हत्या
सर्कस में शामिल होने के बाद 20 साल तक भारत की ओल्ड बेट ने अमेरिका के लोगों का खूब मनोरंजन किया। हालांकि, उसकी लोकप्रियता ही उसकी मौत का कारण भी बनी। जब बेली का सर्कस अमेरिका के न्यू इंग्लैंड में अपने प्रोग्राम कर रहा था। उस समय ओल्ड बेट को एक किसान ने गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। किसान का मानना था कि इंसानों को सर्कस में जानवारों को देखने के लिए पैसे खर्च नहीं करने चाहिए।

ओल्ड बेट की इस तरह से की गई हत्या का उसके मालिक बेली पर गहरा असर पड़ा। इसी के चलते उसने न्यूयॉर्क लौट कर ‘द एलिफेंट होटल’ बनवाया। इसके बाहर उस हाथी का एक स्टैच्यू भी बनवाया।
साल 1943, गर्मी का महीना। सेकेंड वर्ल्ड वॉर की लड़ाई अपने चरम पर पहुंच चुकी थी। जापान में जंग की वजह से अनाज की कमी हो गई थी। जानवरों के जू से भागने का भी खतरा था। तभी, टोक्यो शहर के मेयर ओडाची के एक फैसले ने जापान के चिड़ियाघर यूनो के अधिकारियों को हैरानी में डाल दिया।

ओडाची ने जू के अधिकारियों को आदेश दिया कि वो चिड़ियाघर के सभी जानवरों को मार दें। जिन जानवरों को मारने का आदेश दिया गया, उनमें तीन हाथी भी शामिल थे। इनमें से दो को 1924 में भारत से जापान ले जाया गया था। जापान ने इन जानवरों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतारा था।

अपनी किताब ‘द ग्रेट जू मैसेकर’ में ईयन जेएर्ड मिलर और हैरियट रिटवो लिखते हैं कि जो इंसान कभी चिड़ियाघर के जानवरों को देखभाल करने के जिम्मेदार थे, उन्हें ही इन जानवरों को मारने की जिम्मेदारी दी गई। ओडाची ने सख्ती से ये आदेश दिए थे कि इन जानवरों को मारने में उन राइफल्स का इस्तेमाल न किया जाए, जिन्हें जू के गार्ड सुरक्षा के लिए अपने पास रखते हैं।

इसकी सबसे बड़ी वजह ये थी कि ओडाची नहीं चाहते थे कि लोगों को पता चले कि जापान सरकार चिड़ियाघर के जानवरों को मार रही है। जानवरों को मारने के लिए उन्हें जहर देने का फैसला लिया गया। जैसे ही चिड़िया घर के कर्मचारी जहरीले मांस के टुकड़े और सब्जियां लेकर जानवरों के पास पहुंचते थे, तो वो उस पर टूट पड़ते थे
जानवर उस जहरीले खाने को खाकर तड़प-तड़प कर मर जाते थे। केवल हाथी ही ये समझ पा रहे थे कि उनके खाने में कुछ मिलाया जा रहा है। हाथियों की इस समझदारी से ओडाची के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी। फिर हाथियों को मारने के लिए उन्हें इंजेक्शन के जरिए जहर देने का फैसला किया गया, लेकिन उनकी खाल इतनी मोटी थी कि उसमें जहर देने के लिए सुई घुस ही नहीं पाती थी।
अंत में उन्हें भूख से तड़पाकर मारने का फैसला किया गया। काफी समय तक लोगों से ये छुपाया गया था कि एक-एक कर चिड़ियाघर के जानवरों को खत्म किया जा रहा है। हालांकि, जू में लगातार घट रही जानवरों की संख्या पर लोगों ने जल्द ही सवाल उठाना शुरू कर दिया।