16 फिल्मों में देवी बनीं तो पूजने लगे थे लोग निरुपा राय को, आइये जानते हैं इनके बारे में

निरूपा राॅय… जिन्हें हिंदी सिनेमा की मां के रूप में जाना जाता है। गुजराती परिवार में जन्मी निरूपा रॉय की शादी पिता ने महज 14 साल में करा दी थी।

उनके पति एक्टर बनना चाहते थे लेकिन इत्तेफाक से निरूपा रॉय फिल्मी दुनिया में आ गईं। उनके पति का सपोर्ट उन्हें हर कदम पर रहा। करियर के शुरुआता दिनों में देवी के किरदार में वो इतना जंची कि लोग उन्हें सच में देवी मानने लगे और उनकी पूजा करने लगे। हालात ये थे कि घर पर उनका आशीर्वाद लेने के लिए लोगों की लंबी लाइन रहती थी।
करियर के दूसरी पारी में निरूपा राॅय मां के रोल में देखी गईं। फिल्मों में किसी एक्ट्रेस ने अमिताभ बच्चन के साथ इतना काम नहीं किया होगा जितनी बार निरूपा रॉय उनकी ऑनस्क्रीन मां के रोल में देखी गई हैं।
हालांकि फिल्मों में किसी बेटे ने उन्हें इतना दुख नहीं दिया होगा जितना रियल लाइफ में उनके बेटे-बहू ने दिया। उन्हें जेल जाने तक की नौबत आ गई थी।
निरूपा रॉय का जन्म 4 जनवरी को गुजरात के वलसाड़ के ट्रेडिशनल गुजराती चौहान परिवार में हुआ था। उनके पिता किशोर चंद्र बलसारा रेलवे में कर्मचारी थे। फिल्मों में आने से पहले उनका नाम कोकिला किशोरचंद्र बलसारा था।घर में निरूपा रॉय को प्यार से लोग छीबी कहकर बुलाते थे। महज 14 साल की उम्र में उनके पिता ने उनकी शादी कमल रॉय से करा दी थी। शादी के बाद वो अपने पति के साथ 1945 में मुंबई चली गईं।निरूपा रॉय के पति कमल राशन इंस्पेक्टर की नौकरी कर रहे थे। उनके अंदर एक्टर बनने की चाहत थी, इसलिए ऑडिशन देते रहते थे। 1946 में निरूपा राॅय और उनके पति ने एक गुजराती पेपर में एक एड देखा था जिसमें लिखा था कि गुजराती फिल्मों में नए सितारों की तलाश है।
पेपर में एड पढ़ने के बाद पति के साथ निरूपा राॅय भी गई। कमल राॅय ने ऑडिशन दिया लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हुआ। वहां मौजूद एक डायरेक्टर की नजर निरूपा राॅय पर पड़ी जिनके सुझाव पर उन्होंने ऑडिशन दिया और सिलेक्ट भी हो गईं। उन्होंने अपनी एक्टिंग करियर की शुरुआत गुजराती फिल्म रणदेवी से की। इसी साल उन्होंने हिंदी फिल्म अमर राज में भी काम किया।
निरूपा रॉय ने जिस समय फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था, उस समय फिल्मों में लड़कियों काम करना बुरा माना जाता था। जब उन्होंने भी फिल्म इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया था तो पिता उनसे बहुत नाराज हो गए थे।
एक इंटरव्यू में निरूपा रॉय ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि फिल्म साइन करने के बाद जब ये उन्होंने अपने घर पर बताई थी तो उनके पिता ने कहा था कि अगर वो फिल्मों में काम करेंगी तो वो उनसे रिश्ता खत्म कर लेंगे। बाद में सभी घरवालों ने निरूपा रॉय के काम को अपना लिया था लेकिन उनके पिता ने अंतिम सांस तक अपनी कही हुई बात पर अडिग रहे और ताउम्र उनसे बात नहीं की। हालांकि मां उनसे छुपकर मिल लेती थीं।
1940 से 1950 तक, निरूपा राॅय ने कई माइथोलॉजिकल फिल्मों में काम किया था। देवी के रोल में लोगों ने उन्हें बहुत पसंद किया था। लोगों उन्हें सच में देवी मानने लगे थे और घरों में लोग उन्हीं की तस्वीर की पूजा करने लगे थे। उनके घर के बाहर लोगों की लाइन लगी रहती थी, जो उनसे आशीर्वाद लेने आते थे।
रॉय को 1970 के बाद फिल्मों में मां का रोल मिलने लगा था। निरूपा राॅय ने इन किरदारों को इतने मार्मिक ढंग से फिल्मी पर्दे पर उतारा था कि उन्हें ‘Queen of Misery’ का टाइटल दिया गया था।
1975 में रिलीज हुई फिल्म दीवार निरूपा रॉय की खास फिल्मों में से एक है। यश चोपड़ा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में उन्होंने शशि कपूर और अमिताभ बच्चन के मां का किरदार निभाया था। आगे चलकर उनकी इमेज बिग बी की मां के रूप में ही बन गई, जिसे काफी सराहा भी गया। 90 के दशक के में रिलीज हुई फिल्म लाल बादशाह में वो आखिरी बार अमिताभ बच्चन की मां के किरदार में नजर आईं।
फिल्मी पर्दे पर दुखियारी मां और प्यारी सास का रोल निभाने वाली निरूपा राॅय को असल जिंदगी में भी बहुत संघर्ष करना पड़ा था। असल जिंदगी में उनके दो बेटे, योगेश और किरन थे।
उनके छोटे बेटे की पत्नी का नाम उना राॅय था। शादी के कुछ समय बाद ही छोटी बहू ने सास निरूपा रॉय और ससुर कमल पर दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था। हालात ये हो गए थे कि निरूपा रॉय को गिरफ्तार करने तक की नौबत आ गई थी।
उनकी बहू ने ये भी इल्जाम लगाया था कि निरूपा राॅय ने उन्हें घर से निकाल दिया गया था। कहा ये भी जा रहा था कि किसी फिल्म में भी बेटे ने इतना दर्द उन्हें नहीं दिया था, जितना उनके सगे बेटे ने उन्हें पहुंचाया।
13 अक्टूबर 2004 को, निरूपा रॉय की मौत हार्ट अटैक से हो गई। उनकी मौत के बाद भी उनके दो बेटे प्रॉपर्टी के लिए आपस में झगड़ते रहे। ये पूरा झगड़ा 10 लाख रुपए की प्रॉपर्टी का था जिसे निरूपा राॅय ने 1963 में मुंबई के नेपियन सी रोड पर खरीदा था। बताते हैं कि अब इसकी कीमत 100 करोड़ के आसपास है। निरूपा की मौत के बाद उनके पति कमल इसके मालिक हो गए थे, लेकिन कमल की मौत के बाद दोनों बेटों में इसके लिए लड़ाई होती चली आ रही है।