मैं जो भी हूं, रायबरेली के लोगों की वजह से हूं। आप मेरा परिवार संभाल लेना : सोनिया गाँधी

गांधी परिवार की खामोशी ने रायबरेली सीट को सुर्खियों में रखा। अचानक ऐलान हुआ, राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। इसके साथ ही रायबरेली VIP सीट में शुमार हो गई। राहुल के सपोर्ट में प्रियंका गांधी भी गांव-गांव जा रही हैं, छोटी-छोटी जनसभाएं कर रही हैं। राहुल भी इमोशनल कार्ड खेलते हुए कह रहे- रायबरेली मेरी दोनों माताओं की कर्मभूमि है, इसलिए यहां से चुनाव लड़ने आया हूं।
इससे पहले 15 फरवरी को सोनिया गांधी ने रायबरेली के लोगों के नाम भावुक चिट्‌ठी लिखी। इसमें उन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान किया। लिखा- रायबरेली आकर मेरा परिवार पूरा होता है। मैं जो भी हूं, रायबरेली के लोगों की वजह से हूं। आप मेरा परिवार संभाल लेना। सोनिया 20 साल रायबरेली से सांसद रहीं।
कांग्रेस के लंबे साइलेंस की वजह से भाजपा ने पुराने कांग्रेसी दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया। आखिरी मौके पर कांग्रेस ने राहुल गांधी को यहां लॉन्च कर दिया। आम चुनाव में एक बार फिर रायबरेली सीट चर्चा में आ गई। दिनेश प्रताप को पूरा भाजपा संगठन चुनाव लड़वा रहा है।
रायबरेली के सियासी सीन में सिर्फ कांग्रेस और भाजपा दिख रहे हैं। बसपा ने यादव कैंडिडेट ठाकुर प्रसाद को उतार कर 7% यादव वोटर्स को नया विकल्प दिया है। अगर 34% दलित और 23% ओबीसी वोटर बंटता है, तब जीत-हार का मार्जिन कम हो सकता है। हालांकि, शुरू से माना गया कि राहुल के लिए रायबरेली सीट आसान है।12% मुस्लिम और 23% OBC वोटर हैं। ज्यादातर कांग्रेस के वोटर हैं। दलित और जनरल वोटर में भी कांग्रेस का दबदबा रहा है। इस बार भी उनका रुझान कांग्रेस की तरफ दिख रहा। यहां लोगों ने 72 साल में 66 साल कांग्रेस के सांसद चुने। 20 चुनाव में 17 बार कांग्रेस जीतती रही। 20 साल से लगातार सोनिया गांधी जीत रही हैं।
भाजपा से चुनाव लड़ रहे दिनेश प्रताप सिंह पुराने कांग्रेसी हैं। 2019 के चुनाव में सोनिया से 1.67 लाख वोट से हारे थे। यहां हार-जीत की चर्चा नहीं है, बल्कि जीत के मार्जिन को लेकर लोग बात कर रहे।
राहुल 2019 का लोकसभा चुनाव अमेठी से हार गए थे। 2024 में पूरा कांग्रेस संगठन रायबरेली में एक्टिव है। खुद प्रियंका गांधी कैंप कर रही हैं। वह लोगों से भाजपा की नीतियों पर बात करती हैं, महंगाई-बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठाते हुए फिर कांग्रेस को चुनने के लिए कह रही हैं।
ग्राफिक्स में रायबरेली के जातिगत समीकरण…
भले ही रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ बताया जा रहा, मगर पिछले 3 चुनाव का वोटिंग ट्रेंड कांग्रेस के पक्ष में नहीं दिख रहा। 2009 में सोनिया गांधी ने 3.72 लाख वोट मार्जिन से चुनाव जीता था। भाजपा के आरबी सिंह को सिर्फ 12 हजार वोट मिले थे। हार के बावजूद भाजपा ने बूथ लेवल पर वर्किंग जारी रखी।
2014 का लोकसभा चुनाव सोनिया गांधी ने 3.52 लाख वोट से जीतीं, मगर भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 1.73 लाख हो गया। 2019 के चुनाव में भाजपा के दिनेश प्रताप को 3.67 लाख वोट मिले। सोनिया गांधी के जीतने का वोट मार्जिन और कम हो गया, वह 1.67 लाख वोट से जीतीं।
एक फैक्टर यह भी है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में 4 सीटें सपा ने जीतीं, सिर्फ 1 सीट रायबरेली पर भाजपा की अदिति सिंह विधायक बनीं। 2024 के चुनाव में सपा और कांग्रेस में गठबंधन है।
VIP सीट के चुनावी माहौल को समझते हुए हम सेरेनी में एक ढाबा पर पहुंचे। यहां शेखर सिंह से मुलाकात हुई। चुनाव में क्या माहौल है? जवाब मिला- देखिए, महंगाई और बेरोजगारी कितनी ज्यादा है। हमने कहा- भाजपा कहती है खूब रोजगार दिए। वह नाराज होकर कहते हैं- वो सब चुनाव के जुमले हैं।
कुछ दूरी पर खड़े आलोक कुमार बीच में बोल पड़ते हैं- यहां कांग्रेस ही जीतेगी, अगर यहां कांग्रेस नहीं जीती, तो रायबरेली के लिए बहुत शर्म की बात होगी। कांग्रेस के जीतने के चांस 70% हैं, 30% में बाकी दल आते हैं। भाजपा ने बहुत गलत कैंडिडेट उतारा है, दिनेश कांग्रेस के नेता थे। सोनिया गांधी आती थीं, तो मां-मां कहते थे। अब उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे।
करीब 500 मीटर आगे चाय की दुकान पर सरस श्रीवास्तव मिले। वह कहते हैं- रायबरेली की पब्लिक अब जागरूक हो चुकी है। रायबरेली में विकास ठीक से नहीं हुआ। पास में आयरन शॉप पर माता बदल कहते हैं- राहुल की हवा है, कांग्रेस ने एम्स, रेलकोच सब कुछ दिया। अब मोदीजी आकर उद्घाटन करते हैं, इससे क्या होगा रायबरेली सीट हमेशा से वीआईपी रही है। रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ है, तो उनकी संभावनाएं निश्चित तौर पर ज्यादा बनती हैं। अभी यहां चुनाव और चढ़ेगा। अभी राजनीतिक हस्तियां रायबरेली का रुख कर रही हैं, इससे राजनीतिक समीकरण और बदलेंगे। ये गांधी परिवार का गढ़ है, लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार की योजनाओं का असर भी यहां देखा जा रहा है।
वह कहते हैं- राहुल अपनी मां सोनिया की सीट पर हैं। भाजपा की केंद्र सरकार ने रायबरेली के लोगों को जो कुछ दिया है, पब्लिक वोट करते वक्त इसको ध्यान में रखेगी। पब्लिक का ये कहना कि सांसद हमारे बीच नहीं आए, ये गलत फैक्टर है। सोनिया अपनी ऐज फैक्टर के चलते रायबरेली नहीं आईं। इससे कांग्रेस को बहुत नुकसान नहीं होना है। लोगों के मन में गांधी परिवार को लेकर इमोशनल बॉन्ड है।
पुलक कहते हैं- पूरे यूपी में जो ठाकुर फैक्टर चला, वो रायबरेली में काम नहीं कर रहा। कांग्रेस का अपना कैडर वोट है, भाजपा का अपना। दोनों पार्टियों में कांटे की टक्कर है। राहुल की जगह अगर प्रियंका गांधी चुनाव लड़ती, तब भी यही सीन होता। जातिगत समीकरण ज्यादा काम नहीं करने वाले हैं।
कांग्रेस नेता हर्षेंद्र सिंह कहते हैं- 10 साल में भाजपा ने रायबरेली में कोई डेवलपमेंट नहीं किया। गांधी परिवार को चुन कर लोग गर्व महसूस करते हैं। इंडी गठबंधन के सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी हैं, वो खुद यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। आप देखिएगा राहुल करीब साढ़े 4 लाख वोट से जीतेंगे। कांग्रेस इसलिए भी जीतेगी, क्योंकि भाजपा से लोगों की नाराजगी है।
क्या सोनिया गांधी के क्षेत्र में नहीं आने से लोग नाराज हैं? इस पर हर्षेंद्र सिंह कहते हैं- वह भले नहीं आ सकी, मगर उनके प्रतिनिधि लगातार सक्रिय रहे। लोगों के काम करवाते रहे। राजीव गांधी फाउंडेशन के जरिए यहां मदद होती रही। रायबरेली में बड़े मुद्दे क्या हैं? सैरेनी विधानसभा से बड़ी संख्या में लड़के सेना में जाते थे, वहां अग्निवीर भर्ती को लेकर गुस्सा है। एमएसपी लागू नहीं हुआ, फसल आवारा पशु बर्बाद करते हैं, इसकी किसानों में नाराजगी है।
भाजपा के जिला मंत्री विजय सिंह कहते हैं- रायबरेली में कमल खिल रहा है। सोनियाजी जितने वोट से पिछली बार जीती थीं, उसके दोगुने वोट से कांग्रेस चुनाव हारेगी। भाजपा ने रायबरेली में सड़कों का जाल बिछाया। रेलवे, हेल्थ, भोजन वितरण के काम भाजपा ने किए। गांधी परिवार धोखा है, पहले अमेठी के लोगों को दिया, इस बार रायबरेली को भी धोखा देंगे।
वह कहते हैं- कांग्रेस जहां से जीत जाती है, उस क्षेत्र को पिछड़ा बना देती है। कांग्रेस के लोग क्षेत्र में नहीं आते, काम नहीं करवाते। राहुल गांधी ने नामांकन के बाद रायबरेली में ठीक से दिखे नहीं। प्रियंका पिछली बार भी गलियों में घूमी थीं, इस बार भी घूम रहीं, दोनों की अमेठी वाली स्थिति होगी।
भाजपा के कार्यालय प्रभारी राजकुमार सिंह कहते हैं- 4 जून के बाद कांग्रेस 2 भागों में बंटने जा रही है। कांग्रेस (आर) यानी राहुल, कांग्रेस (पी) यानी प्रियंका। कांग्रेस पहले अपने परिवार, पार्टी को तो बचाए, जिनके डायरेक्टर बनने की होड़ है, इसके बाद देश चलाएंगे। रायबरेली में भाजपा की सुनामी आ रही है, ये कांग्रेस मुक्त होने जा रहा है।