रामविलास पासवान के निधन के बाद क्या बदलेंगे BJP और JDU के तेवर, PM मोदी कैसे करेंगे याद?

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन ने बिहार विधानसभा चुनाव की तासीर बदल दी है। बिहार और देश के बड़े दलित नेता को लेकर उपजने वाली सहानुभूति वोटों के गणित को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में जो दल और नेता लोजपा के खिलाफ मुखर थे अब उनकी भाषा भी बदलेगी और विरोध के तेवर भी। इस बीच भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा रविवार को गया से चुनाव प्रचार अभियान शुरू करने जा रहे है।

बदले हुए हालात में भाजपा को थोड़ी राहत मिली है। लोजपा को लेकर जदयू की तरफ से बनाया जा रहा दबाब अब घटा है। समय की नजाकत को समझते हुए भाजपा की चुनाव प्रचार अभियान की टोन भी बदलेगी। उसने अपने सहयोगी दल जदयू को भी संदेश दिया है कि वह लोजपा और पासवान को लेकर चुनाव मैदान में संयम बरतें और ऐसा संदेश न जाए कि राजग लोजपा के खिलाफ बोलकर उसके दिवंगत नेता को अपमानित करने की कोशिश कर रहा है।

नड्डा देंगे दिशा-निर्देश :
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा चुनाव अभियान की शुरुआत के लिए रविवार को बिहार जा रहे हैं। वह गया की चुनावी सभा से वह प्रचार अभियान का आगाज भी करेंगे। इसके पहले वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिवस पर उनको श्रद्धांजलि देने कदमकुआं भी जाएंगे। गया की रैली से लौटने के बाद नड्डा पटना में पार्टी की चुनाव प्रबंध समिति के साथ अहम बैठक करेंगे।
इसमें विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार, पार्टी पदाधिकारी, सांसद, विधायक, विधानसभा प्रभारी और चुनाव प्रबंधन से जुड़े प्रमुख कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे। बैठक में नड्डा बदले हुए माहौल में अभियान को लेकर पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं को जरूरी दिशा निर्देश देंगे।

लोजपा को लेकर बदलेगी भाषा :
दरअसल राजग में सीटों के बंटवारे को लेकर लोजपा और जदयू का विवाद इतना बढ़ा कि लोजपा ने अपनी मनमाफिक सीटें न मिलने के चलते गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया। तब रामविलास पासवान जीवित थे और उनके विरोधी मुखर थे, लेकिन अब उनके निधन के बाद हालात बदले हैं। ऐसी स्थिति में राजग के भीतर के झगड़े का लाभ विरोधी दल उठाने की कोशिश करेंगे। अगर भाजपा और जदयू नेताओं ने लोजपा को लेकर संयम नहीं बरता तो उनको भी नुकसान हो सकता है।

पासवान को किस तरह याद करेंगे मोदी ?
हालांकि भाजपा की रणनीति पहले से ही लोजपा को साधे रखने की थी, लेकिन जदयू के दवाब में उसे सख्ती दिखाना पड़ रही थी। लोजपा के साथ गए पार्टी नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी गई है। लेकिन इन सबके बीच सबकी नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रहेगी कि वे अपने सहयोगी रामविलास पासवान को किस तरह से याद करते है।