महा जनसंपर्क अभियान के बाद BJP जल्द ही एक और अभियान की शुरुआत करने जा रही है। 30 जून के बाद BJP समान नागरिक संहिता को लेकर पूरे प्रदेश भर में अभियान चलाएंगे। इसमें भाजपा लोगों के घर-घर पहुंचेगी और समान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड) के फायदे बताएगी।
भाजपा अपने महा जनसंपर्क अभियान की तरह ही समान नागरिक संहिता को लेकर चलाए जाने वाले अभियान को भी एक माह तक चलाएगी। इसमें BJP के सभी पदाधिकारी, कार्यकर्ता, सांसद, विधायक और प्रभारी भी शामिल होंगे। इसमें भाजपा लोगों के घरों तक पहुंचेगी और पर्चा बांटकर यूसीसी के फायदे बताएगी। साथ ही यह भी बताएगी कि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी यूसीसी लागू है।
समान नागरिक संहिता का मतलब एक देश एक कानून से है। यानी कि देश में रहने वाले सभी धर्मों के लिए एक ही कानून होगा। इसके तहत देश में रहने वाले सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए एक कानून लागू किया जाएगा। यूसीसी में संपत्ति के अधिग्रहण, संचालन, विवाह, तलाक, गोद लेना जैसे विषय आते हैं।
फिलहाल भारत में यूसीसी लागू नहीं है। यही कारण है कि यहां पर कई कानून धर्म के आधार पर तय किए जाते हैं। भारत में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध के लिए एक व्यक्तिगत कानून है तो वहीं मुसलमानों और ईसाइयों के लिए उनके अपने कानून है। इस्लाम धर्म के लोग शरिया कानून को मानते हैं जबकि अन्य धर्म के लोग भारतीय संसद द्वारा तय कानून को सर्वोपरि मानते हैं। यही कारण है कि BJP ने यूसीसी लागू कर पूरे देश में एक समान कानून को लागू कराना चाहती है।
मुस्लिम धर्म गुरुओं की माने तो भारत में समान नागरिक संहिता जैसा कानून लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि भारत विविधता का देश है। यहां पर हर धर्म के अपने अलग रीति रिवाज और कानून होते हैं। अगर इसे लागू किया जाएगा तो अन्य लोगों की भावनाओं को भी आहत होगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भारत के कानून मंत्रालय के अधीन आने वाले विधि आयोग ने एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी करक देश के आम नागरिकों और सामाजिक धार्मिक संगठनों से इस विषय में अपने सुझाव मांगे है।
इन सुझाव के अंतर्गत आयोग ने सिर्फ एक ही सवाल पूछा है जिसके मुताबिक क्या इस ‘ देश में समान नागरिक संहिता की कोई जरूरत है यदि हां तो क्यों है और यदि ना तो क्यों नहीं है’। विधि आयोग को लोगों की राय के अनुसार अपनी रिपोर्ट को 15 जुलाई तक पेश करनी है।
आयोग ने साल 2016 में भी यूसीसी पर लोगों की राय मांगी थी और आयोग ने 2018 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता नहीं है। भारत के गोवा में समान नागरिक संहिता लागू है क्योंकि गोवा एक विशेष राज्य है।