कोई शक…1985 में आई फिल्म गुलामी में मिथुन चक्रवर्ती तकिया-कलाम आज भी फेमस है। बॉलीवुड में डिस्को डांसर और दादा के नाम से पहचाने जाने वाले मिथुन दा आज 73 साल के हो गए हैं। मिथुन दा की जिंदगी किसी रोलर कोस्टर राइड से कम नहीं रही है। मिजाज में बगावत हमेशा से रही। बड़े हुए तो नक्सली विचारधारा से प्रभावित हुए और इसी में शामिल हो गए। घर की एक दुर्घटना ने फिर से इन्हें नक्सली से जिंदगी की ओर मोड़ दिया।
मिथुन दा उन चंद फिल्मी सितारों में शामिल हैं, जिन्हें पहली फिल्म से नेशनल अवॉर्ड मिला हो। सांवले रंग के कारण रिजेक्शन झेला। पहली शादी 4 महीने में टूट गई। श्रीदेवी से अफेयर भी काफी सुर्खियों में रहा। जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आते रहे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज मिथुन दा के पास होटल, कई रेस्टोरेंट्स, कई बंगले और कॉटेज हैं। 350 से ज्यादा फिल्में कर चुके हैं। जानवरों से इतना लगाव है कि 116 कुत्ते पाले हुए हैं।
16 जून 1950 को कोलकाता में जन्में मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम गौरांग था। दो भाइयों में मिथुन छोटे थे। उन्होंने स्कूलिंग के बाद केमिस्ट्री से ग्रेजुएशन किया। उस समय नक्सलवाद चरम पर था, तो कुछ लोगों की गलत संगत में मिथुन भी अपना परिवार छोड़कर एक नक्सल ग्रुप का हिस्सा बन गए। उस समय के कुख्यात नक्सलवादी रवि रंजन से मिथुन बेहद करीब थे
नक्सलियों को पुलिस पकड़ रही थी। जैसे ही पुलिस की कार्यवाही शुरू हुई तो मिथुन अपने साथियों के साथ अंडरग्राउंड हो गए और कई महीनों तक छिपे रहे।
कोलकाता में मिथुन के बड़े भाई की करंट लगने से मौत हो गई। भाई के गुजर जाने के बाद परिवार अकेला पड़ गया तो मिथुन ने लौटकर जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली। जान का खतरा होने के बावजूद मिथुन ने नक्सलवाद से रिश्ता तोड़ लिया
घर लौटने के बाद मिथुन को अपने करियर का सोचना था। एक्टिंग में रुचि जागने के चलते उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया। पढ़ाई तो पूरी हो गई, लेकिन काम नहीं मिला। काम की तलाश के लिए मिथुन ने भी वही किया, जो हर हीरो बनने की चाह रखने वाला शख्स करता है, वो सीधे मुंबई आ पहुंचे। यहां उन्होंने कई दफ्तरों के चक्कर काटे, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। मुंबई जैसे बड़े शहर में बिना नौकरी और काम के गुजारा करना तब भी मुश्किल था, नतीजतन उन्हें कई दिनों तक खाली पेट सोना पड़ता था
इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में मिथुन ने कहा था, मैंने ऐसे दिन भी गुजारे हैं, जब मुझे भूखे पेट फुटपाथ पर सोना पड़ता था। मेरी रोते-रोते नींद लग जाती थी। कई बार तो मैं सोचता था कि अगले दिन खाना मिलेगा या नहीं। अगले दिन सोने का ठिकाना कहां होगा। मैं कई दिनों तक फुटपाथ पर सोया हूं।
कई महीनों तक फिल्म स्टूडियो के चक्कर काटते हुए मिथुन को हीरो का नहीं, लेकिन उस जमाने की मशहूर एक्ट्रेस हेलन का असिस्टेंट बनने का मौका मिला। उन्होंने असिस्टेंट बनकर अपना नाम मिथुन से रेज रख लिया था।
हेलन को असिस्ट करते हुए मिथुन का उनकी फिल्मों के सेट पर आना-जाना होता था। लोग जानने लगे थे कि मिथुन भी एक्टिंग सीख चुके हैं, ऐसे में उन्हें कुछ फिल्मों में छोटा-मोटा रोल दे दिया जाता था। इनमें फिल्म दो अनजाने शामिल है। कुछ एक फिल्मों में मिथुन ने हीरो का बॉडी डबल बनकर भी काम किया था
मिथुन मुंबई में अक्सर अपने कपड़े सिलवाने के लिए एक ही टेलर के पास जाया करते थे, जिसकी दुकान का नाम प्लेबॉय था। एक दिन जब मिथुन पहुंचे तो देखा कि बेहतरीन राइटर सलीम साहब वहां पहले ही खड़े हुए हैं। सलीम साहब का नाम हुआ करता था, तो मिथुन उन्हें देखते ही पहचान गए।
नजरें टकराते ही सलीम साहब भी मिथुन को बड़ी गौर से देखने लगे। चंद मिनटों के बाद सलीम साहब उनके करीब आए और कहा, तुम्हारे चेहरे में कशिश है, तुम्हें फिल्मों में काम करना चाहिए। मिथुन ने जवाब में कहा, मैंने पुणे से एक्टिंग सीखी है और मुंबई में काम की तलाश कर रहा हूं। ये सुनते ही सलीम साहब ने उन्हें तुरंत यश चोपड़ा का नंबर दिया और कहा इनके ऑफिस जाकर मिल लो, हो सकता है कुछ काम बन जाए।
मिथुन अगले ही दिन यश चोपड़ा के दफ्तर पहुंच गए। उस समय यश जी अपनी अगली फिल्म त्रिशूल पर काम कर रहे थे। लीड रोल में पहले ही अमिताभ आ चुके थे, लेकिन एक लड़के की जगह कुछ दिनों पहले तक खाली थी।
जैसे ही मिथुन पहुंचे तो उन्हें पता चला कि वो रोल पहले ही सचिन पिलगांवकर को दे दिया जा चुका है। मिथुन निराश तो हुए, लेकिन वो हमेशा इस बात के लिए एहसानमंद रहे कि सलीम साहब जैसी बड़ी शख्सियत ने उनकी मुश्किल समय में मदद करने की कोशिश की।
मोक्सो फिल्म फेस्टिवल में मिथुन की पहली फिल्म मृगया को गोल्डन प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया था। फेस्टिवल में मृणाल सेन के साथ मिथुन चक्रवर्ती और ममता शंकर
इंटरव्यू में मिथुन ने कहा था, मैं नहीं चाहता कि किसी को वो झेलना पड़े जो मैंने झेला। मुझे हमेशा से मेरी स्किन कलर के लिए टोका गया। सांवले रंग के कारण मेरी बेइज्जती की गई।
मृणाल सेन की फिल्म मृगया से मिथुन फिल्मों में आए। पहली ही फिल्म के लिए इन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला। दो साल 1978 में फिल्म रक्षक और 1979 की फिल्म सुरक्षा से मिथुन को स्टारडम मिल गया।
मृणाल सेन की फिल्म मृगया से मिथुन फिल्मों में आए। पहली ही फिल्म के लिए इन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला। दो साल 1978 में फिल्म रक्षक और 1979 की फिल्म सुरक्षा से मिथुन को स्टारडम मिल गया।
1978 की फिल्म फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन में ऋषि कपूर और मिथुन को साथ कास्ट किया गया था। शूटिंग शुरू होने से पहले जब डायरेक्टर सिकंदर खन्ना ने उनसे पूछा कि क्या तुम्हें कार चलानी आती है, तो फिल्म छिन जाने के डर से मिथुन बोल पडे़, हां मैं चला लेता हूं।
अब जो झूठ बोला था, उसे बरकरार भी रखना था। शूटिंग शुरू हुई, लेकिन अब यहां मिथुन को मामूली ड्राइविंग नहीं करनी थी। सीन कुछ ऐसा था कि मिथुन को तेज रफ्तार में कार ड्राइव करके ऋषि और मुकरी के सामने धीमी करनी थी, जिससे वो उसमें बैठ जाएं। सीन सुनने के बावजूद मिथुन ने नहीं बताया कि वो कार चलाने में कच्चे हैं। मिथुन ने एक्शन सुनते ही तेज रफ्तार में कार चलानी शुरू कर दी और तुरंत ब्रेक लगा दिया। अचानक लगे ब्रेक से सीन में कार में बैठने की कोशिश कर रहे ऋषि का मुंह बोनट से टकराया और तुरंत उनके मुंह से खून बहने लगे। अब ये झूठ छिप नहीं सका। बड़ा हादसा होते-होते रह गया। मिथुन ने माफी मांगते हुए बता दिया कि उन्हें गाड़ी चलानी नहीं आती थी। ये सुनकर डायरेक्टर सिकंदर ने उन्हें जोरदार डांट लगाई।
मिथुन चक्रवर्ती ने 1979 में हेलन ल्यूक से शादी की थी। ये शादी महज 4 महीनों तक ही टिक सकी। पहली पत्नी को छोड़ते ही मिथुन ने योगिता बाली से इसी साल शादी कर ली। इनके तीन बेटे मिमोह, नमाशी, उशमेह हैं। मिथुन ने कचरे के ढेर में मिली एक बच्ची को भी गोद लिया है, जिसे उन्होंने दिशानी नाम दिया
मिथुन के फिल्मी करियर में एक सुनहरा समय तब आया जब उन्हें 1982 की फिल्म डिस्को डांसर मिली। ये हिंदी सिनेमा की 100 करोड़ कमाने वाली पहली फिल्म थी। हालांकि इसका कलेक्शन भारत से ज्यादा सोवियत यूनियन से हुआ था। मिथुन एक नॉन डांसर थे, लेकिन जब इन्होंने फिल्म की जरुरत के मुताबिक डांस किया तो उनके स्टेप देशभर में फेमस हो गए
इसके बाद उन्होंने फिल्मों कसम पैदा करने वाले की, डिस्को-डिस्को (1982), कमांडो (1988), प्यार झुकता नहीं (1985), गुलामी (1985), मुझे इंसाफ चाहिए (1983), घर एक मंदिर (1984), स्वर्ग से सुंदर (1986) और प्यार का मंदिर (1988) में बेहतरीन अदाकारी का नमूना पेश किया, जिससे वो एक टॉप स्टार बन गए।
साल 1989 में मिथुन की एक साथ 17 फिल्में रिलीज हुई थीं जिनमें इलाका, मुजरिम, प्रेम प्रतिज्ञा, लड़ाई, गुरू और बीस साल बाद जैसी फिल्में शामिल हैं। एक साल में सबसे ज्यादा फिल्में करने वाले बॉलीवुड एक्टर होने का वर्ल्ड रिकॉर्ड मिथुन के पास है
1984 की फिल्म जाग उठा इंसान की शूटिंग के दौरान मिथुन और श्रीदेवी के अफेयर की चर्चा फिल्मी गलियारों पर खूब हुई। दोनों की नजदीकियां इतनी बढ़ गईं कि इन्होंने गुपचुप शादी तक कर ली। ये बात खुद मिथुन ने एक इंटरव्यू में कबूल की थी। जब मिथुन और श्रीदेवी की शादी की खबर उनकी पत्नी योगिता बाली को लगी तो उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की। इसके बाद मिथुन ने श्रीदेवी को छोड़ दिया और अपने परिवार के पास लौट ग
मिथुन चक्रवर्ती के घर में करीब 38 कुत्ते हैं वहीं ऊटी स्थित उनके घर में 78 कुत्ते पले हैं। ऊटी के सबसे नामी होटल में से एक मोनार्क, मिथुन चक्रवर्ती का है। वहीं मसिनागुड़ी में इनके 16 बंगले और कॉटेज हैं। मैसूर में भी इनके 18 कॉटेज हैं और कई रेस्टोरेंट हैं। फिल्मों और बिजनेस के अलावा मिथुन, राजनीति में भी 2014 से एक्टिव हैं।