वक्फ बोर्ड संसोधन बिल आज संसद में पेश हो गया है. बिल पेश होते ही संसद में जोरदार हंगामा शुरू हो गया है. बिल पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि ये बिल जो लाया गया है. ये अध्यक्ष मोहदय ये बहुत सोची समझी राजनीति के तहत हो रहा है. लोकतांत्रिक तरीके से चुनने की पहले से प्रक्रिया है उसमें नोमिनेट क्यों किया जा रहा है.
अखिलेश यादव ने कहा कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को शमिल करने का क्या मतलब है. जिला अधिकारी के इतिहास के पन्नों को नहीं पलटना नहीं चाहता हूं. भाजपा अपने हताश और निराश है. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी सीट पर खड़े हो गए. उन्होंने कहा कि इस तरह की बात आप नहीं कर सकते. आप अध्यक्ष के अधिकार के संरक्षक नहीं हो. वहीं स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आप से सीनियर हैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आसान पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. अखिलेश ने इससे पहले कहा था कि अध्यक्ष महोदय आपके भी अधिकार कम किए जा रहे हैं, हम आपके लिए लड़ेंगे, इस पर अमित शाह ने इसका विरोध किया, अध्यक्ष के अधिकार के आप संरक्षक नही हैं.
अध्यक्ष ओम बिरला ने यादव को टोकना चाहा, लेकिन सपा सांसद नहीं माने. यादव ने अध्यक्ष से कहा, “मैंने लॉबी में सुना है कि आपके अधिकारों में भी कटौती की जा रही है, हमें आपके लिए भी लड़ना होगा. इस पर शाह ने गुस्से में जवाब दिया. शाह ने कहा, “अध्यक्ष के अधिकार केवल विपक्ष के लिए नहीं हैं, वे पूरी लोकसभा के हैं. आप इस तरह की बात नहीं कर सकते. उन्होंने यादव से कहा कि आप अध्यक्ष के अधिकारों के संरक्षक नहीं हैं. सपा सांसद ने पूछा कि जब चुनाव के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, तो हम इसे क्यों बदल रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टरों को बहुत अधिक शक्ति देने के दुष्परिणामों के ऐतिहासिक साक्ष्य हैं.