18 नवंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई वेब सीरीज ‘द रेलवे मेन’

1984 में हुई भोपाल गैस ट्रेजेडी पर बेस्ड वेब सीरीज ‘द रेलवे मेन’ 18 नवंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। इस 4 एपिसोड की सीरीज को ऑडियंस का अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिला है। सीरीज में एक तरफ ऐसे 4 आम आदमियों की कहानी दिखाई गई है जो गैस ट्रेजेडी के दौरान दूसरों की जान बचाकर सुपरहीरो बन जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ सिस्टम की नाकामी दिखाई गई है। इस ट्रेजेडी का मुख्य आरोपी देश छोड़कर भाग निकलता है और उसे कभी अपने किए की सजा नहीं मिलती। इस सीरीज को यशराज फिल्म्स ने बनाया है। यह उनकी पहली वेब सीरीज है।
डायरेक्टर शिव रवैल ने अपनी इस सीरीज ‘द रेलवे मेन’ के लिए जो किरदार गढ़े हैं वे असल जिंदगी से उठाए गए हैं। स्टेशन मास्टर के किरदार में के के मेनन इस कहानी का मजबूत आधार हैं। असल दुर्घटना के समय भी भोपाल जंक्शन के सहायक रेलवे मास्टर ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया था। वहीं सनी हिंदुजा का किरदार भी असल पत्रकार केसवानी से प्रेरित है। केसवानी का एक दोस्त इस फैक्ट्री में गैस रिसाव की चपेट में आकर मारा गया था।
हादसे की रात दो और प्रमुख किरदार उस रात भोपाल रेलवे स्टेशन पर मौजूद दिखते हैं। एक है अपनी नौकरी के पहले ही दिन एक अजब हादसे में उलझ गए लोको पायलट के किरदार में बाबिल खान। स्टेशन का दूसरा अहम किरदार दिव्येंदु शर्मा ने निभाया। पुलिस की वर्दी में होने का असर इस किरदार को पता है। ‘द रेलवे मेन’ में मध्य रेलवे के महाप्रबंधक के किरदार में दिखे माधवन ने भी कमाल की परफॉर्मेंस दी है।
हाल ही में इस सीरीज की कास्ट के के मेनन, दिव्येंदु शर्मा, बाबिल खान और डायरेक्टर शिव रवैल ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। जहां दिव्येंदु शर्मा ने खुद को बाइपोलर कहा, तो वहीं के के ने अपने टीचर का एक किस्सा शेयर किया। बाबिल ने पिता इरफान खान को याद करके कहा- बाबा जीते थे और वही जीवन पर्दे पर लाते थे।
दिव्येंदु शर्मा ने वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ में मुन्ना भैया का किरदार निभाया था और फिल्म ‘प्यार का पंचनामा’ में लिक्विड का किरदार निभाया था। ऐसे में कौन-सा किरदार निभाना ज्यादा मुश्किल था। इस पर दिव्येंदु ने हंसते हुए कहा- मैं जिंदगी में बाइपोलर हूं। एक एक्टर होने के नाते आपको बाइपोलर होना पड़ता है। मुझे दोनों किरदार निभाने में बहुत मजा आया। दोनों किरदारों की चुनौतियां अलग थीं, दोनों के रंग और खुशबू भी अलग थे।
इरफान खान ने बेटे बाबिल खान से उनके पिता के बारे में पूछा गया। बाबिल ने बताया कि उनके पिता ने कभी एक्टिंग के बारे में बात नहीं की। यही उनकी खासियत थी कि वे अपने अंदर भी कभी एक्टिंग के बारे में नहीं सोचते थे। वे जिंदगी जीते थे और पूरी कोशिश करते थे कि वही जीवन पर्दे पर लेकर आएं।
‘द रेलवे मेन’ की कास्ट से पूछा गया कि वे खुद को मोटिवेट कैसे करते हैं? इस पर दिव्येंदु ने कहा कि वे जब भी परेशान होते हैं, ट्रैवल करते हैं। कहीं आस-पास जाने से माइंड शांत हो जाता है। वहीं के के मेनन ने बताया कि जिंदगी में डाउनफॉल सिर्फ मानसिक होता है असल में नहीं। अगर आप इन चीजों पर मानसिक नियंत्रण पा लेंगे, तो कोई भी डाउनफॉल नहीं होगा। आगे उन्होंने अपने एक पुराने टीचर का किस्सा बताते हुए कहा कि वे हमेशा कहते थे- जब भी तुम्हें कोई परेशानी हो तब मुझे फोन करना। मैं तुम्हें राजी कर दूंगा कि मेरी प्रॉब्लम तुम्हारी प्रॉब्लम से बड़ी है।
डायरेक्टर शिव रवैल ने कहा कि जिंदगी रेलगाड़ी के पहियों की तरह है। जो नीचे है वो ऊपर आएगा, और जो ऊपर है वो नीचे आएगा। आपको बस एक पुश (प्रेरणा) की जरूरत होती है। बाबिल खान ने कहा कि परेशानी के दौरान एक-एक स्टेप लेना सही रहता है।