दिल्ली के चुनावों को याद करते हुए भाजपा के पूर्व सांसद लाल बिहारी तिवारी ने कहा कि मैं 1965 में जनसंघ से जुड़ा था। दिल्ली उपभोक्ता सहकारी थोक भंडार में लीगल मैनेजर रहा। 1993 में घोंडा विधानसभा से पहला चुनाव जीता था। फिर 1997 में पूर्वी दिल्ली लोकसभा से उपचुनाव जीतकर सांसद बना और कुल तीन बार सांसद रहा।
90 के दशक में चुनाव लोकतंत्र के पर्व के रूप में होते थे। लेकिन अब तो यह किसी फिल्मी सीन की तरह हैं। जनसेवा केवल दिखावा है। मुझे याद है कि अपने पहले चुनाव प्रचार के दौरान केवल चने खाकर और भूखे रहकर हम पूरा दिन क्षेत्र में घूमते रहते थे। रात में किसी कार्यकर्ता के घर ही सो जाते। रात भर अगले दिन की रणनीति बनाते और सुबह वहीं से आगे के प्रचार में निकल पड़ते थे।
अब इंटरनेट व सोशल मीडिया ने सब बदल दिया है। लेकिन अपने पक्ष में मतदान करवाने के लिए जमीन से जुड़े लोगों की जरूरत आज भी है।
दिल्ली की पहली विधानसभा का गठन नवंबर 1993 में हुआ था। इससे पहले मंत्री परिषद् हुआ करती थी। उस वक्त कुल छह राष्ट्रीय दलों, तीन राज्य दलों, 41 पंजीकृत (गैर मान्यता प्राप्त) दलों और अन्य स्वतंत्र उम्मीदवारों ने 70 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव लड़ा था। उस वक्त 49 सीटों के साथ भाजपा को बहुमत मिला और मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने थे। 14 सीटें कांग्रेस, चार जनता दल और तीन निर्दलयी उम्मीदवारों ने जीती थीं।
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आदर्श कुमार
संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ