16 जून को रिलीज हुई फिल्म आदिपुरुष ने तीन दिन में बॉक्सऑफिस पर भले ही 340 करोड़ की कमाई कर बंपर शुरुआत की है, लेकिन खराब VFX और डायलॉग्स के चलते विवादों में है। लोग आज भी 36 साल पहले आए माइथोलॉजिकल टीवी शो रामायण की तारीफ कर रहे हैं और आदिपुरुष के मेकर्स को सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ रहे हैं।
1987 में आई रामायण के निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर थे जो अब इस दुनिया में नहीं हैं,
मैंने आदिपुरुष नहीं देखी है, लेकिन इसके टीजर और ट्रेलर को जरूर देखा है। मैं इतना ही कहूंगा कि फिल्म रिलीज के बाद इसके डायलॉग्स के बारे में सुना। लंका लगा दूंगा, जलेगी भी तेरे बाप की…जैसे डायलॉग रामायण की बेइज्जती हैं। मेरी आत्मा रामायण में ऐसे शब्द सुनकर दुखी हो गई। अगर उन्होंने मॉडर्न रामायण बनाई है तो इतनी हद से ज्यादा क्रिएटिव लिबर्टी लेना बिल्कुल सही नहीं है। मेरे पिता जी (रामानंद सागर) ने जब रामायण शो बनाया तो उन्होंने भी काफी क्रिएटिव लिबर्टी ली थी, लेकिन वो कभी अपने दायरे से बाहर नहीं गए।
उन्होंने वाल्मीकि रामायण से लेकर 14 अन्य रामायणें पढ़ीं और हर डिटेलिंग के बारे में अच्छे से सोच-विचारकर ही आगे बढ़े। भाषा पर तो उनका सबसे ज्यादा जोर था कि कहीं कोई गलती न हो जाए। इसके लिए उन्होंने धर्मवीर भारती जी को बुलाया था, कई स्कॉलर्स के साथ मीटिंग की। वे बहुत तैयारी और जिम्मेदारी से हर एपिसोड शूट करते थे क्योंकि वो रामायण की गरिमा और इसके महत्व से अच्छे से वाकिफ थे।
इतना फूंक-फूंककर कदम रखने के बावजूद वो विवादों से बच नहीं पाए थे। सीरियल के कुछ सीक्वेंस पर आपत्ति के चलते उन पर कई कोर्ट केस हुए थे। एक केस तो 10 साल चला था। इसी वजह से रामायण जैसे हिंदू ग्रंथों का मजाक उड़ाना सही नहीं है। फिल्म में क्रिएटिव लिबर्टी लिए जाने से दिक्कत नहीं है, लेकिन ये इतनी भी ज्यादा न हो कि आप रामायण जैसे महाग्रंथ का ही अपमान कर दें।
लोग धर्म से खिलवाड़ बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं। आपको एक किस्सा बताता हूं। जब रामायण का प्रसारण हो रहा था तो एक एपिसोड में राम और भरत के बीच फिल्माया गया एक दुखी सीक्वेंस देखकर एक दर्शक की तबीयत इतनी खराब हो गई कि वो कोमा में चला गया।
कुछ दिनों बाद उसे होश आया तो डॉक्टर भी उसकी हालत देखकर बेहद चिंतित हो गए। उन्होंने पिताजी का नंबर तलाशा और उन्हें फोन कर कहा कि आप राम और भरत को सीरियल में खुश दिखा देंगे तो इनकी हालत सुधर सकती है।
पिताजी ये बात सुनकर चौंक गए। उन्हें इस बात का कतई अंदाजा नहीं था कि उनके टीवी शो का दर्शकों पर इस कदर असर पड़ रहा है कि वो इमोशनली इससे इतना जुड़ चुके हैं।
डॉक्टर से बात करके पिताजी ने कहा कि मैंने अब तक राम-भरत का वो सीक्वेंस शूट नहीं किया है, लेकिन मैं जैसे ही कर लूंगा, आपको बता दूंगा। उन्होंने वो सीन शूट करके उस व्यक्ति को फ्लाइट की टिकट देकर मुंबई बुलाया और वो सीन दिखाया। इसके बाद उस व्यक्ति की सेहत में सुधार आया। इस बात से ये साबित होता है कि लोग धर्म को लेकर कितने ज्यादा पजेसिव हैं।
आदिपुरुष के VFX की काफी चर्चा हो रही है, लेकिन 1987 में VFX वगैरह नहीं होते थे। मैं खुद रामायण के स्पेशल इफेक्ट्स की टीम को हैंडल करता था। तब हम स्पेशल इफेक्ट्स यूज करते थे, जिसके लिए स्पेशल इफेक्ट जनरेटर यानी SONY SEG 2000 इस्तेमाल करते थे।
हम क्रोमा इफेक्ट्स जैसे ग्रीन स्क्रीन, ब्लू स्क्रीन की मदद से इफेक्ट्स बनाते थे। इसके अलावा ग्लास मैपिंग, मिनिएचर्स बनाते थे, जैसे दशरथ का महल मिनिएचर की मदद से बना था। हमने सब वही तकनीक यूज की थी जो 1932 से 1960 तक के दौर में बाबू भाई मिस्त्री यूज करते थे। बाबू भाई रामायण के स्पेशल इफेक्ट्स कंसल्टेंट थे और इंडिया में ट्रिक फोटोग्राफी का श्रेय उन्हीं को जाता है।
आदिपुरुष तो 600 करोड़ में बनी है तो 36 साल पहले रामायण टीवी शो का बजट क्या था? इस सवाल के जवाब में प्रेम सागर बोले- सवा रुपए… मैंने चौंककर कहा क्या सवा करोड़ ? बोले- नहीं सवा रुपए…मैंने कहा, ऐसा कैसे ? तो वो बोले, क्योंकि रामायण को पैसों से नहीं तोला जा सकता। आपने पूछा इसलिए सवा रुपए बता रहा हूं क्योंकि हम जब इसका निर्माण कर रहे थे तो कभी बजट पर ध्यान नहीं दिया। सब खुद-ब-खुद बनता चला गया।
ये आस्था की बात है, धर्म और सनातन की बात है। इसे रुपए, पैसे में नहीं तोला जा सकता है। आज भले ही आदिपुरुष के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की बात हो रही है, लेकिन करोड़ों के कलेक्शन के पीछे की अलग ही कहानी होती है तो उस पर कमेंट करना सही नहीं होगा, मगर मेरे हिसाब से रामायण जैसे विषय कमाई से परे हैं।
ये तो भगवान की इच्छा थी कि मेरे पिता रामायण की कहानी को दुनिया के सामने लाए। वो तो एक जरिया थे बाकी तो प्रभु की इच्छा थी। एक बार का किस्सा है। पिता जी एक दिन बेहद परेशान थे। वो सुबह उठकर शूट पर जाने से पहले बेचैन थे।
उन्होंने मुझसे कहा कि शूटिंग पर जाना है, लेकिन मैंने आज शूट होने वाले एपिसोड के डायलॉग नहीं लिखे हैं, बिना डायलॉग कैसे शूटिंग करूंगा? वो हमारे घर सागर विला में काफी चिंतित होकर इधर-उधर टहल रहे थे, तभी उनसे मिलने के लिए एक व्यक्ति आया जो साधु के वेश में था। उसने पिताजी से मिलने की इच्छा जताई।
स्टाफ ने पिताजी को इस बारे में बताया तो वो मिलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गए। उस साधु ने मिलकर पिताजी को बहुत आशीर्वाद दिया। थोड़ी देर बहुत अच्छी बातचीत हुई, लेकिन अचानक वो साधु एग्रेसिव हो गए और गुस्सा दिखाने लगे। सब परेशान हो गए कि अचानक उन्हें क्या हो गया। फिर उस साधु ने कहा कि तुम्हें क्या लगता है तुम रामानंद सागर रामायण बना रहे हो, ये तो भगवान राम की इच्छा है, तुम केवल अपना काम करो बस।
इसके बाद पिता जी सेट पर गए और उन्होंने डायलॉग न लिखने की नर्वसनेस छोड़ी और सब खुद-ब-खुद होता चला गया। उस दिन बहुत अच्छे से शूटिंग हो गई। हम नहीं जानते कि वो साधु कौन थे, लेकिन ऐसा लगा जैसे वो भगवान का संदेश लेकर हमारे पास आए थे कि घबराओ नहीं और रामायण को देश-दुनिया के लोगों तक पहुंचाओ।
36 बरस पहले दूरदर्शन पर ‘रामायण’ का प्रसारण शुरू होने में करीब दो साल लग गए थे और रामानंद सागर के दूरदर्शन और सूचना प्रसारण मंत्रालय में चक्कर लगाते-लगाते जूते भी घिस गए थे। दरअसल, रामायण के दूरदर्शन पर प्रसारण की अनुमति तो रामानंद सागर को 1985 में ही मिल गई थी। लेकिन इसके प्रसारण को लेकर दूरदर्शन अधिकारियों से लेकर मंत्रालय स्तर तक, सभी इतने भ्रमित थे कि समझ नहीं पा रहे थे कि देश के इस पहले धार्मिक सीरियल का स्वरूप क्या हो? इसलिए जब सागर ने रामायण का पहला पायलट एपिसोड बनाकर दूरदर्शन को दिया तो दूरदर्शन ने उसे रिजेक्ट कर दिया।
दूरदर्शन को रामायण के पायलट एपिसोड में कई आपत्तियां लगीं। जिनमें एक यह भी थी कि सीता की भूमिका कर रही अभिनेत्री दीपिका को कट स्लीव्स कॉस्टयूम में दिखाया गया था। दूरदर्शन को लगा, यह देख लोग हंगामा कर देंगे। सागर ने फिर से पायलट एपिसोड बनाकर दिया, जिसमें सीता की वेशभूषा में कुछ परिवर्तन कर दिया गया लेकिन कुछ और आपत्तियां दर्ज करते हुए दूरदर्शन ने वह दूसरा पायलट एपिसोड भी रिजेक्ट कर दिया।
रामानंद सागर ने रामायण की शूटिंग के लिए गुजरात-महाराष्ट्र की सीमा पर उमरगाम में सेट लगाया हुआ था इसलिए उन्हें नए पायलट एपिसोड की शूटिंग करने के लिए फिर से उमरगाम जाना पड़ता था। जिसमें कलाकारों और पूरी यूनिट को वहां ले जाने पर समय और पैसा बहुत खर्च हो जाता था। फिर भी सागर ने तीसरा पायलट एपिसोड दूरदर्शन में जमा कराया लेकिन दूरदर्शन को उसमें भी कुछ खामियां दिखीं और उसे भी रोक दिया गया। इससे रामानंद सागर परेशान हो गए।
आखिरकार रामायण का प्रसारण 25 जनवरी 1987 से संभव हो पाया। प्रत्येक रविवार सुबह साढ़े 9 बजे के समय में जब यह शुरू हुआ तो हर तरफ केवल इसी के चर्चे थे। इतनी सफलता और लोकप्रियता की उम्मीद न दूरदर्शन को थी और न स्वयं रामानंद सागर को। तब रामायण के प्रसारण के दौरान घरों के बाहर कर्फ्यू जैसे हालात होते थे। सीरियल में अरुण गोविल ने राम, दीपिका चिखलिया ने सीता, अरविंद त्रिवेदी ने रावण, सुनील लहरी ने लक्ष्मण और दारा सिंह ने हनुमान की भूमिका निभाई थी।
600 करोड़ में बनी आदिपुरुष बॉलीवुड की सबसे महंगी फिल्म है। इसमें प्रभास ने राम, कृति सैनन ने सीता और सैफ ने रावण की भूमिका निभाई है। फिल्म ने पहले दिन वर्ल्डवाइड बॉक्सऑफिस पर 140 करोड़ का बिजनेस किया। शाहरुख खान स्टारर पठान के बाद आदिपुरुष मात्र 3 दिनों में 300 करोड़ क्लब में शामिल होने वाली दूसरी फिल्म बन गई है। इसके डायरेक्टर ओम राउत हैं और टी-सीरीज ने इसे प्रोड्यूस किया है।